रसायन विज्ञान के नोबेल से पर्यावरण संरक्षण की नई उम्मीद
2025 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों — सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और ओमार एम. याघी — को मिला है। इन तीनों को यह सम्मान मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (Metal-Organic Frameworks – MOFs) पर किए गए उनके अद्वितीय शोध कार्य के लिए दिया गया है। यह खोज न केवल रसायन विज्ञान की दुनिया में एक बड़ा कदम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संकट से निपटने के लिए एक नई उम्मीद भी लेकर आई है।
🔬 क्या हैं मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOFs)?
MOFs को आप “आणविक स्पंज” कह सकते हैं। ये सूक्ष्म स्तर पर ऐसे ढाँचे होते हैं जिनमें छोटे-छोटे छिद्र (pores) बने होते हैं। ये छिद्र गैसों और रसायनों को पकड़कर संग्रहित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए — कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन या यहाँ तक कि ‘फॉरएवर केमिकल्स’ (PFAS) जैसे हानिकारक रासायनिक तत्वों को भी ये फँसाकर निष्क्रिय कर सकते हैं।
इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि बिजली संयंत्रों और फैक्ट्रियों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों को रोका जा सकता है, जिससे वैश्विक तापमान वृद्धि को कम करने में मदद मिल सकती है। कुछ MOFs ऐसे भी हैं जो परमाणु हथियारों में प्रयुक्त जहरीली गैसों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं — यह खोज मानव सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
🌍 पर्यावरण के लिए क्रांतिकारी कदम
आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और प्लास्टिक कचरे जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में यह शोध एक नए मार्ग की ओर संकेत करता है। MOFs पर्यावरण की रक्षा के लिए किफ़ायती, टिकाऊ और व्यवहारिक विकल्प बन सकते हैं। आने वाले वर्षों में यदि इनका बड़े पैमाने पर उपयोग संभव हो सका, तो यह तकनीक कार्बन कैप्चर और स्वच्छ ऊर्जा दोनों के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
👨🔬 वैज्ञानिकों की प्रेरणादायक यात्रा
तीनों विजेताओं की कहानियाँ उतनी ही प्रेरणादायक हैं जितनी उनकी खोजें।
- ओमार याघी, जो जॉर्डन के एक छोटे से गाँव में बिना बिजली और पानी के पले-बढ़े, 15 साल की उम्र में अमेरिका पहुँचे और आज दुनिया के अग्रणी रसायनज्ञों में गिने जाते हैं।
- सुसुमु कितागावा ने अपनी “बेकार की उपयोगिता (usefulness of uselessness)” की अवधारणा से यह दिखाया कि जो चीज़ आज अनुपयोगी लगती है, वही कल किसी क्रांति की नींव बन सकती है।
- रिचर्ड रॉबसन ने रासायनिक संरचनाओं के ऐसे जाल बनाए जिन्होंने इस पूरी दिशा में शोध का रास्ता खोला।
इनकी यात्राएँ यह संदेश देती हैं कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला की सीमाओं में नहीं बंधा होता, बल्कि यह मानवीय जिज्ञासा, परिश्रम और कल्पना का परिणाम है।
⚙️ चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
हालाँकि, MOFs का व्यावसायिक उपयोग अभी शुरुआती दौर में है। इन्हें बड़े पैमाने पर उत्पादन में लाना तकनीकी और आर्थिक दोनों दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है। लेकिन इतिहास गवाह है कि हर बड़ी वैज्ञानिक खोज को व्यावहारिक रूप लेने में समय लगता है — जैसे सौर ऊर्जा, विद्युत वाहन या इंटरनेट के साथ हुआ।
इसलिए यह नोबेल पुरस्कार केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि विज्ञान में दीर्घकालिक निवेश की उपयोगिता का प्रमाण है।
🔭 निष्कर्ष: विज्ञान में निवेश, भविष्य में निवेश
यह पुरस्कार हमें याद दिलाता है कि विज्ञान सिर्फ जटिल समीकरणों या प्रयोगशालाओं की दीवारों तक सीमित नहीं है। यह हमारे ग्रह को बचाने और भविष्य को सुरक्षित बनाने का सबसे भरोसेमंद साधन है।
अब ज़रूरत है कि दुनिया भर की सरकारें और संस्थाएँ विज्ञान व अनुसंधान में निवेश बढ़ाएँ, ताकि ऐसे नवाचारों को वास्तविक जीवन में लागू किया जा सके।
MOFs की तरह कई अन्य खोजें हमारी धरती को स्वच्छ, सुरक्षित और रहने योग्य बना सकती हैं — बशर्ते हम उन्हें मौका दें।
यह नोबेल पुरस्कार न केवल तीन वैज्ञानिकों का सम्मान है, बल्कि मानवता की उस जिज्ञासा और उम्मीद का उत्सव है, जो हमें हर संकट में समाधान खोजने की प्रेरणा देती है।
With BBC Inputs
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