मणिपुर में शांति की संभावनाएं: पीएम मोदी की प्रस्तावित यात्रा और कुकी समूहों के साथ युद्धविराम विस्तार
परिचय
मणिपुर, भारत का एक सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण पूर्वोत्तर राज्य, मई 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा के कारण गहरे संकट में है। मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच संघर्ष ने 260 से अधिक लोगों की जान ले ली और 60,000 से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया। इस संकट के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 13 सितंबर 2025 को प्रस्तावित मणिपुर यात्रा और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कुकी उग्रवादी समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौते के विस्तार की पहल शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह लेख मणिपुर संकट के विभिन्न आयामों, केंद्र सरकार की रणनीति, और इस यात्रा के संभावित प्रभावों का विश्लेषण करता है, जो UPSC के दृष्टिकोण से सामाजिक, राजनीतिक, और प्रशासनिक पहलुओं को समझने के लिए प्रासंगिक है।
मणिपुर हिंसा की पृष्ठभूमि
मणिपुर का संकट सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं का परिणाम है। राज्य में मेइती (इंफाल घाटी में बहुसंख्यक) और कुकी-जो तथा नागा (पहाड़ी क्षेत्रों में) समुदायों के बीच भूमि, संसाधनों और प्रतिनिधित्व को लेकर तनाव लंबे समय से मौजूद है। मई 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट के मेइतियों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की सिफारिश ने कुकी-जो समुदायों में असुरक्षा की भावना को बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप हिंसक संघर्ष शुरू हुआ।
- हिंसा का स्वरूप: 3 मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में हथियारबंद हमले, आगजनी, और यौन हिंसा की घटनाएं शामिल थीं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 258-260 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें 98 कुकी-जो और 67 मेइती शामिल हैं। 1,000 से अधिक लोग घायल हुए, और 60,000-70,000 लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में रह रहे हैं।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: राष्ट्रीय राजमार्गों (NH-2 और NH-37) का बंद होना, खेती और व्यापार पर प्रतिबंध, और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव ने मणिपुर की अर्थव्यवस्था को ठप कर दिया।
- राजनीतिक अस्थिरता: फरवरी 2025 में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, जो अगस्त 2025 में छह महीने के लिए बढ़ाया गया।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: यह संकट सामाजिक समावेशन, क्षेत्रीय असमानताओं, और केंद्र-राज्य संबंधों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। यह संघीय ढांचे, संवैधानिक प्रावधानों (अनुच्छेद 356), और पूर्वोत्तर की जटिल सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता को समझने का अवसर प्रदान करता है।
सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौता
2008 में केंद्र, मणिपुर सरकार, और कुकी उग्रवादी समूहों (यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट - UPF और कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन - KNO) के बीच हुआ SoO समझौता हिंसा को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इसके प्रमुख प्रावधान हैं:
- उग्रवादी समूहों की प्रतिबद्धता: हिंसा बंद करना, हथियार लॉक करना, और निर्दिष्ट शिविरों में रहना।
- सरकारी प्रावधान: प्रत्येक कैडर को ₹6,000 मासिक भत्ता, और शिविरों में मूलभूत सुविधाएं।
- वर्तमान स्थिति: 2023 की हिंसा के बाद फरवरी 2024 से समझौता लंबित था। जून 2025 से शुरू हुई वार्ताओं में निम्नलिखित शर्तें प्रस्तावित हैं:
- शिविरों का स्थानांतरण: 14 शिविरों को घटाकर 7 करना और इंफाल घाटी के किनारों से हटाना, जो मेइतियों की प्रमुख मांग है।
- कैडरों की पहचान: प्रमाणित आईडी कार्ड और गतिविधियों का नियमन।
- आर्थिक सुधार: NH-2 और NH-37 को खोलना, जिससे आपूर्ति श्रृंखला बहाल हो।
