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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Madagascar 2025 Military Coup: Rajoelina Impeached, Youth Protests Triumph

मेडागास्कर में 2025 का सैन्य तख्तापलट: युवा-नेतृत्व वाली अशांति और आंद्री राजोएलिना का पतन

प्रस्तावना

14 अक्टूबर 2025 को मेडागास्कर ने एक बार फिर इतिहास का चक्र पूरा होते देखा—जब राजधानी अंटानानारीवो में सेना ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और राष्ट्रपति आंद्री राजोएलिना को सत्ता से बेदखल कर दिया। लगभग तीन सप्ताह तक चले छात्र-युवा प्रदर्शनों और प्रशासनिक असंतोष की परिणति इस तख्तापलट में हुई। जिस आंदोलन की शुरुआत पानी-बिजली संकट और बेरोजगारी जैसी बुनियादी समस्याओं से हुई थी, वह अंततः जन असंतोष की व्यापक लहर बन गया।

राष्ट्रपति भवन के बाहर सेना की विशेष इकाई CAPSAT के कमांडर कर्नल माइकल रैंड्रियानिरिना ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि "देश को पुनः स्थिर करने के लिए एक नागरिक नेतृत्व वाली अस्थायी सरकार का गठन किया जाएगा", साथ ही उन्होंने संसद और उच्च संस्थानों को भंग करने की घोषणा भी की। यह घटना न केवल राजोएलिना के शासन का अंत थी, बल्कि मेडागास्कर की बार-बार लौटती सैन्य राजनीति की परंपरा का पुनः स्मरण भी।


ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: तख्तापलटों का चक्र

1960 में फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद मेडागास्कर का लोकतंत्र बार-बार राजनीतिक संकटों और सैन्य हस्तक्षेपों से हिलता रहा है। 1970 और 1980 के दशक में डिडिए रत्सिराका की समाजवादी नीतियाँ, और 2009 का वह तख्तापलट जिसमें राष्ट्रपति मार्क रावलोमानाना को सेना के समर्थन से अपदस्थ किया गया, देश की अस्थिरता के प्रमुख अध्याय रहे हैं।

विडंबना यह है कि 2009 में इसी CAPSAT इकाई के सहारे सत्ता में आए आंद्री राजोएलिना ही 2025 में उसी सेना के द्वारा अपदस्थ किए गए। 2018 और 2023 के विवादित चुनावों के बावजूद राजोएलिना ने “आधुनिकीकरण और विकास” का वादा किया था, लेकिन देश में गरीबी, भ्रष्टाचार और बुनियादी सुविधाओं की कमी जस की तस रही।

विश्व बैंक के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद से मेडागास्कर की प्रति व्यक्ति आय लगभग 45% तक घट चुकी है, और देश की लगभग 75% आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। बिजली और पेयजल जैसी आवश्यक सेवाओं की विफलता ने जनविश्वास को समाप्त कर दिया। इसी पृष्ठभूमि में 2025 की अशांति केवल शासन-विरोधी नहीं, बल्कि पीढ़ीगत असंतोष का प्रतीक बन गई।


युवा आंदोलन और जेन Z की भूमिका

सितंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में जब लगातार बिजली कटौती और जल संकट ने राजधानी को पंगु बना दिया, तब विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों ने सोशल मीडिया के माध्यम से “Gen Z Madagascar” नामक एक आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन किसी पारंपरिक राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि डिजिटल युग की नई पीढ़ी की स्वतःस्फूर्त ऊर्जा से संचालित था।

प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर उतरकर राष्ट्रीय ध्वज और एनिमी सीरीज़ वन पीस के प्रतीक चिह्नों को अपने प्रतिरोध का प्रतीक बनाया। उनकी मांगें सरल थीं—भ्रष्टाचार का अंत, रोजगार के अवसर और प्रशासनिक जवाबदेही।

सरकार ने इसे “राज्य-विरोधी साजिश” करार दिया और बल प्रयोग किया, जिसके परिणामस्वरूप 20 से अधिक लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। निर्णायक क्षण तब आया जब CAPSAT सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया और सरकार से खुला टकराव कर लिया।

