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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

India-Brazil Defence Cooperation: Akash Missile System Export Proposal Strengthens India’s Strategic Position

भारत-ब्राजील रक्षा सहयोग: आकाश मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति का प्रस्ताव और उसका रणनीतिक महत्व

परिचय

21वीं सदी का वैश्विक परिदृश्य केवल आर्थिक प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं है; अब यह रक्षा प्रौद्योगिकी और रणनीतिक साझेदारी का भी युग है।
इसी संदर्भ में भारत ने हाल ही में ब्राजील को स्वदेशी रूप से विकसित आकाश मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति के लिए प्रस्ताव दिया है।
यह प्रस्ताव नई दिल्ली में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान सामने आया, जिसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ब्राजील के उपराष्ट्रपति जेराल्डो अल्कमिन ने द्विपक्षीय सहयोग पर विस्तृत चर्चा की।

यह कदम केवल रक्षा सौदे का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत की “आत्मनिर्भर भारत” रक्षा नीति, तकनीकी स्वावलंबन और वैश्विक दक्षिण (Global South) में उसकी बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का भी परिचायक है।


आकाश मिसाइल प्रणाली: स्वदेशी क्षमता का प्रतीक

आकाश मिसाइल प्रणाली भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक मध्यम दूरी की सतह-से-हवा (Surface-to-Air) रक्षा प्रणाली है।
यह प्रणाली 25 किलोमीटर तक की दूरी पर उड़ते लड़ाकू विमानों, ड्रोन, हेलीकॉप्टरों और क्रूज़ मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है।

मुख्य तकनीकी विशेषताएँ —

  • रेंज: लगभग 25 किमी
  • वारहेड क्षमता: 60 किलोग्राम तक
  • गति: ध्वनि की गति से लगभग 2.5 गुना
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: मोबाइल ट्रक आधारित, जिससे यह अत्यधिक लचीली (mobile) प्रणाली बनती है।
  • नियंत्रण प्रणाली: एकीकृत रडार-ट्रैकिंग और कमांड कंट्रोल नेटवर्क, जो एक साथ कई लक्ष्यों पर कार्यवाही कर सकता है।

यह प्रणाली भारतीय सेना और वायुसेना दोनों में पहले से तैनात है, और इसके विभिन्न संस्करणों—आकाश-NG (नेक्स्ट जेनरेशन)—पर भी कार्य जारी है।
इसका निर्यात प्रस्ताव भारत की प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता का प्रमाण है।


भारत-ब्राजील रक्षा सहयोग का विकासशील संदर्भ

भारत और ब्राजील दोनों BRICS समूह के संस्थापक सदस्य हैं और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में दक्षिणी साझेदारी (South-South Cooperation) को मजबूत करने के पक्षधर हैं।

हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच —

  • संयुक्त सैन्य अभ्यास,
  • रक्षा अनुसंधान सहयोग, और
  • रक्षा उद्योगों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी — जैसी गतिविधियाँ बढ़ी हैं।

ब्राजील, जो लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति है, अपनी वायु रक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयास में है।
ऐसे में भारत की आकाश प्रणाली ब्राजील के लिए एक किफायती, विश्वसनीय और स्वदेशी विकल्प प्रस्तुत करती है, जो पश्चिमी देशों की महंगी प्रणालियों (जैसे Patriot या NASAMS) का एक व्यवहारिक विकल्प है।


भू-राजनीतिक निहितार्थ

भारत का यह प्रस्ताव केवल व्यापारिक दृष्टि से नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  1. वैश्विक रक्षा बाजार में भारत का उदय:
    पारंपरिक रूप से अमेरिका, रूस और यूरोपीय देश ही हथियार आपूर्ति में अग्रणी रहे हैं।
    भारत, आकाश जैसी प्रणालियों के माध्यम से, इस बाजार में विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरना चाहता है।
    यह न केवल भारत की तकनीकी छवि को सुदृढ़ करेगा, बल्कि उसे “प्रौद्योगिकीय लोकतंत्रीकरण” का वाहक भी बनाएगा।

