गाजा युद्ध और इज़रायल की वैश्विक स्थिति: बदलती धारणा और अमेरिकी विवशता
परिचय
5 अक्टूबर 2025 को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने CBS News के कार्यक्रम “Face the Nation” में कहा — “चाहे आप इसे उचित मानें या नहीं, आप इस युद्ध के इज़रायल की वैश्विक स्थिति पर पड़े प्रभाव को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।” यह कथन मात्र कूटनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि उस वास्तविकता की स्वीकारोक्ति है जिसे अब अमेरिका भी अनदेखा नहीं कर पा रहा — कि गाजा युद्ध ने इज़रायल को अभूतपूर्व वैश्विक आलोचना और कूटनीतिक अलगाव की स्थिति में ला खड़ा किया है।युद्ध की पृष्ठभूमि
गाजा युद्ध की जड़ें 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इज़रायल पर किए गए हमले में निहित हैं, जिसमें लगभग 1,200 नागरिक मारे गए और 250 से अधिक बंधक बनाए गए। इज़रायल की जवाबी कार्रवाई ने गाजा को खंडहर में बदल दिया। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अब तक 67,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शुरुआती हफ्तों में ही चेताया था कि नागरिक हताहतों की यह संख्या इस बात की ओर संकेत करती है कि “कुछ मूल रूप से गलत हो रहा है।”
इज़रायल का कूटनीतिक अलगाव
दो वर्षों से जारी इस युद्ध ने न केवल गाजा को तबाह किया, बल्कि इज़रायल को भी वैश्विक स्तर पर अलग-थलग कर दिया।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा में इज़रायल के खिलाफ लगातार प्रस्ताव पारित हुए — 2023 में मानवीय ट्रूस (120 वोट), 2024 में स्थायी युद्धविराम (158 वोट), और हाल ही में तत्काल युद्धविराम के लिए 149 देशों का समर्थन।
- इसके विपरीत, अमेरिका और इज़रायल सहित केवल दर्जन भर देश ही विरोध में खड़े दिखे।
- अमेरिका को अपने पुराने सहयोगी की रक्षा के लिए पिछले दो वर्षों में छह बार वीटो का इस्तेमाल करना पड़ा — एक रिकॉर्ड जो वैश्विक असहमति का द्योतक है।
इस युद्ध ने पश्चिमी खेमे में भी विभाजन पैदा किया। फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों ने अब फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र में दो-राज्य समाधान के पक्ष में 142 देशों का मतदान यह दर्शाता है कि अब वैश्विक सहमति इज़रायल से हटकर न्यायोचित समाधान की ओर झुक रही है।
अमेरिका की भूमिका और विवशता
अमेरिका दशकों से इज़रायल का सबसे बड़ा कूटनीतिक कवच रहा है। लेकिन अब उसे महसूस हो रहा है कि युद्ध की नैरेटिव उसके हाथों से फिसल रही है।
रुबियो का यह बयान अमेरिकी प्रशासन के भीतर बढ़ती असहजता को उजागर करता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान — कि “इज़रायल बहुत आगे बढ़ गया है और उसने दुनिया का समर्थन खो दिया है” — इस बात का संकेत हैं कि वाशिंगटन में भी गाजा नीति को लेकर पुनर्विचार चल रहा है।
ट्रंप प्रशासन की नई योजना हमास के पूर्ण उन्मूलन, बंधकों की रिहाई और गाजा के पुनर्निर्माण पर केंद्रित है। लेकिन यह रणनीति तभी टिकाऊ हो सकती है जब गाजा में कोई नई प्रशासनिक व्यवस्था बने, जो न तो हमास जैसी हो, न ही इज़रायली कब्ज़े पर आधारित।
अमेरिका यह भी मानता है कि फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता तभी संभव होगी जब इज़रायल की सुरक्षा सुनिश्चित हो — परंतु नेतन्याहू सरकार इस विचार से अब भी असहमत है।
बदलता वैश्विक समीकरण
गाजा युद्ध ने विश्व समुदाय में दो बड़े परिवर्तन लाए हैं:
- इज़रायल के प्रति समर्थन में गिरावट: पहले जो देश इज़रायल के आत्मरक्षा अधिकार की बात करते थे, अब उसी अधिकार के नाम पर हो रहे “नागरिक विनाश” की निंदा कर रहे हैं।
- दो-राज्य समाधान का पुनरुत्थान: संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ अब इसे “स्थायी शांति की एकमात्र राह” मान रहे हैं।
फिलिस्तीनी राज्य की मांग अब केवल अरब देशों का एजेंडा नहीं रही; यह अब वैश्विक न्याय और मानवीय नैतिकता का प्रश्न बन चुकी है।
अमेरिका-इज़रायल संबंधों की परीक्षा
यह युद्ध अमेरिका-इज़रायल साझेदारी के लिए भी परीक्षा की घड़ी है। अमेरिका अब ऐसी स्थिति में है जहाँ उसे एक ओर अपने पारंपरिक सहयोगी की सुरक्षा की गारंटी देनी है, तो दूसरी ओर अपनी वैश्विक छवि को “मानवाधिकारों के रक्षक” के रूप में बनाए रखना है।
रुबियो और ट्रंप के बयानों से यह स्पष्ट है कि वाशिंगटन अब इज़रायल की हर कार्रवाई का बिना शर्त समर्थन नहीं कर सकता।
निष्कर्ष
गाजा युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधुनिक विश्व में सैन्य वर्चस्व कूटनीतिक पूंजी नहीं बन सकता। इज़रायल की सैन्य शक्ति ने हमास को कमजोर किया होगा, परंतु उसने अपनी नैतिक शक्ति और वैश्विक प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है।
अमेरिका के लिए अब यह एक रणनीतिक और नैतिक चुनौती है — वह कब तक “अंध समर्थन” की नीति पर टिके रह सकता है, जब उसकी अपनी जनता और वैश्विक समुदाय “न्याय आधारित शांति” की मांग कर रहे हैं।
भविष्य की दिशा अब इस बात पर निर्भर करेगी कि इज़रायल और अमेरिका मिलकर गाजा में स्थायी राजनीतिक समाधान की दिशा में कितनी तत्परता और संवेदनशीलता दिखाते हैं।
With Reuters Inputs
Comments
Post a Comment