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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Portugal Face Veil Ban: Religious Freedom, Gender Equality, and Rising Nationalism in Europe

पुर्तगाल में चेहरा ढकने वाले नकाब पर प्रतिबंध: एक सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषण


सार

18 अक्टूबर 2025 को पुर्तगाल की संसद ने एक विवादास्पद विधेयक को मंजूरी दी, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों से चेहरा ढकने वाले परिधानों — विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले बुरका और नकाब — पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह विधेयक दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी चेगा (Chega) पार्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था। कानून के अनुसार, उल्लंघन करने पर 200 से 4,000 यूरो तक का जुर्माना और किसी को नकाब पहनने के लिए मजबूर करने पर तीन साल तक की जेल का प्रावधान है।
यह निर्णय पुर्तगाल जैसे ऐतिहासिक रूप से उदार देश के लिए एक नया मोड़ प्रस्तुत करता है — जहां यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता, व्यक्तिगत अधिकारों और यूरोपीय राष्ट्रवाद के उभार के बीच चल रही बहस को गहराता है। यह लेख इस विधेयक के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आयामों का विश्लेषण करता है और यूरोपीय लोकतंत्रों में स्वतंत्रता और पहचान की जटिलताओं को रेखांकित करता है।


परिचय

पुर्तगाल लंबे समय से धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समावेशन के लिए जाना जाता है। लेकिन अक्टूबर 2025 में पारित यह विधेयक उस छवि को चुनौती देता है। चेगा पार्टी, जो यूरोप में उभर रहे दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी समूहों में से एक है, ने इसे “सार्वजनिक सुरक्षा और लैंगिक समानता” के नाम पर प्रस्तुत किया।
हालाँकि सतह पर यह कदम महिलाओं की “स्वतंत्रता” और “सुरक्षा” के पक्ष में दिखाई देता है, लेकिन इसके पीछे की राजनीतिक पृष्ठभूमि और सामाजिक अर्थ कहीं अधिक गहरे हैं। यह कानून यूरोप में बढ़ती इस्लामोफोबिया की प्रवृत्ति और धर्मनिरपेक्षता बनाम धार्मिक स्वतंत्रता की पुरानी बहस का आधुनिक उदाहरण है।


विधेयक का संदर्भ और पृष्ठभूमि

पुर्तगाल में मुस्लिम आबादी बहुत सीमित — लगभग 0.4% — है। इसके बावजूद, “चेहरा ढकने वाले परिधानों” को लक्षित करने वाला यह कानून यूरोप में चल रही उस व्यापक लहर का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत फ्रांस (2010), बेल्जियम (2011) और ऑस्ट्रिया (2017) जैसे देशों से हुई थी।
इन देशों ने “धर्मनिरपेक्षता” के सिद्धांत के तहत सार्वजनिक स्थानों पर बुरका और नकाब पर प्रतिबंध लगाया था।
चेगा पार्टी ने भी इसी तर्क को अपनाते हुए कहा कि चेहरा ढकना “सामाजिक एकीकरण में बाधा” डालता है और “महिलाओं की स्वतंत्रता के खिलाफ” है। लेकिन आलोचकों के अनुसार यह तर्क सांस्कृतिक भय और राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देता है।

दरअसल, यह विधेयक केवल परिधान का मुद्दा नहीं है — यह पुर्तगाल में राष्ट्रीय पहचान, आप्रवासन और धर्मनिरपेक्षता के सवालों पर उभरते तनाव को भी उजागर करता है। चेगा पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता यह दिखाती है कि पुर्तगाली समाज भी अब उसी विचारधारा की ओर बढ़ रहा है जो यूरोप के अन्य हिस्सों में पहले से प्रभावी हो चुकी है।


विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ

  • चेहरा ढकने पर जुर्माना: सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने वाले बुरके या नकाब पहनने पर 200 से 4,000 यूरो तक का जुर्माना।
  • दूसरों को बाध्य करने पर सजा: यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को बुरका या नकाब पहनने के लिए बाध्य करता है, तो उसे तीन वर्ष तक की जेल की सजा दी जा सकती है।
  • सार्वजनिक सुरक्षा का तर्क: समर्थकों का कहना है कि सार्वजनिक स्थलों पर व्यक्ति की पहचान छिपाने से सुरक्षा जोखिम बढ़ता है।
  • लैंगिक समानता का दावा: समर्थकों का यह भी कहना है कि यह विधेयक महिलाओं को “पुरुष-प्रधान धार्मिक परंपराओं” से मुक्त करने की दिशा में कदम है।

हालाँकि विरोधी पक्ष का कहना है कि यह “स्वतंत्रता के नाम पर स्वतंत्रता का दमन” है, क्योंकि बहुत सी मुस्लिम महिलाएँ स्वेच्छा से नकाब या बुरका पहनती हैं, इसे अपनी आस्था और पहचान का प्रतीक मानती हैं।


सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

यह प्रतिबंध पुर्तगाल की छोटी लेकिन सशक्त मुस्लिम महिलाओं की आबादी पर गहरा सामाजिक प्रभाव डाल सकता है।

  1. सामाजिक अलगाव: नकाब पहनने वाली महिलाएँ सार्वजनिक स्थानों से दूर रह सकती हैं, जिससे उनका सामाजिक एकीकरण और कठिन होगा।
  2. भेदभाव और असुरक्षा: यह कानून समाज में मुस्लिम महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह और भेदभावपूर्ण व्यवहार को वैध ठहराने का जोखिम रखता है।
  3. सांस्कृतिक असंतुलन: पुर्तगाल जैसे ऐतिहासिक रूप से समावेशी देश में यह कदम बहुलतावाद की भावना को कमज़ोर कर सकता है।

इसके अतिरिक्त, यह विधेयक इस बात पर भी प्रश्न उठाता है कि क्या राज्य को किसी व्यक्ति की धार्मिक पोशाक पर नियंत्रण का अधिकार होना चाहिए। यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (ECHR) ने पहले फ्रांस और बेल्जियम में ऐसे प्रतिबंधों को संवैधानिक बताया था, लेकिन इन फैसलों को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने तीखी आलोचना की थी।


राजनीतिक निहितार्थ

राजनीतिक दृष्टि से यह विधेयक चेगा पार्टी की वैचारिक रणनीति का हिस्सा है, जो “राष्ट्रीय संस्कृति” को “धार्मिक विविधता” से ऊपर रखने की विचारधारा को आगे बढ़ाती है।
चेगा के नेता आंद्रे वेंचुरा (André Ventura) लगातार इस्लाम और आप्रवासन के खिलाफ बयान देते रहे हैं। यह विधेयक उनकी राजनीति के लिए एक लोकप्रिय प्रतीक बन गया है — जिससे वे रूढ़िवादी मतदाताओं के बीच समर्थन जुटा रहे हैं।

हालांकि, इस कानून ने पुर्तगाल की मुख्यधारा की पार्टियों के सामने भी चुनौती खड़ी कर दी है। उदारवादी और समाजवादी दल इसे “धर्मनिरपेक्षता के बहाने धार्मिक दमन” के रूप में देख रहे हैं।
इससे पुर्तगाल की राजनीति में नया ध्रुवीकरण उभर रहा है — एक ओर “राष्ट्रीय सुरक्षा और एकरूपता” का तर्क, और दूसरी ओर “व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता” की रक्षा का आग्रह।


नैतिक और कानूनी प्रश्न

यह विधेयक कई गहरे नैतिक प्रश्नों को जन्म देता है:

  1. क्या राज्य को यह तय करने का अधिकार है कि कोई व्यक्ति कैसे कपड़े पहने?
    यदि यह कपड़ा किसी की धार्मिक आस्था का हिस्सा है, तो प्रतिबंध क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है?

  2. क्या यह विधेयक लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करता है या महिलाओं की स्वायत्तता को सीमित करता है?
    जब राज्य यह तय करता है कि महिलाओं को क्या पहनना चाहिए या नहीं, तो वह उन्हीं पर नियंत्रण स्थापित कर रहा है, जिन्हें “मुक्त” करने का दावा करता है।

  3. क्या यह पुर्तगाल के संविधान और यूरोपीय मानवाधिकार संधि के अनुच्छेद 9 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन है?
    संभव है कि आने वाले महीनों में यह मुद्दा पुर्तगाल के संवैधानिक न्यायालय या ECHR तक पहुंचे।


निष्कर्ष

पुर्तगाल का चेहरा ढकने वाले नकाब पर प्रतिबंध केवल एक कानूनी निर्णय नहीं है — यह आधुनिक यूरोप में चल रही पहचान, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता की गहरी बहस का हिस्सा है।
यह विधेयक दिखाता है कि यूरोप में नए राष्ट्रवादी आंदोलन किस तरह “सांस्कृतिक एकरूपता” के नाम पर विविधता और स्वतंत्रता को चुनौती दे रहे हैं।

भविष्य में यह कानून पुर्तगाल के सामाजिक ताने-बाने, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र और अल्पसंख्यक अधिकारों की परीक्षा बनेगा।
यदि इस कानून का विरोध बढ़ा, तो यह न केवल पुर्तगाल बल्कि पूरे यूरोप में धार्मिक स्वतंत्रता बनाम धर्मनिरपेक्षता पर एक नई बहस को जन्म देगा — यह बहस कि “स्वतंत्र समाज” वास्तव में किसे कहते हैं: वह जहाँ सभी को समान रूप से जीने का अधिकार हो, या वह जहाँ सभी को एक जैसा बनने के लिए बाध्य किया जाए।


संदर्भ

  • Reuters. “Portugal's parliament approves bill to ban face veils in public.”
  • European Court of Human Rights Judgments: S.A.S. v. France (2014).
  • Amnesty International Reports on Religious Freedom in Europe (2022–2024).


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