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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

उत्तराखंड में UCC लागू : क्या परिवर्तन देखने को मिल सकता है??

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद कई महत्वपूर्ण सामाजिक और कानूनी परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बदलाव शामिल हो सकते हैं:

1. विवाह और तलाक के नियमों में एकरूपता

सभी नागरिकों के लिए विवाह और तलाक से जुड़े नियम समान होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म के हों।

बहुविवाह (Polygamy) और 'तीन तलाक' जैसी प्रथाओं को समाप्त किया जा सकता है।

विवाह की कानूनी उम्र और पंजीकरण अनिवार्य हो सकता है।

2. संपत्ति और उत्तराधिकार के अधिकारों में समानता

सभी धर्मों के लिए उत्तराधिकार (Inheritance) के समान नियम लागू होंगे।

महिलाओं को संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिलेगा।

पितृसत्ता आधारित उत्तराधिकार प्रणाली पर प्रभाव पड़ेगा।

3. गोद लेने और अभिभावकता से जुड़े कानूनों में सुधार

धर्म के आधार पर अलग-अलग गोद लेने के नियम खत्म होंगे।

सभी नागरिकों के लिए समान गोद लेने और संरक्षकता के प्रावधान लागू किए जा सकते हैं।

4. लिव-इन रिलेशनशिप और विवाह से जुड़े कानूनी अधिकारों में स्पष्टता

लिव-इन संबंधों को कानूनी मान्यता मिल सकती है और इससे जुड़े अधिकार स्पष्ट हो सकते हैं।

विवाह पंजीकरण को अनिवार्य बनाकर अनौपचारिक विवाहों की संख्या को कम किया जा सकता है।

5. धर्म आधारित व्यक्तिगत कानूनों का प्रभाव कम होगा

हिंदू, मुस्लिम, ईसाई आदि के अलग-अलग पर्सनल लॉ की जगह एक समान कानून लागू होगा।

इससे संविधान के अनुच्छेद 44 (राज्य नीति निदेशक तत्व) के उद्देश्यों को बल मिलेगा।

6. लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा

महिलाओं के विवाह, संपत्ति, उत्तराधिकार और तलाक से जुड़े अधिकार मजबूत होंगे।

मुस्लिम महिलाओं को तलाक, भरण-पोषण और पुनर्विवाह से जुड़े मामलों में समान अधिकार मिल सकते हैं।

7. न्यायिक मामलों में सरलता और स्पष्टता

विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग कानूनों के चलते अदालतों में आने वाले विवादों की संख्या कम हो सकती है।

कानूनी प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और सरल बन सकती हैं।

संभावित विवाद और चुनौतियां

कुछ धार्मिक समुदाय इसे अपनी परंपराओं में हस्तक्षेप के रूप में देख सकते हैं, जिससे विरोध हो सकता है।

सामाजिक स्वीकृति में समय लग सकता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।

राजनीतिक दलों और संगठनों के बीच इस मुद्दे पर बहस और मतभेद हो सकते हैं।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में UCC लागू होने से सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इसके क्रियान्वयन में संवेदनशीलता और व्यापक संवाद की आवश्यकता होगी। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह समाज में न्याय, समानता और एकता को मजबूत कर सकता है।

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