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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

India-Canada Relations 2025: A Balanced Reset Amid Hardeep Singh Nijjar Controversy

भारत-कनाडा संबंध 2025: निज्जर हत्याकांड की छाया में एक नया अध्याय

परिचय

कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद की अक्टूबर 2025 की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नया मोड़ लाया। यह यात्रा दो साल में पहली उच्च-स्तरीय मुलाकात थी, जो तनाव के बाद सुलह और सहयोग की दिशा में एक कदम थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मिलकर एक संयुक्त बयान जारी हुआ, जिसमें व्यापार, निवेश, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ऊर्जा, और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में एक नया रास्ता तैयार करने की बात कही गई। यह कदम 2023 में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद उत्पन्न तनाव के बाद आया, जो अब भी संबंधों पर छाया हुआ है। यह लेख इस यात्रा के महत्व, खालिस्तानी मुद्दे की चुनौतियों, और भारत-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता पर इसके प्रभाव को समझने की कोशिश करता है।

पृष्ठभूमि: टकराव से साझेदारी की ओर

भारत और कनाडा, दोनों राष्ट्रमंडल देश, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और आर्थिक हितों से जुड़े हैं। व्यापार, ऊर्जा, और तकनीक के क्षेत्र में दोनों देश एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन 2023 में निज्जर की हत्या ने इन संबंधों को झटका दिया। कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों—जो हत्या को भारतीय एजेंटों से जोड़ते थे—ने राजनयिक तनाव को बढ़ाया। भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कनाडा पर खालिस्तानी चरमपंथियों को शरण देने का आरोप लगाया। नतीजतन, राजनयिक संबंध कमजोर हुए, व्यापार वार्ताएं रुकीं, और आपसी भरोसा डगमगाया।

2025 में, नए कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में माहौल बदला। खालिस्तानी चरमपंथ को लेकर कनाडा का रुख नरम पड़ा, और दोनों देशों ने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश शुरू की। आनंद की यात्रा इसी दिशा में एक ठोस कदम थी, जो वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों और आर्थिक जरूरतों से प्रेरित थी।

यात्रा का सार: सहयोग की नई राह

आनंद की यात्रा ने भारत और कनाडा के बीच एक नई शुरुआत की नींव रखी। विदेश मंत्री जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकातों ने आपसी हितों को मजबूत करने पर जोर दिया। संयुक्त बयान में "साझा मूल्य, कानून का शासन, और संप्रभुता का सम्मान" जैसे शब्दों ने दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाया।

इस "नए रोडमैप" में कई अहम बिंदु हैं:

  • ऊर्जा सहयोग: स्वच्छ ऊर्जा, जैसे हरित हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर, पर जोर।
  • व्यापार और निवेश: 2026 में सीईओ फोरम के जरिए व्यापारिक रिश्तों को बढ़ावा।
  • प्रौद्योगिकी: एआई, साइबर सुरक्षा, और फिनटेक में साझेदारी।
  • सुरक्षा: कानून प्रवर्तन और सूचना आदान-प्रदान पर सहयोग।

मुंबई में व्यापारिक गोलमेज ने कनाडाई कंपनियों के भारत में निवेश की संभावनाओं को रेखांकित किया, जो रोजगार और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देगा। यह सब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने की जरूरत को दर्शाता है।

चुनौतियां: खालिस्तान का सवाल

निज्जर हत्याकांड का मुद्दा अब भी अनसुलझा है। संयुक्त बयान में इसे सीधे तौर पर नहीं छुआ गया, लेकिन "संवेदनशीलताओं का सम्मान" जैसे शब्द इसकी ओर इशारा करते हैं। भारत कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर चिंतित है, जबकि कनाडा में सिख समुदाय का एक हिस्सा निष्पक्ष जांच की मांग करता है। यह तनाव दोनों देशों के बीच पूर्ण विश्वास बहाली में बाधा है।

कनाडा की घरेलू राजनीति भी इस मुद्दे को जटिल बनाती है। सिख समुदाय का प्रभाव और चरमपंथ के खिलाफ कार्रवाई का संतुलन बनाना कनाडा के लिए चुनौती है। दूसरी ओर, भारत अपनी संप्रभुता को लेकर सजग है।

निष्कर्ष: एक सतर्क कदम आगे

आनंद की यात्रा ने भारत-कनाडा संबंधों में एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत की है। यह तनाव को पीछे छोड़कर आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी पर ध्यान देने का प्रयास है। स्वच्छ ऊर्जा, तकनीक, और व्यापार में सहयोग भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता ला सकता है। लेकिन, खालिस्तानी मुद्दे और निज्जर हत्याकांड की जांच का सवाल अब भी हल होना बाकी है। दोनों देशों को पारदर्शिता और आपसी भरोसे के साथ आगे बढ़ना होगा। यह साझेदारी, अगर सावधानी से संभाली गई, तो वैश्विक मंच पर लोकतांत्रिक देशों के बीच सहयोग का एक नया मॉडल बन सकती है।

UPSC अभ्यास प्रश्न

"वैश्विक राजनीति में विश्वास और पारदर्शिता ही लोकतांत्रिक साझेदारी का आधार हैं" — भारत–कनाडा संबंधों के संदर्भ में विवेचना कीजिए।

With Reuters, Indian Express, The Hindu Inputs


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