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UPSC CSE 2024 Topper: शक्ति दुबे बनीं पहली रैंक होल्डर | जानिए उनकी सफलता की कहानी

संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...

UPSC Current Affairs: 9 May 2025

दैनिक समसामयिकी लेख संकलन व विश्लेषण: 9 मई 2025

आज के इस अंक में निम्नलिखित 5 लेखों को संकलित किया गया है।सभी लेख UPSC लेबल का दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बेहद उपयोगी हैं।


1-भारत की वायु रक्षा प्रणाली की निर्णायक भूमिका: एक रणनीतिक विश्लेषण

 "भारत की वायु रक्षा प्रणाली की निर्णायक भूमिका" पर आधारित एक विश्लेषणात्मक हिंदी लेख, जो UPSC GS पेपर-3 (आंतरिक सुरक्षा) और समसामयिक घटनाओं के दृष्टिकोण से उपयोगी है:

भूमिका:

8-9 मई 2025 की मध्यरात्रि, जब पाकिस्तान की ओर से 15 सैन्य ठिकानों और अनेक शहरों को लक्ष्य बनाकर मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए, उस समय भारत की वायु रक्षा प्रणाली की सतर्कता और दक्षता ने एक संभावित बड़े संकट को टाल दिया। भारतीय वायुसेना ने S-400 Triumf, Barak-8 MRSAM और स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली को सक्रिय कर एक अभूतपूर्व सुरक्षा कवच तैयार किया, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और तकनीकी क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया।

प्रमुख वायु रक्षा प्रणालियाँ और उनकी भूमिका:

1. S-400 Triumf (रूस निर्मित):

यह प्रणाली 400 किमी की दूरी तक हवाई खतरों को पहचान कर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है।

पाकिस्तान द्वारा छोड़े गए लंबी दूरी के ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में इसकी भूमिका निर्णायक रही।

2. Barak-8 MRSAM (भारत-इज़राइल संयुक्त परियोजना):

70 किमी तक की मध्यम दूरी के हवाई खतरों से रक्षा करने वाली यह प्रणाली युद्धपोतों और जमीनी ठिकानों दोनों के लिए कारगर है।

15 सैन्य ठिकानों की रक्षा में इस प्रणाली ने कई संभावित हमलों को रास्ते में ही नष्ट किया।

3. आकाश मिसाइल प्रणाली (स्वदेशी):

25-30 किमी की रेंज की यह प्रणाली अल्प दूरी की हवाई रक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है।

संवेदनशील शहरी क्षेत्रों जैसे अमृतसर, जम्मू और श्रीनगर की रक्षा में इस प्रणाली ने बहुमूल्य योगदान दिया।

रणनीतिक महत्व:

यह घटना भारत के मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क की प्रभावशीलता को दर्शाती है।

पाकिस्तान के हमलों का समय, स्थान और समन्वय को देखकर स्पष्ट होता है कि यह एक योजनाबद्ध आक्रामक प्रयास था, जिसे भारतीय रक्षा बलों ने समय पर विफल कर दिया।

तकनीकी और सामरिक सशक्तिकरण:

भारत का रक्षा क्षेत्र अब आयात आधारित नहीं रहा; स्वदेशी तकनीक जैसे "आकाश" ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की।

Make in India और Atmanirbhar Bharat के तहत विकसित प्रणालियाँ अब युद्ध-स्तर की स्थिति में भी विश्वासयोग्य सिद्ध हो रही हैं।

चुनौतियाँ और आगे की राह:

पाकिस्तान की बदलती रणनीति — विशेषकर ड्रोन और हाइपरसोनिक हथियारों के प्रयोग — को ध्यान में रखते हुए भारत को अपनी वायु रक्षा प्रणाली में सतत अद्यतन करना होगा।

सीमा पार से होने वाली सायबर एवं इलेक्ट्रॉनिक जामिंग गतिविधियाँ भी वायु रक्षा प्रणाली के लिए नई चुनौती बन सकती हैं।

समन्वय, डेटा इंटीग्रेशन और रीयल-टाइम थ्रेट एनालिसिस को और उन्नत बनाना होगा।

निष्कर्ष:

8-9 मई की रात्रि केवल भारत-पाक तनाव की एक और कड़ी नहीं थी, बल्कि यह भारत के आत्मविश्वास, तकनीकी क्षमता और रणनीतिक चातुर्य का एक जीता-जागता उदाहरण थी। भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने यह दिखा दिया कि देश अब न केवल सुरक्षा के प्रति सजग है, बल्कि आक्रामक प्रयासों का निर्णायक जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।

