भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से अपना 100वां मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर एक नया इतिहास रच दिया है। आंध्र प्रदेश स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ15 के जरिए NVS-02 नेविगेशन उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा गया। इस मिशन की सफलता भारत के बढ़ते अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीकी प्रगति का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इसरो के नए नेतृत्व में पहली उपलब्धि
यह मिशन इसरो प्रमुख वी. नारायणन के नेतृत्व में पहला बड़ा प्रक्षेपण था। उनके मार्गदर्शन में इसरो ने अपनी काबिलियत को और मजबूत किया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर कहा कि "इस रिकॉर्ड उपलब्धि के ऐतिहासिक क्षण में अंतरिक्ष विभाग से जुड़ना सौभाग्य की बात है।"
मिशन का महत्व
1. नेविगेशन तकनीक में सुधार: NVS-02 उपग्रह भारत के स्वदेशी NavIC (Navigation with Indian Constellation) प्रणाली को और मजबूती देगा।
2. राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन: यह उपग्रह सैन्य और नागरिक नेविगेशन सेवाओं में सुधार करेगा।
3. स्वदेशी क्षमता: यह मिशन भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है और भविष्य की अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
निष्कर्ष
इसरो का यह 100वां मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह न केवल वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी। इसरो की यह सफलता भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
Comments
Post a Comment