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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

नेताजी सुभाषचंद्र बोस: एक प्रेरणास्रोत नेता

 नेताजी सुभाषचंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और भारतीय इतिहास के उन अप्रतिम व्यक्तित्वों में से एक हैं जिन्होंने अपने अदम्य साहस, देशभक्ति और अद्वितीय नेतृत्व से देश को नई ऊर्जा दी। उनका जीवन संघर्ष, बलिदान और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।

सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले सुभाष जी ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद भारतीय सिविल सेवा (ICS) परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन अपनी मातृभूमि की सेवा करने के उद्देश्य से इस प्रतिष्ठित सेवा का त्याग कर दिया। यह निर्णय उनकी देशभक्ति और आत्मत्याग की अद्वितीय मिसाल है।

सुभाषचंद्र बोस का मानना था कि आजादी केवल अहिंसा के मार्ग से नहीं, बल्कि सशस्त्र संघर्ष से भी प्राप्त की जा सकती है। गांधी जी के साथ उनके वैचारिक मतभेद भी इसी कारण थे। उन्होंने 'स्वराज' के विचार को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया। 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के बाद उन्होंने 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापना की, जिससे उनकी क्रांतिकारी सोच का पता चलता है।

सुभाषचंद्र बोस का सबसे बड़ा योगदान 'आजाद हिंद फौज' की स्थापना और नेतृत्व था। उन्होंने "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" का नारा देकर हजारों युवाओं को देश की स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्व क्षमता ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।

हालांकि, 1945 में उनके विमान दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर ने देश को गहरे सदमे में डाल दिया। उनकी मृत्यु को लेकर आज भी रहस्य बना हुआ है, लेकिन उनके विचार और योगदान आज भी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

नेताजी का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक सच्चे नेता का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि अपने लोगों की सेवा और उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करना होना चाहिए। आज भी उनकी विचारधारा और देशभक्ति हमें अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति सजग रहने की प्रेरणा देती है।

निष्कर्ष:

नेताजी सुभाषचंद्र बोस न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे, बल्कि वे एक ऐसे आदर्श हैं जो हमें यह सिखाते हैं कि दृढ़ संकल्प और निडरता के साथ हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनके विचार और योगदान हमेशा भारतीय जनमानस में अमर रहेंगे।


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