UPSC Mains GS-3 के लिए संभावित प्रश्न:

> Q. भारत की वायु रक्षा प्रणाली में मल्टी-लेयर संरचना किस प्रकार कार्य करती है? हाल की घटनाओं के संदर्भ में विवेचना करें।



2-बलोच लेखक ने बलूचिस्तान की आज़ादी का किया ऐलान: पाकिस्तान के लिए नई चुनौती

हाल ही में प्रसिद्ध बलोच लेखक और एक्टिविस्ट मीर यार बलोच द्वारा बलूचिस्तान की 'आज़ादी' का ऐलान किया गया है। उन्होंने पाकिस्तान की प्रभुता को अस्वीकार करते हुए भारत सरकार से अपील की है कि नई दिल्ली में बलोच दूतावास खोलने की अनुमति दी जाए। साथ ही, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में शांति रक्षक बल भेजने और पाकिस्तान की सेना को क्षेत्र खाली करने का आग्रह भी किया है। यह कदम न केवल पाकिस्तान की अखंडता के लिए एक गंभीर चुनौती है, बल्कि दक्षिण एशिया की कूटनीतिक और सामरिक स्थिति में संभावित बदलाव का संकेतक भी है।

Dynamic GK की भविष्यवाणी सिद्ध हुई सटीक

गौरतलब है कि Dynamic GK ने 17 मार्च के अपने विश्लेषणात्मक पोस्ट में इस बात पर विस्तार से प्रकाश डाला था कि निकट भविष्य में बलूचिस्तान में एक बड़ा राजनीतिक ऐलान हो सकता है। लेख में यह तर्क दिया गया था कि पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता, सेना और बलोच नेताओं के बीच बढ़ते तनाव, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बलूच मुद्दे को मिल रही सहानुभूति आने वाले समय में इस प्रकार के घटनाक्रम को जन्म दे सकती है।

कूटनीतिक प्रभाव और भारत की भूमिका

मीर यार बलोच द्वारा भारत में दूतावास खोलने की अपील भारत सरकार के समक्ष एक संवेदनशील कूटनीतिक चुनौती प्रस्तुत करती है। भारत यदि इस मांग को स्वीकार करता है, तो यह पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है। वहीं यदि भारत इससे पीछे हटता है, तो वह बलूच जनभावनाओं से कट सकता है। ऐसे में भारत को रणनीतिक विवेक और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के संतुलन को ध्यान में रखते हुए कोई भी निर्णय लेना होगा।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और संभावित परिणाम

संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में शांति रक्षक बल भेजने की मांग अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक बार फिर इस क्षेत्र की ओर ध्यान देने को मजबूर कर सकती है। यदि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है और उसे समर्थन मिलता है, तो यह पाकिस्तान की संप्रभुता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बन सकता है।


निष्कर्ष:

मीर यार बलोच का यह ऐलान न केवल पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक झटका है, बल्कि दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में संभावित बदलाव की शुरुआत भी है। Dynamic GK द्वारा की गई भविष्यवाणी की पुष्टि इस घटनाक्रम से होती है, जो बताता है कि विश्लेषण आधारित पत्रकारिता आज भी कितनी प्रासंगिक और प्रभावी हो सकती है।




3-विश्व में परमाणु हथियारों की स्थिति: एक विश्लेषण | भारत-पाक की स्थिति क्या कहती है?

परिचय

परमाणु हथियार आधुनिक विश्व की सबसे विनाशकारी सैन्य क्षमताओं में से एक हैं। ये हथियार न केवल युद्ध की रूपरेखा बदलते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सामरिक संतुलन को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। हाल ही में फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, परमाणु हथियारों के मामले में दुनिया के देशों के बीच प्रतिस्पर्धा अब भी जारी है।

विश्व की परमाणु शक्ति संरचना

FAS के अनुसार, रूस के पास दुनिया में सबसे अधिक 5,449 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 1,150 हथियार रिटायर्ड (सेवा से हटाए गए) माने जाते हैं। इसके बाद अमेरिका दूसरे स्थान पर है, जिसके पास 5,277 हथियार हैं, जिनमें से 1,577 रिटायर्ड हैं।

इन दो देशों के बाद, चीन के पास 600, फ्रांस के पास 290 और ब्रिटेन के पास 225 परमाणु हथियार हैं।

