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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों की नियुक्ति: योग्यता बनाम राजनीति

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि उच्च न्यायालयों में सरकारी वकीलों और अभियोजकों की नियुक्ति राजनीतिक आधार पर नहीं बल्कि उनकी योग्यता के आधार पर की जानी चाहिए। यह निर्णय भारतीय न्याय व्यवस्था में निष्पक्षता और न्यायिक कार्यप्रणाली की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

योग्यता पर बल देने की आवश्यकता

न्यायपालिका का प्रमुख उद्देश्य न्याय प्रदान करना होता है, और इस प्रक्रिया में सरकारी वकील एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि उनकी नियुक्ति केवल राजनीतिक आधार पर होती है, तो इससे न्यायिक कार्यों की प्रभावशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह बयान इस चिंता को दर्शाता है कि न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सरकारी वकीलों की नियुक्ति उनकी कानूनी विशेषज्ञता, अनुभव और कार्यकुशलता के आधार पर होनी चाहिए।

न्याय प्रक्रिया में सरकारी वकीलों की भूमिका

सरकारी वकील न केवल अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि न्यायालय को सही कानूनी मार्गदर्शन देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि किसी मामले में न्यायालय कोई गलती कर रहा हो, तो सरकारी वकील का यह कर्तव्य होता है कि वह उसे सुधारने का प्रयास करे। इस संदर्भ में, अदालत ने वकीलों को 'विधि अधिकारी रथ की महत्वपूर्ण पहियों' में से एक बताया है, जो न्याय प्रक्रिया को सही दिशा में आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकारी वकीलों की नियुक्ति में योग्यता को प्राथमिकता देने से न केवल न्याय प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि आम जनता का न्यायपालिका पर विश्वास भी मजबूत होगा। इसलिए, यह आवश्यक है कि सभी सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।


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