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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan and Teachers’ Day | UPSC Essay & Analysis

शिक्षा: समाज की आधारशिला – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शिक्षक दिवस के संदर्भ में


प्रस्तावना

"शिक्षा का उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण करना है।"
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का यह कथन शिक्षा की वास्तविक आत्मा को प्रकट करता है। भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस उनके जन्मदिवस पर मनाया जाता है। यह दिवस केवल एक औपचारिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय समाज में गुरु-शिष्य परंपरा, शिक्षा की भूमिका और राष्ट्रीय निर्माण में शिक्षकों की केंद्रीयता का स्मरण है। UPSC के दृष्टिकोण से यह विषय बहुआयामी है – इतिहास, संस्कृति, राजनीति, शिक्षा नीति, कूटनीति और नैतिकता, सभी को इसमें जोड़ा जा सकता है।


ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

भारत की सभ्यता में शिक्षा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उपनिषदों में ‘सत्यं ज्ञानम् अनन्तम् ब्रह्म’ का उद्घोष शिक्षा के लक्ष्य को दर्शाता है। गुरु-शिष्य परंपरा (यथा आचार्य-शिष्य संवाद, तक्षशिला-नालंदा विश्वविद्यालय की विरासत) यह बताती है कि शिक्षा केवल व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि जीवन दृष्टि है।

डॉ. राधाकृष्णन ने इस परंपरा को आधुनिक संदर्भ में पुनर्जीवित किया। उनका मानना था कि भारत यदि विश्वगुरु बनना चाहता है तो उसे शिक्षा और नैतिकता के क्षेत्र में अग्रणी होना होगा।


डॉ. राधाकृष्णन का जीवन और योगदान

1. दार्शनिक व शैक्षिक योगदान

  • उन्होंने भारतीय और पाश्चात्य दर्शन का समन्वय प्रस्तुत किया।
  • Indian Philosophy और The Philosophy of Rabindranath Tagore जैसी रचनाओं ने भारतीय चिंतन को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।
  • उनका विश्वास था कि शिक्षा केवल सूचना का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि व्यक्ति के आध्यात्मिक और नैतिक विकास का साधन है।

2. राजनीतिक और कूटनीतिक योगदान

  • भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति (1952-62) और द्वितीय राष्ट्रपति (1962-67) रहे।
  • सोवियत संघ जैसे देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करने में उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण रही।
  • UNESCO जैसे वैश्विक मंचों पर भारतीय संस्कृति व शिक्षा दर्शन का प्रतिनिधित्व किया।

3. सम्मान और मान्यता

  • भारत रत्न (1954)
  • ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट (1963)

उनका जीवन बताता है कि शिक्षा और राजनीति परस्पर विरोधी नहीं, बल्कि परस्पर पूरक हो सकते हैं।


शिक्षक दिवस का महत्व

1962 में जब कुछ छात्रों ने उनके जन्मदिन को मनाने की इच्छा जताई, तब राधाकृष्णन ने कहा – “यदि इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, तो यह मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा।”

इससे स्पष्ट है कि उनके लिए व्यक्तिगत गौरव से अधिक महत्त्व शिक्षकों का सामूहिक सम्मान था।

शिक्षक दिवस और UPSC प्रासंगिकता

  • GS पेपर 1: भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान।
  • GS पेपर 2: शिक्षा नीति, शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षा का सामाजिक प्रभाव।
  • GS पेपर 4: शिक्षक की नैतिक भूमिका, मूल्य निर्माण और प्रेरणा।
  • Essay पेपर: शिक्षा और समाज निर्माण पर संभावित निबंध विषय।

शिक्षा और समाज निर्माण

शिक्षा को प्रायः आर्थिक विकास का साधन माना जाता है, परंतु राधाकृष्णन का दृष्टिकोण व्यापक था।

  • शिक्षा → ज्ञान
  • ज्ञान → विवेक
  • विवेक → चरित्र निर्माण
  • चरित्र → राष्ट्र निर्माण

आज जब शिक्षा का व्यावसायीकरण हो रहा है, राधाकृष्णन की दृष्टि हमें याद दिलाती है कि राष्ट्र का भविष्य कक्षाओं में आकार लेता है।


समकालीन प्रासंगिकता

1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020)

  • शिक्षक प्रशिक्षण, मूल्य आधारित शिक्षा और कौशल विकास पर बल।
  • समग्र शिक्षा की परिकल्पना, जो राधाकृष्णन की सोच से मेल खाती है।

2. वैश्विक मंच

  • वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के दौर में भी नैतिक शिक्षा का महत्त्व।
  • भारत की सॉफ्ट पावर को शिक्षा और दर्शन के माध्यम से बढ़ाना।

3. नैतिकता और मूल्य संकट

  • आज समाज में भ्रष्टाचार, हिंसा और असमानता जैसे संकट गहराते जा रहे हैं।
  • इसका समाधान केवल कानूनी ढांचे से नहीं, बल्कि नैतिक शिक्षा और मूल्य निर्माण से संभव है।

UPSC दृष्टिकोण से उपयोगिता

(क) प्रीलिम्स

  • तथ्य: जन्म (5 सितम्बर 1888), भारत रत्न (1954), राष्ट्रपति कार्यकाल (1962-67), शिक्षक दिवस की शुरुआत (1962)।

(ख) मेन्स

  • GS 1: भारतीय संस्कृति और दर्शन।
  • GS 2: शिक्षा नीति, शिक्षक की भूमिका, NEP 2020।
  • GS 4: नैतिकता, नेतृत्व, प्रेरणा।

(ग) साक्षात्कार

  • शिक्षा, मूल्य और नेतृत्व से जुड़े उत्तरों में उनके उद्धरणों का प्रयोग।

महत्त्वपूर्ण उद्धरण

  • “शिक्षा का उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण करना है।”
  • “शिक्षक वह नहीं जो केवल पढ़ाता है, बल्कि वह है जो प्रेरित करता है।”

इन उद्धरणों को Essay और Ethics उत्तरों में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जा सकता है।


निष्कर्ष

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन और दर्शन हमें यह सिखाता है कि शिक्षा केवल ज्ञानार्जन का साधन नहीं, बल्कि व्यक्ति और समाज के नैतिक पुनर्निर्माण का आधार है। शिक्षक दिवस का वास्तविक संदेश यही है कि हम अपने शिक्षकों के योगदान को सम्मान दें और शिक्षा को केवल रोजगार तक सीमित न रखकर उसे चरित्र, संस्कृति और समाज निर्माण का माध्यम बनाएं।

इस प्रकार, राधाकृष्णन की दृष्टि भारतीय समाज और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों के लिए मार्गदर्शक है। UPSC की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए यह विषय एक ही साथ इतिहास, संस्कृति, नीति और नैतिकता का समन्वय प्रस्तुत करता है।





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