11 अक्टूबर तक सेना के कई धड़े राजोएलिना सरकार से अलग हो गए, और 12 अक्टूबर को रक्षा मंत्री की सहमति से जनरल डेमोस्थेन पिकुलास को नया सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। यह वही बिंदु था जब राजोएलिना की राजनीतिक पकड़ टूट गई।


सत्ता परिवर्तन: महाभियोग, पलायन और नई व्यवस्था

14 अक्टूबर को संसद ने विशेष सत्र बुलाकर राष्ट्रपति पर संवैधानिक उल्लंघन और जनहित की अनदेखी के आरोपों में महाभियोग पारित कर दिया। उसी दिन अंटानानारीवो की सड़कों पर हजारों लोग नाचते-गाते हुए “राजोएलिना हटाओ” के नारे लगा रहे थे।

दोपहर तक सैनिकों ने राष्ट्रपति भवन पर नियंत्रण कर लिया। कर्नल रैंड्रियानिरिना ने एक बख्तरबंद वाहन से घोषणा की—“सत्ता अब जनता और सेना की संयुक्त जिम्मेदारी होगी।” शाम होते-होते राजोएलिना को फ्रांसीसी सहायता से देश से बाहर निकाला गया।

यह दृश्य 2009 की घटनाओं की उलटी पुनरावृत्ति जैसा था। तब वे ‘युवा नेता’ के रूप में सैन्य समर्थन से सत्ता में आए थे, और अब ‘जनता की मांग’ के नाम पर सेना ने उन्हें अपदस्थ कर दिया।


निहितार्थ: लोकतंत्र और सैन्यवाद के बीच

यह तख्तापलट एक विडंबनापूर्ण स्थिति प्रस्तुत करता है—जहाँ सेना ने खुद को लोकतांत्रिक सुधारों का संरक्षक बताया, वहीं उच्च संस्थानों को भंग कर दिया, जिससे लोकतांत्रिक संतुलन पर प्रश्न उठे।

आशावादी दृष्टिकोण से, यदि घोषित दो वर्षीय नागरिक नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पारदर्शिता और सुधार की दिशा में कदम उठाती है, तो यह देश के लिए एक नए सामाजिक अनुबंध की शुरुआत हो सकती है। युवाओं की सक्रियता और डिजिटल संगठन क्षमता लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर पुनर्जीवित कर सकती है।

परंतु, इसके विपरीत इतिहास चेतावनी देता है कि अफ्रीका में अधिकांश सैन्य तख्तापलट ‘संक्रमणकालीन सरकार’ के नाम पर लंबे सत्तावाद में बदल गए हैं—माली, गिनी और नाइजर जैसे उदाहरण इसके साक्ष्य हैं। यदि अस्थायी सरकार ने संस्थागत नियंत्रण और पारदर्शिता नहीं अपनाई, तो मेडागास्कर भी उसी अस्थिरता के चक्र में फँस सकता है।


निष्कर्ष

मेडागास्कर का 2025 का तख्तापलट केवल एक सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि एक पीढ़ीगत आह्वान है। यह उस युवा आबादी की आवाज़ है जो बेहतर शासन, रोजगार और समान अवसरों की मांग कर रही है। आंद्री राजोएलिना का पतन इस तथ्य को रेखांकित करता है कि वैधता केवल चुनाव जीतने से नहीं, बल्कि जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने से मिलती है।

अब चुनौती यह है कि क्या सेना और नई अस्थायी सरकार इस ऊर्जा को संस्थागत सुधारों में बदल पाएँगे, या यह भी इतिहास के पन्नों में एक और तख्तापलट के रूप में दर्ज हो जाएगा।
यदि वैश्विक समुदाय और अफ्रीकी संघ इस संक्रमण को सहयोग और निगरानी के माध्यम से संतुलित करें, तो यह संकट लोकतंत्र की पुनर्जागरण यात्रा की शुरुआत बन सकता है।


With Reuters and Washington Post Inputs 

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