दक्षिण एशिया की स्थिति: भारत बनाम पाकिस्तान

दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों पारंपरिक शत्रु हैं और दोनों के पास परमाणु क्षमता है।

  • भारत के पास लगभग 180 परमाणु हथियार हैं।
  • पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं।

यह स्थिति न केवल क्षेत्रीय संतुलन को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि किसी भी संभावित संघर्ष की स्थिति में विनाश की आशंका कितनी अधिक हो सकती है।

कूटनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण

भारत की परमाणु नीति "No First Use" (पहले प्रयोग नहीं) पर आधारित है, जबकि पाकिस्तान की नीति अपेक्षाकृत आक्रामक मानी जाती है, जो असममित युद्ध के सिद्धांतों पर आधारित है। इस भिन्न दृष्टिकोण के कारण क्षेत्रीय तनावों के समय परमाणु हथियारों के प्रयोग की आशंका बढ़ जाती है।

निष्कर्ष

परमाणु हथियारों की वैश्विक स्थिति यह दर्शाती है कि हथियारों की दौड़ आज भी एक गंभीर वास्तविकता है। जबकि रूस और अमेरिका शीर्ष पर हैं, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों की स्थिति दर्शाती है कि क्षेत्रीय संघर्ष भी वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय हो सकता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरस्त्रीकरण और पारदर्शिता की ओर प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं।


4-"ऑपरेशन सिंदूर और स्त्री शक्ति का परचम: जब गर्व ने आंखें नम कर दीं"

(एक भावनात्मक श्रद्धांजलि उस क्षण को जब दो बेटियों ने राष्ट्र की सेना का गौरव बनकर दुनिया को संदेश दिया)


देश की राजधानी की धूप में भी उस दिन एक अलग सी चमक थी। कोई साधारण प्रेस ब्रीफिंग नहीं थी वो – वह एक ऐतिहासिक, भावनात्मक और गौरवपूर्ण क्षण था, जिसने पूरे देशवासियों के रोंगटे खड़े कर दिए। ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस को संबोधित कर रही थीं – कर्नल सोफिया कुरैशी (भारतीय सेना) और विंग कमांडर व्योमिका सिंह (भारतीय वायुसेना)। वे सिर्फ वर्दीधारी अधिकारी नहीं थीं, वे भारत की बेटियों के स्वाभिमान, संघर्ष और सफलता की जीवित प्रतिमूर्ति थीं।


"हमें बताया गया था, यह क्षेत्र हमारा नहीं..."

कभी किसी ने कहा था – “सेना पुरुषों की दुनिया है”, और दशकों तक यह झूठ एक सच की तरह बोला गया। लेकिन जब 2025 में ये दो वीर महिलाएं कैमरे के सामने आयीं, पूरे आत्मविश्वास के साथ देश को एक बड़े सैन्य अभियान की जानकारी दे रहीं थीं, तो एक पूरी पीढ़ी को मानो जवाब मिल गया –
“हां, यह भी हमारा क्षेत्र है। यह भी हमारा भारत है।”


एक फैसला जो मील का पत्थर बना

17 फरवरी 2020 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज फिर याद आया, जब न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और अजय रस्तोगी ने कहा था –

“स्त्री अधिकारी भी वह सब कुछ कर सकती हैं जो पुरुष कर सकते हैं। उन्हें अवसर न देना संविधान का उल्लंघन है।”

उस दिन न्याय का दरवाज़ा खोला गया था, और आज – उस फैसले की जीवंत, साहसी और गरिमामयी परिणति देखी हमने।


भावना के उस क्षण की महक

जब कर्नल सोफिया कुरैशी ने शांत लेकिन ठोस आवाज़ में कहा –

“ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, हमारे बलों की एकजुटता और संकल्प का प्रतीक है,”
तब हर देशवासी ने न केवल भारतीय सेना पर, बल्कि भारतीय नारी शक्ति पर गर्व महसूस किया।

और जब विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि कैसे वायुसेना ने ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया, तब वह केवल ऑपरेशन नहीं था जो सामने आया – वो सदी भर की मेहनत, संघर्ष और दृढ़ नारी संकल्प की गूंज थी जो पूरे भारत में फैल गई।


देश की बेटियाँ अब रुकेंगी नहीं

ये पल उन हज़ारों लड़कियों के लिए आशा की किरण था जो आज छोटे कस्बों और गांवों में वर्दी पहनने का सपना देख रही हैं। ये पल उस समाज के लिए जवाब था जो आज भी कहता है – “यह काम लड़कियों के बस का नहीं।”

