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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Red Sea Tensions and Global Supply Chain Disruption: Strategic and Economic Implications for India

लाल सागर तनाव के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: भारत के व्यापार और रणनीति पर प्रभाव

परिचय

लाल सागर, जो एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने वाला समुद्री गलियारा है, वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण धमनियों में से एक माना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में यह क्षेत्र भू-राजनीतिक तनावों का केंद्र बन गया है। रॉयटर्स की 21 अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों के कारण इस क्षेत्र में व्यापारिक जहाजों की आवाजाही बाधित हो रही है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हुआ है।
इसका सीधा असर भारत जैसे देशों पर पड़ा है, जो यूरोप और मध्य पूर्व के बाज़ारों पर व्यापार के लिए काफी हद तक निर्भर हैं। शिपिंग लागत, बीमा प्रीमियम और ऊर्जा परिवहन खर्च बढ़ने से भारत की आर्थिक स्थिरता और निर्यात प्रतिस्पर्धा पर दबाव बढ़ा है।


लाल सागर तनाव: पृष्ठभूमि

लाल सागर स्वेज नहर के माध्यम से भूमध्य सागर और हिंद महासागर को जोड़ता है। यह वैश्विक समुद्री व्यापार का लगभग 12–15% हिस्सा वहन करता है, जिसमें तेल, गैस, खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक्स और दवाइयाँ जैसी महत्वपूर्ण वस्तुएँ शामिल हैं।
2023 के बाद से यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोही समूह ने कई अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाया है। इन हमलों के पीछे इजरायल-हमास संघर्ष और पश्चिम एशिया की बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की छाया देखी जाती है।
इन घटनाओं के परिणामस्वरूप प्रमुख शिपिंग कंपनियाँ लाल सागर मार्ग से बचकर लंबा रास्ता—केप ऑफ गुड होप के चारों ओर घूमते हुए—अपना रही हैं, जिससे लागत और समय दोनों में वृद्धि हो रही है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि इन हमलों के बाद माल ढुलाई की लागत में 30–40% तक वृद्धि हुई है। साथ ही, जहाजों को मंज़िल तक पहुँचने में औसतन 10 से 14 दिन अधिक समय लग रहा है।


वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव

लाल सागर की अस्थिरता ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था को कई स्तरों पर प्रभावित किया है —

  1. परिवहन लागत और बीमा दरों में वृद्धि – जहाजों को अधिक लंबा मार्ग अपनाना पड़ रहा है और बीमा कंपनियाँ अब अधिक प्रीमियम वसूल रही हैं।
  2. आपूर्ति श्रृंखला में विलंब – यूरोप और एशिया के बीच माल की आवाजाही धीमी हो गई है, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं और औद्योगिक आपूर्ति में देरी हो रही है।
  3. मुद्रास्फीति पर असर – परिवहन लागत में वृद्धि ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं की कीमतें बढ़ाई हैं। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से भारत, पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  4. ऊर्जा आपूर्ति पर खतरा – लाल सागर मार्ग पर तेल और गैस का भारी मात्रा में परिवहन होता है। किसी भी अवरोध से ऊर्जा सुरक्षा पर सीधा खतरा उत्पन्न होता है।

भारत पर प्रभाव

भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का 80% से अधिक आयात करता है और निर्यात के लिए यूरोपीय बाज़ारों पर काफी निर्भर है, इस संकट से गहराई से प्रभावित हुआ है।

  1. निर्यात में गिरावट – वस्त्र, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में देरी और लागत वृद्धि से प्रतिस्पर्धात्मकता घटी है।
  2. आयात लागत में बढ़ोतरी – कच्चा तेल, पेट्रोकेमिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आयातित उत्पाद महंगे हुए हैं, जिससे व्यापार घाटा बढ़ने की संभावना है।
  3. IMEC परियोजना पर असर – भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), जो लाल सागर के आसपास विकसित हो रहा है, इस अस्थिरता से प्रभावित हो सकता है। सुरक्षा जोखिमों के कारण परियोजना के कार्यान्वयन में बाधाएँ आ सकती हैं।
  4. सामरिक दबाव और नौसैनिक चुनौती – भारत को अपने वाणिज्यिक जहाजों और समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाल सागर और अरब सागर में नौसेना की तैनाती बढ़ानी पड़ी है।

भारत की प्रतिक्रिया और रणनीतिक दिशा

भारत ने इस चुनौती से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है —

  1. समुद्री सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण – भारतीय नौसेना ने “ऑपरेशन संकल्प” के तहत लाल सागर और अरब सागर में गश्त बढ़ाई है ताकि भारतीय जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  2. कूटनीतिक संवाद – भारत ने यमन संकट के समाधान के लिए कूटनीतिक वार्ताओं का समर्थन किया है और मध्य पूर्व में अपनी संतुलित नीति बनाए रखी है।
  3. वैकल्पिक व्यापार गलियारों पर फोकस – भारत IMEC, INSTC (International North-South Transport Corridor) और चाबहार बंदरगाह जैसे वैकल्पिक मार्गों को सुदृढ़ कर रहा है ताकि लाल सागर पर निर्भरता घटे।
  4. आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास – ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत भारत अपने विनिर्माण क्षेत्र और आपूर्ति श्रृंखला को स्वदेशी बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

UPSC के दृष्टिकोण से प्रासंगिकता

यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के GS पेपर-2, 3 और निबंध लेखन के लिए अत्यंत उपयोगी है।

  • GS Paper-2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध): भारत की समुद्री रणनीति और लाल सागर में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों का प्रभाव।
    संभावित प्रश्न: “लाल सागर क्षेत्र की अस्थिरता भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापार नीति को कैसे प्रभावित करती है?”

  • GS Paper-3 (अर्थव्यवस्था और सुरक्षा): वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान का भारत की आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति और ऊर्जा सुरक्षा पर प्रभाव।
    संभावित प्रश्न: “वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की अस्थिरता विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए किस प्रकार की नीतिगत चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है?”

  • प्रीलिम्स के लिए तथ्यात्मक बिंदु:

    • लाल सागर वैश्विक व्यापार का लगभग 12–15% हिस्सा वहन करता है।
    • हूती विद्रोहियों की सक्रियता यमन में केंद्रित है।
    • स्वेज नहर लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है।

निष्कर्ष

लाल सागर में बढ़ती अस्थिरता केवल क्षेत्रीय संघर्ष का संकेत नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक परस्परता की नाजुकता का भी प्रतीक है। भारत के लिए यह संकट एक चेतावनी है कि समुद्री सुरक्षा, वैकल्पिक आपूर्ति नेटवर्क और रणनीतिक स्वावलंबन भविष्य की आर्थिक स्थिरता की अनिवार्य शर्तें बन चुकी हैं।
दीर्घकालिक रूप से भारत को अपने व्यापार मार्गों का विविधीकरण, ऊर्जा स्रोतों का स्थानीयकरण और नौसेनिक क्षमता का सुदृढ़ीकरण जारी रखना होगा।

लाल सागर संकट इस बात का उदाहरण है कि भू-राजनीतिक तनाव आज केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहते — वे वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन को गहराई से प्रभावित करते हैं।


संदर्भ

  • रॉयटर्स (21 अक्टूबर 2025). “Global Supply Chain Disruptions Due to Red Sea Tensions.” 
  • भारत सरकार (2020). “आत्मनिर्भर भारत अभियान।”
  • भारतीय नौसेना. “ऑपरेशन संकल्प: समुद्री सुरक्षा पहल।


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