भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से चला आ रहा मछली पकड़ने का विवाद और अधिक जटिल बनता जा रहा है। आइए इसे कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं में विभाजित कर विश्लेषण करें:
1. घटना का विवरण और प्रतिक्रिया
घटना: भारतीय मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने कथित रूप से श्रीलंकाई जलक्षेत्र में अवैध मछली पकड़ने के आरोप में रोका। इस दौरान हुई गोलीबारी में दो मछुआरे गंभीर रूप से घायल हो गए।
भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने श्रीलंकाई कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किया और “बल प्रयोग” की कड़ी आलोचना की। भारतीय दूतावास ने श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय से भी यह मुद्दा उठाया। भारत ने "मानवीय दृष्टिकोण" से इस तरह की घटनाओं को सुलझाने की बात दोहराई।
श्रीलंका का पक्ष: श्रीलंकाई नौसेना ने दावा किया कि भारतीय मछुआरों ने उनके कर्मियों पर हमला करने और हथियार छीनने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप "दुर्घटनावश" गोलीबारी हुई।
2. विवाद के मूल कारण
पल्क स्ट्रेट का जलक्षेत्र: भारत और श्रीलंका के बीच पल्क स्ट्रेट का जलक्षेत्र मछुआरों के लिए एक विवादित क्षेत्र है। भारतीय मछुआरे, विशेष रूप से तमिलनाडु से, मछली पकड़ने के लिए अक्सर श्रीलंकाई जलक्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण: श्रीलंकाई मछुआरे भारतीय मछुआरों के "बॉटम ट्रॉवलिंग" (Bottom Trawling) तकनीक पर आपत्ति जताते हैं, जिसे श्रीलंका में प्रतिबंधित किया गया है। यह तकनीक समुद्री पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाती है और मछली पकड़ने के संसाधनों को समाप्त कर देती है।
राजनीतिक तनाव: भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी और उनके साथ दुर्व्यवहार अक्सर राजनीतिक तनाव को बढ़ाते हैं। 2024 में 540 मछुआरों की गिरफ्तारी और 2025 में अब तक 60 मछुआरों की गिरफ्तारी इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती है।
3. द्विपक्षीय वार्ता और समाधान के प्रयास
गत प्रयास: दिसंबर 2024 में श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत की। उन्होंने "आक्रामक व्यवहार या हिंसा से बचने" की आवश्यकता को रेखांकित किया और एक दीर्घकालिक समाधान खोजने का विश्वास व्यक्त किया।
समाधान की संभावनाएं:
मानवता के आधार पर समझौता: दोनों देशों को मानवीय दृष्टिकोण से मुद्दों को हल करने की प्रक्रिया को प्राथमिकता देनी चाहिए।
संयुक्त गश्त: विवादित क्षेत्र में संयुक्त नौसेना गश्त से टकराव की घटनाओं को कम किया जा सकता है।
पर्यावरणीय और आर्थिक संतुलन: बॉटम ट्रॉवलिंग जैसी विधियों पर चर्चा और वैकल्पिक तकनीकों को अपनाने पर सहमति हो सकती है।
पारंपरिक अधिकारों की रक्षा: भारत और श्रीलंका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मछुआरों के पारंपरिक अधिकारों का सम्मान हो।
4. भविष्य के लिए चुनौतियां और कदम
विश्वास निर्माण: घटनाओं के कारण दोनों देशों के मछुआरों और सरकारों के बीच विश्वास की कमी बनी हुई है। इसे पुनः स्थापित करने के लिए ठोस उपाय जरूरी हैं।
कानूनी स्पष्टता: समुद्री सीमाओं के उल्लंघन और मछुआरों के अधिकारों पर स्पष्ट नियम बनाए जाने चाहिए।
राजनीतिक इच्छाशक्ति: इस समस्या का समाधान तब तक मुश्किल रहेगा जब तक दोनों पक्ष गंभीर राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाते।
निष्कर्ष
भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों का विवाद केवल कानूनी या भौगोलिक मुद्दा नहीं है, बल्कि इसमें आर्थिक, पर्यावरणीय और मानवीय आयाम भी शामिल हैं। इसे सुलझाने के लिए स्थायी और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। दोनों देशों को पारस्परिक समझ, संवाद और सहयोग के माध्यम से इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान खोजना होगा।
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