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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

संपादकीय विश्लेषण : Changed dynamics : On India and the Trump administration

 भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के बदलते समीकरण

The Hindu में प्रकाशित इस लेख में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के बदलते समीकरणों का विश्लेषण किया गया है, विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के संदर्भ में। इसमें यह तर्क दिया गया है कि भारत को अमेरिका के साथ एक अधिक व्यावहारिक और लेन-देन आधारित रणनीति अपनानी होगी, क्योंकि ट्रंप प्रशासन "अमेरिका फर्स्ट" नीति पर जोर दे रहा है।

मुख्य बिंदु:

1. पहले कार्यकाल की उपलब्धियां और चुनौतियां:

ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में मजबूती आई थी। रक्षा और रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में दोनों देशों ने प्रगति की।

हालांकि, व्यापार और वीज़ा नीतियों के कारण कुछ विवाद भी उभरे, जैसे कि भारत का GSP (Generalized System of Preferences) दर्जा खत्म करना।

2. दूसरे कार्यकाल की नई दिशा:

ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत ने दिखाया कि अमेरिका की नीतियों में बड़े बदलाव होंगे।

व्यापार: भारत फिलहाल ट्रंप प्रशासन के नए टैरिफ उपायों से बचा हुआ है, लेकिन BRICS देशों के खिलाफ 100% टैरिफ की संभावना चिंता का विषय है।

आव्रजन: वीज़ा और नागरिकता नीतियों में सख्ती, जैसे कि H-1B वीज़ा धारकों के बच्चों को नागरिकता का अधिकार न देना और "अवैध प्रवासियों" पर कार्रवाई, भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।

3. अंतरराष्ट्रीय संगठन और मल्टीलेटरलिज्म पर रुख:

ट्रंप प्रशासन बहुपक्षीय संगठनों (जैसे WHO, WTO, UN) से दूरी बना रहा है, और NATO जैसे सहयोगियों पर भी दबाव डाल रहा है। इसका भारत के लिए मतलब यह हो सकता है कि उसे इन मंचों पर अमेरिका के बिना अपनी स्थिति को मजबूत करना होगा।

4. चीन और इंडो-पैसिफिक साझेदारी:

अमेरिका और भारत के बीच इंडो-पैसिफिक साझेदारी पर सहमति है। चीन की आक्रामक नीतियों के जवाब में Quad (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) का महत्व बढ़ गया है।

इस क्षेत्र में रणनीतिक और रक्षा सहयोग दोनों देशों के संबंधों का सकारात्मक पहलू है।

5. चुनौतियां और भारत की रणनीति:

ट्रंप प्रशासन की "अमेरिका फर्स्ट" नीति भारत के लिए व्यापारिक और कूटनीतिक बाधाएं पैदा कर सकती है।

अप्रवासी भारतीयों की बड़े पैमाने पर संभावित वापसी और नई वीज़ा नीतियां भारत के लिए एक आर्थिक और सामाजिक चुनौती बन सकती हैं।

भारत को अमेरिका के साथ संबंधों को अधिक लाभ आधारित और द्विपक्षीय दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष और सुझाव:

लेख इस बात पर जोर देता है कि भारत को अपनी रणनीति में लचीलापन लाना होगा। इसे निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:

व्यापार: अमेरिका के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की योजना बनानी होगी।

प्रवासन: H-1B वीज़ा और अप्रवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों को लेकर ठोस कूटनीति अपनानी होगी।

बहुपक्षीय मंचों पर मजबूती: बहुपक्षीय संगठनों में अपनी स्थिति मजबूत करने और चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए Quad जैसे समूहों का उपयोग करना होगा।

ऊर्जा और निवेश: अमेरिका से ऊर्जा आयात और निवेश के क्षेत्र में व्यवहारिक नीतियां अपनानी होंगी।

भारत के लिए यह समय अमेरिका के साथ संबंधों को स्थिर और उपयोगी बनाने का है, जिसमें लेन-देन आधारित दृष्टिकोण को प्राथमिकता देना होगा।

साभार- The Hindu


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