संपादकीय: गाजा युद्धविराम प्रस्ताव और शांति की संभावनाएं
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित गाजा युद्धविराम योजना ने मध्य पूर्व के लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष में एक नई उम्मीद की किरण जगाई है। हामास के इस प्रस्ताव को सशर्त स्वीकार करने की घोषणा ने वैश्विक मंच पर चर्चा को तीव्र कर दिया है। यह प्रस्ताव, जिसमें तत्काल युद्धविराम, बंधकों की रिहाई, इजरायली सेना की चरणबद्ध वापसी और गाजा में मानवीय सहायता की वृद्धि जैसे बिंदु शामिल हैं, एक जटिल लेकिन संभावनापूर्ण कदम है। कतर और मिस्र जैसे देशों का समर्थन इसकी विश्वसनीयता को और मजबूत करता है।
हामास की सशर्त स्वीकृति, विशेष रूप से इजरायली वापसी और गाजा के भविष्य के प्रशासन पर बातचीत की मांग, यह दर्शाती है कि पूर्ण सहमति अभी दूर है। हामास का अपनी सैन्य शक्ति छोड़ने या गाजा में अपनी भूमिका समाप्त करने पर स्पष्ट रुख न अपनाना एक चुनौती है। दूसरी ओर, इजरायल ने हामास के बयान को प्रस्ताव की अस्वीकृति माना है, जो दोनों पक्षों के बीच गहरे अविश्वास को उजागर करता है।
ट्रंप की इस योजना में प्रस्तावित 'पीस बोर्ड' और गाजा के प्रशासन के लिए अंतरिम तकनीकी समिति जैसे विचार नवीन हैं, लेकिन उनकी व्यावहारिकता संदेह के घेरे में है। गाजा, जो दो साल के युद्ध में मलबे का ढेर बन चुका है, को पुनर्निर्माण और स्थिरता की सख्त जरूरत है। इसके लिए न केवल सैन्य तनाव में कमी, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास की आवश्यकता होगी।
यह प्रस्ताव एक अवसर है, लेकिन इसकी सफलता दोनों पक्षों की नीयत और मध्यस्थ देशों की कूटनीतिक कुशलता पर निर्भर करती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह इस पहल को केवल राजनैतिक दबाव का साधन न बनाए, बल्कि गाजा की जनता के लिए शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करे। इस संकटग्रस्त क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए अविश्वास को विश्वास में बदलना होगा, और यह तभी संभव है जब सभी पक्ष खुले मन से बातचीत के लिए आगे आएं।
With inputs Washington Post
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