Skip to main content

MENU👈

Show more

Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Gaza War Ceasefire Talks: A Fragile Step Toward Peace and Regional Stability

"गाजा युद्ध समाप्ति की दिशा में नाजुक वार्ता: शांति की उम्मीद और कूटनीतिक जटिलताएं"

गाजा में लगभग दो वर्षों से जारी विनाश, रक्तपात और मानवीय संकट के बीच शर्म अल-शेख (मिस्र) में शुरू हुई हमास और इज़राइल के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता ने विश्व समुदाय में एक सतर्क आशा जगाई है। 6 अक्टूबर 2025 से आरंभ हुई यह वार्ता न केवल युद्धविराम की संभावनाओं को नया जीवन दे रही है, बल्कि मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयास भी बन रही है।

🔹 युद्ध की पृष्ठभूमि और मानवीय त्रासदी

यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को हमास के अप्रत्याशित हमले से शुरू हुआ था, जिसने इज़राइल की सुरक्षा व्यवस्था और उसकी खुफिया प्रणाली दोनों को झकझोर दिया। इसके जवाब में इज़राइल ने गाजा पर जबरदस्त सैन्य अभियान चलाया, जिसने पूरे क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, अब तक लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों नागरिकों ने अपनी जान गंवाई है।
गाजा अब एक मानवीय त्रासदी का प्रतीक बन चुका है — बिजली, पानी और भोजन जैसी बुनियादी जरूरतें भी दुर्लभ हैं।

🔹 ट्रम्प का 20-सूत्री प्रस्ताव: एक नया कूटनीतिक प्रयोग

मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने “20-सूत्री युद्धविराम प्रस्ताव” पेश किया है, जिसमें बंधकों की चरणबद्ध रिहाई, इज़राइली सैनिकों की वापसी, हमास का निरस्त्रीकरण, और गाजा के सैन्यीकरण का अंत जैसे संवेदनशील बिंदु शामिल हैं।
ट्रम्प ने दावा किया है कि हमास प्रस्ताव के कुछ तत्वों, विशेषकर बंधक रिहाई के चरणबद्ध मॉडल, पर सहमति जताने को तैयार है। हालांकि, हमास की यह शर्त कि इज़राइल गाजा से पूरी तरह हटे और कब्जा समाप्त करे, वार्ता की दिशा को चुनौतीपूर्ण बना रही है।

🔹 नेतन्याहू की स्थिति और इज़राइल की रणनीति

इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने घरेलू राजनीतिक आधार को सशक्त बनाए रखने के लिए इस वार्ता को “सैन्य विजय की निरंतरता” के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। लेकिन जमीनी स्थिति इससे कहीं अधिक जटिल है। इज़राइल के भीतर युद्ध से थके नागरिक अब युद्धविराम की मांग कर रहे हैं, जबकि दक्षिणी इज़राइल के सीमावर्ती इलाकों में लगातार हमलों का भय कायम है।
इसके अतिरिक्त, मानवीय सहायता और गाजा के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में इज़राइल की भागीदारी पर भी मतभेद बने हुए हैं। हाल के हवाई हमलों में निर्दोषों की मौत ने शांति प्रयासों की नाजुकता को और गहरा कर दिया है।

🔹 अरब देशों की भूमिका और क्षेत्रीय समीकरण

मिस्र, कतर और जॉर्डन जैसे देशों ने इस वार्ता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी इसे मध्य पूर्व में स्थिरता लाने का अवसर मान रहे हैं।
कूटनीतिक स्तर पर यह सहयोग “अरब एकता” की दिशा में एक संकेत हो सकता है, जो लंबे समय से विभाजनों से ग्रस्त रही है। परंतु यह भी सच है कि ईरान और लेबनान का हिज़्बुल्लाह जैसे संगठन इस प्रक्रिया से असंतुष्ट हैं, और यह असंतोष भविष्य में शांति प्रक्रिया को कमजोर कर सकता है।

🔹 भरोसे का संकट और जमीनी वास्तविकता

मध्यस्थों ने बार-बार यह चेतावनी दी है कि जल्दबाजी में किसी ठोस परिणाम की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। हमास और इज़राइल के बीच विश्वास की कमी, निरंतर हिंसा और क्षेत्रीय हितों का टकराव वार्ता को बेहद नाजुक बनाते हैं।
दोनों पक्षों की राजनीतिक संरचनाएँ भी आंतरिक दबावों से जूझ रही हैं — हमास अपने अस्तित्व की वैधता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, जबकि नेतन्याहू घरेलू आलोचना और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। ऐसे में “शांति” एक राजनीतिक उपकरण बन सकती है, न कि वास्तविक लक्ष्य।

🔹 अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी

इस प्रक्रिया की सफलता का निर्धारण केवल हमास और इज़राइल के रुख से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्पक्षता और दृढ़ता से होगा। अमेरिका, मिस्र और कतर को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह वार्ता केवल कागजी न रह जाए, बल्कि गाजा के नागरिकों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाए।
संयुक्त राष्ट्र को भी युद्ध अपराधों, पुनर्वास और मानवीय सहायता पर निगरानी की भूमिका निभानी चाहिए ताकि शांति स्थायी हो सके।

🔹 निष्कर्ष: एक उम्मीद, पर लंबा रास्ता बाकी

गाजा की यह वार्ता इतिहास के उस मोड़ पर हो रही है जब मध्य पूर्व फिर से या तो स्थायी शांति की ओर बढ़ सकता है, या हिंसा के एक और चक्र में फंस सकता है।
दोनों पक्षों को अब यह समझना होगा कि युद्ध की कोई अंतिम जीत नहीं होती; हार हमेशा मानवता की होती है।
यदि यह वार्ता ईमानदारी और समझदारी से आगे बढ़ी, तो यह न केवल गाजा के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।
परंतु अगर यह भी असफल हुई, तो गाजा फिर उसी धधकते मरुस्थल में लौट जाएगा, जहाँ शांति केवल एक सपना है और हर बच्चे की आंखों में भविष्य नहीं, बस भय बसा है।

— यही समय है जब हथियारों से नहीं, संवाद से इतिहास लिखा जाए।


Comments

Advertisement

POPULAR POSTS