मेडागास्कर में राजनीतिक अस्थिरता: जनरेशन Z की लहर और एक युग का परिवर्तन संकेत
परिचय
अफ्रीकी द्वीप राष्ट्र मेडागास्कर में हाल ही में उभरे राजनीतिक संकट ने विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना के देश छोड़ने की खबर ने न केवल इस राष्ट्र के भीतर शासन और वैधता के संकट को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जनरेशन Z (Generation Z) किस प्रकार वैश्विक राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने लगी है। यह केवल मेडागास्कर की घरेलू कहानी नहीं, बल्कि एक वैश्विक प्रवृत्ति का हिस्सा है — युवाओं द्वारा परिवर्तन की मांग और सत्ता-संरचनाओं को चुनौती देने की क्षमता।
1. मेडागास्कर: एक अस्थिर लोकतंत्र का इतिहास
मेडागास्कर की राजनीतिक यात्रा स्वतंत्रता (1960) के बाद से ही अस्थिर रही है। यह देश बार-बार तख्तापलट, सैन्य हस्तक्षेप, और राजनीतिक असंतोष के दौर से गुजरता रहा है।
- 2009 में एंड्री राजोएलिना ने तत्कालीन राष्ट्रपति मार्क रवालोमानाना को अपदस्थ कर सत्ता संभाली थी।
- इसके बाद 2018 में उन्होंने लोकतांत्रिक चुनावों के जरिये सत्ता प्राप्त की, किंतु शासन की दिशा और प्राथमिकताएं जनता की अपेक्षाओं से दूर रहीं।
पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, खाद्य असुरक्षा और आर्थिक ठहराव ने जनता के असंतोष को गहरा किया। विशेष रूप से युवा आबादी, जो देश की जनसंख्या का 60% से अधिक है, लगातार सामाजिक न्याय और बेहतर अवसरों की मांग करती रही है।
2. युवा आंदोलन और जनरेशन Z की भूमिका
जनरेशन Z — यानी डिजिटल युग में जन्मे, जुड़े हुए, और सामाजिक रूप से सजग युवा — आज राजनीतिक परिवर्तन की नई धारा बन चुके हैं। मेडागास्कर में यही वर्ग आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा था।
इन युवाओं ने —
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X, TikTok, Instagram आदि) का उपयोग करके विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया,
- भ्रष्टाचार और सत्ता के केंद्रीकरण के खिलाफ डिजिटल मुहिमें चलाईं,
- और देशभर में “Justice for Future” जैसे अभियानों से व्यापक जनसमर्थन जुटाया।
इन आंदोलनों की खासियत यह रही कि ये नेतृत्वहीन लेकिन संगठित, आक्रोशित लेकिन रचनात्मक, और स्थानीय लेकिन वैश्विक संवाद से जुड़े हुए थे।
मेडागास्कर की राजधानी अंतानानारिवो में जब प्रदर्शन हिंसक हुए, तो पुलिस और सेना की कार्रवाई से टकराव बढ़ा। इसके बाद राष्ट्रपति राजोएलिना के कथित रूप से देश छोड़ने की घटना ने आंदोलन को निर्णायक मोड़ दे दिया।
3. अफ्रीका में बढ़ता युवा जनसंख्या दबाव
अफ्रीकी महाद्वीप में औसत आयु लगभग 19 वर्ष है — यानी यह दुनिया का सबसे युवा महाद्वीप है। लेकिन यही युवा वर्ग बेरोज़गारी, राजनीतिक हाशिए और भ्रष्ट शासन तंत्र से सबसे अधिक प्रभावित है।
मेडागास्कर के हालिया घटनाक्रम ने यह प्रश्न फिर से उठाया है कि
“क्या अफ्रीका की युवा ऊर्जा लोकतंत्र को स्थिरता देगी या अस्थिरता का नया दौर शुरू करेगी?”
नाइजीरिया में #EndSARS आंदोलन, सूडान में युवा विरोध, और दक्षिण अफ्रीका में #FeesMustFall जैसे अभियान पहले ही इस प्रश्न का उत्तर देने लगे हैं — युवा अब मौन नहीं रहेंगे।
4. वैश्विक जनरेशन Z आंदोलन: एक साझा चेतना
मेडागास्कर की घटनाओं को यदि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि जनरेशन Z की राजनीतिक सक्रियता अब राष्ट्रीय सीमाओं से परे जा चुकी है।
- हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन,
- थाईलैंड में राजतंत्र विरोधी युवा अभियान,
- अमेरिका और यूरोप में जलवायु न्याय आंदोलन (Fridays for Future),
- और ईरान में महिलाओं के अधिकारों के समर्थन में प्रदर्शन —
सभी एक साझा डिजिटल और नैतिक मंच से जुड़े हैं।
इन आंदोलनों की समानता यह है कि इनमें “नेतृत्व से अधिक संदेश” मायने रखता है — एक ऐसी दुनिया की मांग जहां जवाबदेही, पारदर्शिता और समान अवसर हों।
5. मेडागास्कर संकट के भू-राजनीतिक निहितार्थ
मेडागास्कर की राजनीतिक अस्थिरता केवल घरेलू मुद्दा नहीं है; यह हिंद महासागर क्षेत्र की भू-राजनीतिक स्थिरता से भी जुड़ी है।
- यह देश भारत और अफ्रीका के बीच सामरिक समुद्री मार्ग पर स्थित है।
- चीन, फ्रांस, और भारत — तीनों के इस क्षेत्र में रणनीतिक हित हैं।
इसलिए मेडागास्कर में अस्थिरता से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा, व्यापार मार्गों और नीले अर्थव्यवस्था (Blue Economy) की परियोजनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है।
भारत के लिए भी यह विकास “नीतिगत सतर्कता” का संकेत है — विशेष रूप से अफ्रीकी देशों में युवाओं की आकांक्षाओं को समझने और उनसे जुड़ने की आवश्यकता के संदर्भ में।
6. निष्कर्ष: एक परिवर्तनशील पीढ़ी का संकेत
मेडागास्कर की यह राजनीतिक घटना केवल एक शासन परिवर्तन नहीं, बल्कि पीढ़ीगत परिवर्तन (Generational Shift) का प्रतीक है।
जनरेशन Z अब वैश्विक स्तर पर यह स्थापित कर रही है कि सत्ता केवल बुज़ुर्गों की दुनिया नहीं रही — यह वह युग है जहां टेक्नोलॉजी, पारदर्शिता और जवाबदेही की नई संस्कृति आकार ले रही है।
हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि केवल विरोध और आंदोलन पर्याप्त नहीं हैं। संरचनात्मक परिवर्तन, नीतिगत संवाद, और लोकतांत्रिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण ही इस ऊर्जा को स्थायित्व दे सकते हैं।
मेडागास्कर की घटनाएं अन्य सरकारों के लिए यह चेतावनी हैं कि यदि युवा वर्ग की आकांक्षाओं को अनसुना किया गया, तो सत्ता की नींव कहीं भी हिल सकती है।
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