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Manipur Crisis & PM Modi’s Visit: Challenges and Prospects of the SoO Agreement | UPSC Analysis

मणिपुर में शांति की संभावनाएं: पीएम मोदी की प्रस्तावित यात्रा और कुकी समूहों के साथ युद्धविराम विस्तार परिचय मणिपुर, भारत का एक सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण पूर्वोत्तर राज्य, मई 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा के कारण गहरे संकट में है। मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच संघर्ष ने 260 से अधिक लोगों की जान ले ली और 60,000 से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया। इस संकट के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 13 सितंबर 2025 को प्रस्तावित मणिपुर यात्रा और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कुकी उग्रवादी समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौते के विस्तार की पहल शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह लेख मणिपुर संकट के विभिन्न आयामों, केंद्र सरकार की रणनीति, और इस यात्रा के संभावित प्रभावों का विश्लेषण करता है, जो UPSC के दृष्टिकोण से सामाजिक, राजनीतिक, और प्रशासनिक पहलुओं को समझने के लिए प्रासंगिक है। मणिपुर हिंसा की पृष्ठभूमि मणिपुर का संकट सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं का परिणाम है। राज्य में मेइती (इंफाल घाटी में बहुसंख्यक) और कुकी-जो तथा नागा (पहाड़ी क्षेत्रों में) समुदा...

Gaza and the American Plan: A Fault-line in West Asian Politics

गाज़ा पर अमेरिकी योजना: भारत और पश्चिम एशिया की राजनीति में निहितार्थ


Context

वॉशिंगटन पोस्ट की एक हालिया रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि ट्रंप प्रशासन एक ऐसी योजना पर विचार कर रहा है जिसके अंतर्गत गाज़ा की पूरी आबादी को कहीं और स्थानांतरित किया जाएगा और संयुक्त राज्य अमेरिका सीधे तौर पर इस क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगा। यदि यह योजना अमल में आती है, तो यह न केवल फिलिस्तीन के राष्ट्रवादी आंदोलन के लिए बल्कि पूरे पश्चिम एशिया के सामरिक परिदृश्य के लिए भी एक भूकंपीय बदलाव होगा।


The Humanitarian Dimension

गाज़ा लंबे समय से मानवीय संकट का केंद्र रहा है। इज़राइल और हमास के बीच लगातार संघर्ष, आर्थिक नाकेबंदी और असुरक्षा ने यहाँ की जनता को संकटग्रस्त बना दिया है। पूरी आबादी का विस्थापन एक तरह से “जनसांख्यिकीय इंजीनियरिंग” होगी, जिसे अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार मानकों के गंभीर उल्लंघन के रूप में देखा जाएगा।
यह कदम न केवल शरणार्थी संकट को बढ़ाएगा बल्कि अरब समाज में गहरी असंतुष्टि भी पैदा करेगा।


Strategic Calculations

  • Israel’s Security Gains: इस योजना से इज़राइल को गाज़ा के उग्रवाद और रॉकेट हमलों से सीधी चुनौती कम होगी।
  • Arab States’ Unease: मिस्र, जॉर्डन और खाड़ी देश, जो फिलिस्तीन मुद्दे पर आंतरिक रूप से बंटे हुए हैं, सार्वजनिक रूप से इसका विरोध कर सकते हैं।
  • Iran’s Leverage: ईरान इस कदम का इस्तेमाल “फिलिस्तीन के साथ न्याय” के मुद्दे पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए करेगा।
  • US Hegemony: अमेरिका सीधे नियंत्रण लेकर पश्चिम एशिया में अपनी भू-राजनीतिक पकड़ को संस्थागत रूप देना चाहता है।

India’s Dilemma

भारत की विदेश नीति पारंपरिक रूप से “फिलिस्तीन के साथ ऐतिहासिक सहानुभूति” और “इज़राइल के साथ बढ़ते सामरिक संबंधों” के बीच संतुलित रही है।

  1. Energy and Diaspora Concerns: लगभग 90 लाख भारतीय पश्चिम एशिया में काम करते हैं और भारत की ऊर्जा सुरक्षा का बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र पर निर्भर है। किसी भी तरह की अस्थिरता सीधे भारतीय हितों को प्रभावित करेगी।
  2. Diplomatic Balance: भारत को एक ऐसी स्थिति लेनी होगी जो मानवीय दृष्टि से न्यायपूर्ण हो लेकिन उसके रणनीतिक साझेदारों (विशेषकर अमेरिका और इज़राइल) के साथ रिश्तों को नुकसान न पहुँचाए।
  3. Global Image: लोकतंत्र और मानवाधिकारों का पक्षधर होने के नाते भारत को इस मुद्दे पर सिद्धांत और व्यावहारिकता के बीच संतुलन साधना पड़ेगा।

Way Forward for India

  • Reaffirm Two-State Solution: भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन दोहराना चाहिए।
  • Engage with Arab World: खाड़ी देशों और फिलिस्तीन प्राधिकरण के साथ संवाद मज़बूत करना होगा।
  • Strategic Communication: अमेरिका और इज़राइल को स्पष्ट संदेश देना होगा कि मानवीय संकट भारत की कूटनीतिक स्थिति को प्रभावित करेगा।
  • Humanitarian Diplomacy: भारत अपने “सॉफ्ट पावर” (जैसे चिकित्सा सहायता, पुनर्वास समर्थन) के माध्यम से सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।

UPSC Relevance

  • GS Paper 2 (IR): भारत की Act West Policy, दो-राष्ट्र सिद्धांत, NAM और मानवाधिकार।
  • GS Paper 3 (Security): ऊर्जा आपूर्ति पर प्रभाव, क्षेत्रीय संघर्ष और वैश्विक आतंकवाद।
  • Essay/Ethics: न्याय, मानवता और रणनीतिक हितों का संतुलन।

Conclusion

गाज़ा पर अमेरिकी नियंत्रण की यह संभावित योजना केवल एक क्षेत्रीय राजनीतिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह वैश्विक मानवीय मूल्यों और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की कसौटी है। भारत के लिए यह समय है कि वह अपने रणनीतिक हितों को सुरक्षित रखते हुए मानवीय मूल्यों की रक्षा का भी नेतृत्व करे। यही संतुलन भारत की वैश्विक शक्ति बनने की राह में उसकी वास्तविक पहचान को परिभाषित करेगा।



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