अब ये कहना बेकार हो गया है।


एक माँ की आंखें, एक पिता का सिर, और एक देश की आत्मा

उस पल देश की हर माँ की आंखें नम थीं – क्योंकि उनकी बेटी आज देश को दिशा दे रही थी।
हर पिता का सिर गर्व से ऊंचा था – क्योंकि उसकी बेटी अब सिर्फ घर की इज्ज़त नहीं, राष्ट्र की सुरक्षा का हिस्सा है।
और देश की आत्मा जैसे मुस्कुरा उठी – यह नया भारत है, जहां ‘बेटी बचाओ’ से आगे बढ़कर ‘बेटी बढ़ाओ और देश बनाओ’ तक आ गया है।


निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य मिशन नहीं था, यह भारत की बेटियों के लिए वो दरवाज़ा था जो कभी बंद था – आज खुला है, और पूरी दुनिया को दिखाई दे रहा है।

नमन है उस क्षण को, उस साहस को, और उन बेटियों को जो आज इतिहास नहीं, भविष्य लिख रही हैं।




5-बैलोच विद्रोह: बलूचिस्तान में गहराता संकट और पाकिस्तान की सुरक्षा पर संकट

विश्लेषणात्मक लेख प्रस्तुत है, जो UPSC GS पेपर 2 और 3 के दृष्टिकोण से भी उपयोगी हो सकता है

प्रस्तावना:


हाल ही में बलूच विद्रोही संगठनों द्वारा बलूचिस्तान के तीन हिस्सों पर कब्जे का दावा और पाकिस्तानी झंडों को हटाकर अपने झंडे फहराने की घटनाएं एक बार फिर से इस क्षेत्र की अशांत स्थिति को उजागर करती हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा 12 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने का दावा, पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

सांप्रदायिक असंतोष और विद्रोह की पृष्ठभूमि:


बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो खनिज संपदा से समृद्ध होने के बावजूद विकास और राजनीतिक भागीदारी के लिहाज़ से पिछड़ा हुआ है। स्थानीय आबादी लंबे समय से आर्थिक शोषण, सांस्कृतिक उपेक्षा और सैन्य दमन का आरोप लगाती रही है। इसी पृष्ठभूमि में बलूच विद्रोही समूहों का जन्म हुआ, जो स्वतंत्र बलूच राष्ट्र की मांग कर रहे हैं।

वर्तमान घटना का विश्लेषण:


इस बार बलूच विद्रोही संगठनों के तीन समूहों ने तीन भिन्न क्षेत्रों पर कब्जे का दावा करते हुए पाकिस्तानी झंडे हटाकर बलूचिस्तान के झंडे फहराए हैं। इन घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि विद्रोही संगठनों की रणनीति केवल सशस्त्र संघर्ष तक सीमित नहीं रही, बल्कि वे प्रतीकात्मक विद्रोह के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन और ध्यान भी आकर्षित करना चाहते हैं।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:

  1. पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा: लगातार होने वाले हमले पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया क्षमताओं पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं।
  2. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC): बलूच विद्रोह CPEC की परियोजनाओं को बाधित करता है, जिससे चीन की चिंता और निवेश अस्थिर हो सकता है।
  3. भारत की रणनीतिक दृष्टि: भारत के लिए यह क्षेत्र भू-राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील है। हालांकि भारत सार्वजनिक रूप से किसी भी विद्रोह का समर्थन नहीं करता, परंतु यह घटनाएं पाकिस्तान के भीतर असंतोष और कमजोर आंतरिक एकता को उजागर करती हैं।

नैतिक और मानवीय दृष्टिकोण:


बलूच विद्रोह केवल राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि मानवीय संकट भी है। सैन्य कार्रवाई के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन, जबरन गुमशुदगियां और नागरिकों की दुर्दशा की खबरें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की छवि को धूमिल करती हैं।

निष्कर्ष:


बलूच विद्रोही संगठनों की हालिया कार्रवाई पाकिस्तान की प्रादेशिक एकता, सुरक्षा तंत्र और राजनीतिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती है। जब तक पाकिस्तान बलूचिस्तान को समावेशी विकास, राजनीतिक भागीदारी और सांस्कृतिक सम्मान नहीं देता, तब तक यह विद्रोह केवल सशस्त्र संघर्ष न रहकर अंतरराष्ट्रीय विमर्श का विषय बनता रहेगा।




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