Skip to main content

MENU👈

Show more

Adi Shankaracharya: The Eternal Light of Indian Intellectual Tradition

 आदि शंकराचार्य: भारतीय चेतना के चिरस्थायी प्रकाश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरती पर कुछ ही ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने समय की धारा को मोड़ा और युगों तक प्रेरणा दी। आदि शंकराचार्य उनमें से एक हैं – एक ऐसी ज्योति, जिसने 8वीं शताब्दी में भारतीय बौद्धिक और आध्यात्मिक जगत को नया जीवन दिया। केरल के छोटे से कालड़ी गाँव में जन्मे इस युवा सन्यासी ने न केवल वेदों के गूढ़ ज्ञान को सरल बनाया, बल्कि उसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। एक युग का संकट और शंकर का उदय उस समय भारत एक बौद्धिक और धार्मिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। अंधविश्वास, पंथों की भीड़ और बौद्ध धर्म के प्रभुत्व ने वैदिक परंपराओं को धूमिल कर दिया था। लोग सत्य की खोज में भटक रहे थे। ऐसे में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का झंडा उठाया और कहा – "सत्य एक है, बाकी सब माया है।" उनका यह संदेश सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका था। "अहं ब्रह्मास्मि" – मैं ही ब्रह्म हूँ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सरल लेकिन गहरा है। वे कहते थे कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं। हमारी आँखों के सामने ...

15 जनवरी भारतीय थल सेना दिवस

हर वर्ष 15 जनवरी को भारतीय थल सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है, जो हमारे देश की सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाती है। इस दिवस का ऐतिहासिक महत्व 15 जनवरी 1949 की उस घटना से जुड़ा है, जब फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने ब्रिटिश जनरल सर फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ का पदभार ग्रहण किया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने भारतीय सेना को औपनिवेशिक नियंत्रण से पूर्ण स्वतंत्रता दिलाई और सेना की कमान भारतीय हाथों में सौंपी।

भारतीय सेना की गौरवशाली भूमिका

भारतीय सेना न केवल बाहरी खतरों से देश की रक्षा करती है, बल्कि आपदाओं और संकट की घड़ी में नागरिक सहायता भी प्रदान करती है। सेना की वीरता, अनुशासन और त्याग का उदाहरण विभिन्न युद्धों और शांति अभियानों में देखने को मिला है।

थल सेना दिवस का आयोजन

इस दिन देशभर में विशेष परेड और समारोह आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली के परेड ग्राउंड में सेना के जवान अपनी ताकत और आधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन करते हैं। यह दिन न केवल सेना के जवानों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।

सेना के प्रति कृतज्ञता

भारतीय थल सेना दिवस हमें उन बहादुर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है, जो अपने जीवन की परवाह किए बिना देश की सेवा में लगे रहते हैं। यह दिन हमें उनकी कुर्बानी और समर्पण को याद करने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर देता है।

15 जनवरी का यह दिन हमें याद दिलाता है कि भारतीय सेना न केवल हमारी सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि देशवासियों के जीवन में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


Previous & Next Post in Blogger
|
✍️ARVIND SINGH PK REWA

Comments

Advertisement

POPULAR POSTS