  2. ‘आत्मनिर्भर भारत’ और निर्यात लक्ष्य:
    भारत ने 2028 तक ₹35,000 करोड़ के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।
    ब्राजील को आकाश मिसाइल प्रणाली की संभावित आपूर्ति इस दिशा में एक निर्णायक कदम हो सकती है।

  3. दक्षिण अमेरिकी क्षेत्र में रणनीतिक उपस्थिति:
    दक्षिण अमेरिका अब तक पश्चिमी रक्षा उद्योगों के प्रभाव में रहा है।
    भारत-ब्राजील रक्षा साझेदारी इस क्षेत्र में भारत की कूटनीतिक पैठ को बढ़ाएगी और वैश्विक दक्षिण के सैन्य संतुलन को नया आयाम देगी।

  4. BRICS के भीतर सामरिक एकता:
    चीन और रूस के समान, भारत और ब्राजील के बीच रक्षा सहयोग BRICS को एक विकासशील सुरक्षा मंच के रूप में मजबूत बना सकता है।


चुनौतियाँ और संभावित बाधाएँ

हालांकि अवसर व्यापक हैं, लेकिन कुछ वास्तविक चुनौतियाँ भी मौजूद हैं —

  • ब्राजील की विविध रक्षा खरीद नीति:
    ब्राजील पहले से ही स्वीडन (Gripen फाइटर जेट) और रूस जैसे देशों से रक्षा उपकरण प्राप्त कर रहा है।
    ऐसे में भारत को तकनीकी प्रदर्शन और लागत प्रतिस्पर्धा में खुद को साबित करना होगा।

  • राजनीतिक और नौकरशाही विलंब:
    रक्षा सौदे प्रायः लंबी वार्ताओं, मूल्यांकन प्रक्रियाओं और राजनीतिक अनुमोदन से गुजरते हैं।

  • तकनीकी ट्रांसफर (ToT) की शर्तें:
    ब्राजील स्वदेशी उत्पादन या आंशिक लाइसेंसिंग की शर्त रख सकता है, जिसके लिए भारत को रणनीतिक लचीलापन दिखाना होगा।

फिर भी, भारत के लिए यह एक ऐसा अवसर है जो न केवल उसके रक्षा उद्योग की विश्वसनीयता बढ़ा सकता है, बल्कि उसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का सक्रिय घटक भी बना सकता है।


रणनीतिक अवसर: रक्षा से परे सहयोग

भारत-ब्राजील रक्षा साझेदारी केवल हथियारों की आपूर्ति तक सीमित नहीं है।
यह सहयोग अंतरिक्ष तकनीक, समुद्री सुरक्षा, साइबर रक्षा और शांति स्थापना अभियानों में भी विस्तार पा सकता है।
दोनों देशों के बीच संयुक्त रक्षा अनुसंधान केंद्र, या DRDO-Embraer सहयोग मॉडल जैसी पहलें भविष्य में रक्षा नवाचार को और गति दे सकती हैं।


निष्कर्ष

भारत द्वारा ब्राजील को आकाश मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति का प्रस्ताव एक कूटनीतिक, रणनीतिक और तकनीकी मील का पत्थर साबित हो सकता है।
यह केवल रक्षा निर्यात नहीं, बल्कि भारत की स्वदेशी क्षमता और वैश्विक दृष्टिकोण का प्रदर्शन है।

यदि यह समझौता आगे बढ़ता है, तो यह भारत-ब्राजील संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा और भारत को वैश्विक दक्षिण के रक्षा भागीदारों में अग्रणी स्थान दिलाएगा।
यह पहल न केवल भारत की रक्षा नीति की परिपक्वता को दर्शाती है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि —

“भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा वास्तुकला का निर्माता बन रहा है।”


संदर्भ:

  • रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार – आधिकारिक विज्ञप्ति (अक्टूबर 2025)
  • The Hindu (16 अक्टूबर 2025) — “India pitches for supply of Akash missile system to Brazil”
  • DRDO वार्षिक रिपोर्ट, 2024–25


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