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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Petal Gahlot: The Rise of India's New Diplomatic Force at the UN

पेटल गहलोत: संयुक्त राष्ट्र में भारत की नई कूटनीतिक ताकत का उदय

संयुक्त राष्ट्र महासभा का मंच वैश्विक कूटनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जहां राष्ट्र अपनी नीतियों और दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखते हैं। सितंबर 2025 में, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कश्मीर और भारत पर पुराने आरोप दोहराए, तो भारत की ओर से जवाब देने आईं पेटल गहलोत — एक युवा, तेजतर्रार और आत्मविश्वास से भरी राजनयिक। उनका तथ्य-आधारित, आक्रामक और तर्कपूर्ण भाषण न केवल पाकिस्तान के दावों को ध्वस्त करता है, बल्कि भारत की बदलती कूटनीतिक धार का प्रतीक बन गया। यह संपादकीय भारत की इस नई कूटनीतिक शक्ति और इसके वैश्विक प्रभाव की पड़ताल करता है।

पेटल गहलोत: भारतीय कूटनीति का उभरता चेहरा  

पेटल गहलोत, भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की फर्स्ट सेक्रेटरी, नई पीढ़ी की कूटनीति का प्रतीक हैं। दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेजों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से शिक्षा प्राप्त पेटल ने 2020 में विदेश मंत्रालय में कदम रखा और 2023 में संयुक्त राष्ट्र मिशन से जुड़ीं। उनकी यह यात्रा भारत की उस सोच को दर्शाती है, जो युवा ऊर्जा और बुद्धिमत्ता को वैश्विक मंच पर अवसर दे रही है।

पाकिस्तान के आरोप और भारत का करारा जवाब

पाकिस्तान ने इस बार भी कश्मीर को लेकर मानवाधिकार हनन और आत्मनिर्णय जैसे घिसे-पिटे दावे दोहराए। लेकिन पेटल गहलोत ने इनका जवाब न केवल तीखे, बल्कि तथ्यों से लबरेज़ अंदाज़ में दिया। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद का पनाहगाह बताते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले जैसे उदाहरणों से उसकी दोहरी नीति बेनकाब की। पेटल ने स्पष्ट किया कि भारत-पाक मुद्दे द्विपक्षीय हैं और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई जगह नहीं। यह जवाब भारत की ‘प्रोएक्टिव डिप्लोमेसी’ का सशक्त उदाहरण था।

भारत की बदलती कूटनीति  

पेटल का भाषण भारत की विदेश नीति में आए बदलाव का द्योतक है। पहला, भारत अब आतंकवाद पर खुलकर पाकिस्तान का नाम लेता है, बिना किसी हिचक के। दूसरा, तथ्यों और आँकड़ों के साथ भारत अपनी बात को मज़बूती से रख रहा है। तीसरा, यह युवा कूटनीतिज्ञों के नेतृत्व में भारत की आत्मविश्वास भरी छवि को रेखांकित करता है। यह बदलाव भारत को एक जिम्मेदार, दृढ़ और वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है।

महिला नेतृत्व की जीत

पेटल गहलोत का यह हस्तक्षेप भारतीय महिला नेतृत्व की बढ़ती ताकत का भी प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय महिलाओं की प्रभावशाली उपस्थिति न केवल उनकी क्षमता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि भारत की विदेश नीति में महिलाओं की भूमिका और सशक्त होगी। यह नारी शक्ति का वह युग है, जो वैश्विक मंच पर भारत को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है।

पाकिस्तान की रणनीति पर प्रहार

पाकिस्तान की रणनीति कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ज़िंदा रखने की रही है, लेकिन भारत का तथ्य-आधारित जवाब इसे कमजोर कर रहा है। पेटल के भाषण ने न केवल पाकिस्तान के दावों को खारिज किया, बल्कि उसके आतंकवाद-समर्थक चेहरे को भी उजागर किया। यह भारत की वह कूटनीतिक चाल थी, जिसने वैश्विक विमर्श की दिशा बदल दी।

वैश्विक छवि और भविष्य की राह

इस घटना ने भारत की छवि को एक ‘सॉफ्ट स्पोक्समैन’ से हटाकर ‘हार्ड फैक्ट्स’ वाले राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। यह विदेश नीति के लिए एक केस स्टडी है कि कैसे तर्क और दृढ़ता से वैश्विक मंच पर प्रभाव डाला जा सकता है। भविष्य में भारत को युवा कूटनीतिज्ञों और महिला नेतृत्व को और बढ़ावा देना चाहिए, ताकि तथ्य-आधारित और आक्रामक कूटनीति के साथ वह अपनी वैश्विक भूमिका को और सशक्त कर सके।

निष्कर्ष

पेटल गहलोत का भाषण भारतीय कूटनीति का एक मील का पत्थर है। यह न केवल पाकिस्तान को करारा जवाब था, बल्कि दुनिया को भारत के आत्मविश्वास, तर्क और दृढ़ता का संदेश था। यह एक ऐसे भारत की कहानी है, जो अब अपनी शर्तों पर वैश्विक विमर्श को आकार देने को तैयार है। पेटल गहलोत की यह उपलब्धि भारत की नई कूटनीतिक धार का प्रतीक है — तेज, तर्कपूर्ण और अजेय।

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