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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

कैलाश मानसरोवर यात्रा: भारत और चीन के मध्य एक सांस्कृतिक सेतु का पुनर्निर्माण

पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के पुनः आरंभ पर भारत और चीन की सहमति निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है। यह यात्रा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को भी सुदृढ़ करती है।

कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। भारत से हजारों तीर्थयात्री हर वर्ष इस दिव्य यात्रा पर जाते रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में राजनीतिक और भू-राजनीतिक तनाव के कारण यह यात्रा बाधित हो गई थी। अब, इस यात्रा को पुनः शुरू करने का निर्णय न केवल तीर्थयात्रियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग की नई संभावनाओं का मार्ग भी खोलता है।

इस निर्णय की पृष्ठभूमि में विदेश सचिव विक्रम मिस्री की चीन यात्रा के दौरान हुए संवाद को देखा जा सकता है। जहां दोनों देशों ने न केवल इस यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई, बल्कि सीधी हवाई सेवा के पुनः संचालन पर भी सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की। यह कदम तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को अधिक सुगम और सुरक्षित बनाएगा।

सांस्कृतिक और कूटनीतिक महत्व

कैलाश मानसरोवर यात्रा सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं है, यह भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी है। इस यात्रा का पुनः आरंभ दोनों देशों के बीच भरोसे को पुनर्स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। ऐसे समय में, जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और अन्य मुद्दे तनाव का कारण बने हुए हैं, इस तरह के कदम आपसी संवाद और सहयोग के लिए एक सकारात्मक संकेत हैं।

आर्थिक और पर्यटन के लिए नई संभावनाएं

यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी साबित हो सकती है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचे का विकास, परिवहन सेवा का सुधार और अन्य व्यवस्थाएं स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर प्रदान कर सकती हैं।

चुनौतियां और जिम्मेदारियां

हालांकि, इस यात्रा के पुनः आरंभ के साथ कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती है, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और यात्रा के दौरान सुविधाओं की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करना। इसके अतिरिक्त, दोनों देशों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि राजनीतिक तनाव या अन्य कारणों से यह यात्रा बाधित न हो।

आगे का रास्ता

कैलाश मानसरोवर यात्रा के पुनः आरंभ से यह स्पष्ट होता है कि भारत और चीन सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को प्राथमिकता देने के लिए तैयार हैं। यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत हो सकती है, जहां दोनों देश आपसी मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।

कुल मिलाकर, कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ न केवल धार्मिक आस्था को सम्मान देने का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐसा सेतु है, जो दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और समझ को मजबूत कर सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश इस सांस्कृतिक विरासत को कैसे संजोते हैं और इसे आगे बढ़ाते हैं।


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