भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की तेज़ बढ़त: तीन वर्षों में रिकॉर्ड वृद्धि, चुनौतियाँ और अवसर
प्रस्तावना
भारत के ऊर्जा परिदृश्य में नवीकरणीय स्रोतों का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में जारी आँकड़ों के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में नवीकरणीय विद्युत उत्पादन में पिछले तीन वर्षों की तुलना में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। यह सिर्फ़ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत के ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) और जलवायु प्रतिबद्धताओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। इस निबंध में हम इस वृद्धि के कारण, प्रभाव और चुनौतियों का विश्लेषण करेंगे।
ऊर्जा परिदृश्य: नवीनतम तथ्य
- जनवरी–जून 2025 के बीच नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 24.4% वृद्धि हुई।
- नॉन-हाइड्रो नवीकरणीय स्रोतों (सौर, पवन, बायो आदि) की हिस्सेदारी राष्ट्रीय बिजली उत्पादन में 17% से अधिक हो गई।
- कोयला आधारित उत्पादन में 3% गिरावट आई।
- 2025 में 32 GW नई नवीकरणीय क्षमता जोड़ने की उम्मीद है।
(स्रोत: Reuters, 1 जुलाई 2025)
वृद्धि के प्रमुख कारण
1. सरकारी नीति और लक्ष्य
भारत ने 2030 तक 500 GW गैर-फॉसिल क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों को विशेष कर प्रोत्साहन, सब्सिडी और निविदाओं की सुविधा दी जा रही है।
2. आर्थिक और मौसमी कारक
2025 में आर्थिक गतिविधियों में कुछ मंदी के कारण कुल बिजली मांग अपेक्षाकृत कम रही। साथ ही, समय से पहले मॉनसून आने और मौसम अपेक्षाकृत ठंडा रहने से कोयले पर दबाव घटा।
3. तकनीकी और निवेश प्रवाह
सौर एवं पवन ऊर्जा में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ा है। बैटरियों और ग्रीन बॉन्ड्स जैसी वित्तीय साधन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका: बहुआयामी प्रभाव
1. पर्यावरणीय दृष्टिकोण
नवीकरणीय ऊर्जा कोयला आधारित उत्पादन के विकल्प के रूप में उभर रही है। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटता है और भारत अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों के करीब आता है।
2. आर्थिक दृष्टिकोण
भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत कर सकता है। विदेशी कोयला आयात घटेगा और दीर्घकालिक रूप से ऊर्जा लागत स्थिर हो सकती है।
3. सामाजिक दृष्टिकोण
नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा संयंत्रों से स्थानीय आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो रही है।
चुनौतियाँ
-
ग्रिड क्षमता और भंडारण (Storage)
सौर और पवन ऊर्जा की अस्थिर आपूर्ति को संतुलित करने के लिए मजबूत ग्रिड व स्टोरेज सिस्टम चाहिए। -
भूमि और पर्यावरणीय स्वीकृति
परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण, स्थानीय समुदायों की सहमति और पर्यावरणीय क्लीयरेंस अभी भी बड़ी बाधाएँ हैं। -
निवेश और नीति समन्वय
राज्य व केंद्र सरकार की नीतियों में सामंजस्य की कमी और अनुबंधों में देरी निवेशकों के लिए अनिश्चितता पैदा करती है।
नीति-सुझाव
- ग्रिड और स्टोरेज में निवेश: बैटरी एवं पंप्ड-हाइड्रो जैसी तकनीकों में निवेश को प्रोत्साहन।
- राज्य-केंद्र समन्वय: भूमि अधिग्रहण और स्वीकृति प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा: सौर पैनल, पवन टरबाइन व बैटरियों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता।
- निजी निवेश आकर्षित करना: ग्रीन बॉन्ड्स, टैक्स क्रेडिट और जोखिम गारंटी जैसी योजनाएँ।
निष्कर्ष
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि यह दर्शाती है कि देश ऊर्जा संक्रमण की दिशा में मज़बूती से बढ़ रहा है। यह न केवल पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा बल्कि आर्थिक और सामाजिक लाभ भी देगा। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी हैं—ग्रिड, स्टोरेज, भूमि और नीति-समन्वय जैसे मुद्दे हल करने होंगे। यदि यह सब सफल रहा तो भारत 21वीं सदी में एक ऊर्जा-सुरक्षित, स्वच्छ और टिकाऊ राष्ट्र के रूप में उभरेगा।
स्रोत
- Reuters: “India renewable power output grows at fastest pace in three years” (1 जुलाई 2025)
- Reuters: “India’s power-sector CO₂ emissions fall for second time in over four decades…” (17 सितम्बर 2025)
- Asia Financial: “India Renewable Power Output Jumps, Coal Use Falls in First Half” (2025)
📝 UPSC Prelims संभावित प्रश्न (Objective/MCQs)
Q1. हाल ही में खबरों में “नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 24.4% वृद्धि” किस देश से संबंधित है?
(a) चीन
(b) भारत
(c) अमेरिका
(d) जापान
उत्तर: (b) भारत
Q2. निम्नलिखित में से कौन-सा “नॉन-हाइड्रो रिन्यूएबल” स्रोत की श्रेणी में आता है?
- पवन ऊर्जा
- सौर ऊर्जा
- ज्वारीय ऊर्जा
- बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट
सही उत्तर चुनिए:
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 1 और 2
(c) 2 और 4
(d) सभी
उत्तर: (a) 1, 2 और 3 (बड़े हाइड्रो को नॉन-हाइड्रो रिन्यूएबल में नहीं गिना जाता)
Q3. भारत ने 2030 तक कितनी गैर-फॉसिल (Non-Fossil) बिजली क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है?
(a) 300 GW
(b) 400 GW
(c) 500 GW
(d) 600 GW
उत्तर: (c) 500 GW
Q4. निम्नलिखित में से कौन-सा/से लाभ नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते हिस्सेदारी से अपेक्षित हैं?
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी
- ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि
- आयात पर निर्भरता कम होना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कीजिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
📝 UPSC Mains संभावित प्रश्न (Descriptive)
Q1. भारत में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन तीन वर्षों में सबसे तेज़ क्यों बढ़ा? इसके पीछे मुख्य कारण और नीतिगत प्रयासों का विश्लेषण कीजिए।
Q2. भारत की ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की बढ़ती भूमिका पर चर्चा कीजिए।
Q3. नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को जिन मुख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनका मूल्यांकन कीजिए और व्यावहारिक समाधान सुझाइए।
Q4. “नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की अनिवार्यता है।” उपर्युक्त कथन के आलोक में भारत की नीतियों का विश्लेषण कीजिए।
Q5. ग्रामीण विकास और रोजगार के दृष्टिकोण से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।
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