- वित्तीय पारदर्शिता: भत्ते सीधे कैडरों के बैंक खातों में जमा करना।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: SoO समझौता शांति प्रक्रिया, उग्रवाद प्रबंधन, और केंद्र-राज्य-स्थानीय समुदायों के बीच समन्वय का एक उदाहरण है। यह आंतरिक सुरक्षा, संघर्ष समाधान, और पूर्वोत्तर नीति (एक्ट ईस्ट पॉलिसी) के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री की प्रस्तावित यात्रा
13 सितंबर 2025 को पीएम मोदी की मणिपुर यात्रा उनकी 2023 के बाद पहली यात्रा होगी। इसका एजेंडा और महत्व इस प्रकार है:
- कार्यक्रम: मिजोरम में बैराबी-सायरंग रेलवे लाइन का उद्घाटन, और मणिपुर में इंफाल के कंगला किले और चुराचंदपुर के पीस ग्राउंड में सभाएं। राहत शिविरों का दौरा और कुकी नेताओं से मुलाकात की संभावना।
- राजनीतिक महत्व: यह यात्रा केंद्र की शांति और विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मणिपुर में एनडीए के 44 विधायकों (जिनमें 7 कुकी विधायक भाजपा के) के बीच असंतोष को कम करने का प्रयास है।
- विपक्ष की आलोचना: विपक्ष ने इसे 'देर से उठाया कदम' बताया, दावा किया कि पीएम ने 29 महीनों तक मणिपुर के मुद्दों पर चुप्पी साधी।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: यह यात्रा नेतृत्व और संकट प्रबंधन, केंद्र-राज्य संबंध, और पूर्वोत्तर के विकास (एक्ट ईस्ट पॉलिसी) के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। यह सामाजिक सौहार्द और राजनीतिक स्थिरता के लिए विश्वास-निर्माण उपायों का अध्ययन करने का अवसर देता है।
चुनौतियां और संभावनाएं
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चुनौतियां:
- म्यांमार सीमा का प्रभाव: सीमा पार से उग्रवादी गतिविधियां और ड्रोन हमले।
- हितों का टकराव: मेइती SoO समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, जबकि कुकी अलग प्रशासन चाहते हैं।
- न्याय में देरी: सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT जांच चल रही है, लेकिन दोषियों को सजा कम मिली है।
- हालिया हिंसा: अगस्त 2025 में जिरिबाम में पत्रकार पर हमला और अन्य घटनाएं।
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संभावनाएं:
- NH-2 और NH-37 के खुलने से आपूर्ति और व्यापार बहाल हो सकता है।
- पीएम की यात्रा विश्वास-निर्माण और संवाद की शुरुआत कर सकती है।
- SoO विस्तार से उग्रवादी समूह मुख्यधारा में लौट सकते हैं।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: यह खंड आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक समावेशन, और शांति प्रक्रिया के लिए संवाद की भूमिका को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्रीय विकास, संघर्ष समाधान, और सीमा प्रबंधन जैसे विषयों को जोड़ता है।
निष्कर्ष
मणिपुर में शांति की दिशा में पीएम मोदी की प्रस्तावित यात्रा और SoO समझौते का विस्तार महत्वपूर्ण कदम हैं। ये कदम केंद्र सरकार की पूर्वोत्तर के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, लेकिन उनकी सफलता मेइती और कुकी समुदायों के बीच विश्वास, समावेशी नीतियों, और दीर्घकालिक पुनर्वास योजनाओं पर निर्भर है। UPSC के दृष्टिकोण से, यह मुद्दा सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता, आंतरिक सुरक्षा, और भारत की संघीय संरचना के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है। यदि ये प्रयास सफल होते हैं, तो मणिपुर न केवल शांत होगा, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के विकास का एक मजबूत आधार बनेगा।
UPSC के लिए संभावित प्रश्न:
- मणिपुर हिंसा के कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करें। शांति बहाली के लिए केंद्र सरकार की रणनीतियों का मूल्यांकन करें।
- पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद के समाधान में SoO समझौते की भूमिका पर चर्चा करें।
- मणिपुर संकट के संदर्भ में केंद्र-राज्य संबंधों और सामाजिक समावेशन की चुनौतियों का विश्लेषण करें।
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत मणिपुर में विकास और शांति के बीच संबंध की व्याख्या करें।
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