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Adi Shankaracharya: The Eternal Light of Indian Intellectual Tradition

 आदि शंकराचार्य: भारतीय चेतना के चिरस्थायी प्रकाश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरती पर कुछ ही ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने समय की धारा को मोड़ा और युगों तक प्रेरणा दी। आदि शंकराचार्य उनमें से एक हैं – एक ऐसी ज्योति, जिसने 8वीं शताब्दी में भारतीय बौद्धिक और आध्यात्मिक जगत को नया जीवन दिया। केरल के छोटे से कालड़ी गाँव में जन्मे इस युवा सन्यासी ने न केवल वेदों के गूढ़ ज्ञान को सरल बनाया, बल्कि उसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। एक युग का संकट और शंकर का उदय उस समय भारत एक बौद्धिक और धार्मिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। अंधविश्वास, पंथों की भीड़ और बौद्ध धर्म के प्रभुत्व ने वैदिक परंपराओं को धूमिल कर दिया था। लोग सत्य की खोज में भटक रहे थे। ऐसे में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का झंडा उठाया और कहा – "सत्य एक है, बाकी सब माया है।" उनका यह संदेश सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका था। "अहं ब्रह्मास्मि" – मैं ही ब्रह्म हूँ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सरल लेकिन गहरा है। वे कहते थे कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं। हमारी आँखों के सामने ...

Cryptocurrency in India: Opportunities, Challenges, and the Need for a Regulatory Framework

क्रिप्टोकरेंसी: संभावनाएं, चुनौतियां और भारत में नियामक ढांचे की आवश्यकता

(UPSC GS Paper 3 – Indian Economy, Cybersecurity, Technology)


वर्तमान संदर्भ:

16अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमें केंद्र सरकार से क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने हेतु एक स्पष्ट नियामक नीति बनाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वर्तमान में क्रिप्टो लेन-देन अनियमित हैं, जिससे निवेशकों के साथ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे खतरे बढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, "हम कानून नहीं बना सकते। यह कार्य विधायिका का है।"

भूमिका:

21वीं सदी में डिजिटल क्रांति ने वित्तीय प्रणाली को नया स्वरूप दिया है। इसी क्रम में क्रिप्टोकरेंसी उभरी है – एक विकेंद्रीकृत, डिजिटल मुद्रा जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है। बिटकॉइन, ईथर और लाइटकॉइन जैसी करेंसियां पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली को चुनौती देती हैं। हालांकि, इसके बढ़ते चलन के साथ-साथ इससे जुड़ी आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा संबंधी जटिलताएं भी सामने आई हैं, जिससे भारत में एक समग्र नियामक ढांचे की आवश्यकता महसूस की जा रही है।


क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की वर्चुअल/डिजिटल मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी और ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है। इसका कोई भौतिक रूप नहीं होता और इसे केंद्रीकृत संस्थाएं (जैसे बैंक या सरकार) जारी नहीं करतीं। यह पीयर-टू-पीयर नेटवर्क के माध्यम से संचालित होती है।


क्रिप्टोकरेंसी की विशेषताएं:

  1. विकेंद्रीकृत प्रणाली (Decentralization)
  2. गोपनीयता और गुमनामी (Anonymity)
  3. सीमाविहीन लेन-देन (Borderless Transactions)
  4. ब्लॉकचेन आधारित पारदर्शिता
  5. सीमित आपूर्ति (जैसे बिटकॉइन की अधिकतम संख्या 21 मिलियन)

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति:

  • वर्ष 2018 में RBI ने बैंकों को क्रिप्टो से जुड़े लेन-देन पर रोक लगाई थी।
  • 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को रद्द कर दिया
  • 2022 के बजट में भारत सरकार ने क्रिप्टो आय पर 30% कर और 1% TDS का प्रावधान किया।
  • 2023 में RBI ने "डिजिटल रुपया" (CBDC) लॉन्च किया, जो एक सरकारी डिजिटल मुद्रा है।

हालांकि अभी तक क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मुद्रा (Legal Tender) का दर्जा नहीं मिला है और न ही कोई स्पष्ट नियामक कानून मौजूद है।


क्रिप्टोकरेंसी की संभावनाएं (Opportunities):

  1. वित्तीय समावेशन – बिना बैंकिंग व्यवस्था वाले क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान की सुविधा।
  2. टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन – ब्लॉकचेन आधारित सेवाओं का विकास।
  3. रोज़गार और नवाचार के नए क्षेत्र – NFT, Web3, DApps आदि।
  4. सीमा पार भुगतान में सरलता और कम लागत

क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी चुनौतियां (Challenges):

  1. विनियमन की अनुपस्थिति – धोखाधड़ी और अनियमित बाजार।
  2. मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद फंडिंग का खतरा
  3. निवेशकों की सुरक्षा – अत्यधिक अस्थिरता और फर्जी स्कीम्स।
  4. साइबर अपराध – हैकिंग, फिशिंग और रैंसमवेयर का उपयोग।
  5. राजस्व हानि – टैक्स चोरी के बढ़ते मामले।
  6. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव – पूंजी का अनियंत्रित प्रवाह।

नियामक ढांचे की आवश्यकता:

भारत जैसे विशाल और विविध अर्थव्यवस्था वाले देश में क्रिप्टोकरेंसी को बिना रेगुलेशन के छोड़ना आर्थिक अस्थिरता, सुरक्षा जोखिम और निवेशकों की ठगी को जन्म दे सकता है। इसलिए एक समग्र क्रिप्टो रेगुलेशन नीति की आवश्यकता है जो निम्नलिखित बातों पर आधारित हो:

  1. स्पष्ट परिभाषा – क्रिप्टो को आस्ति, सेवा, या मुद्रा के रूप में परिभाषित करना।
  2. रेगुलेटरी निकाय का गठन – RBI, SEBI या एक नई संस्था द्वारा निगरानी।
  3. KYC और AML मानक – Know Your Customer और Anti Money Laundering नियमों का पालन।
  4. निवेशक जागरूकता अभियान
  5. अंतरराष्ट्रीय सहयोग – G20 और FATF जैसी संस्थाओं से तालमेल।
  6. संतुलित नीति – नवाचार और सुरक्षा के बीच संतुलन।

सरकार के प्रयास:

  • G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने वैश्विक क्रिप्टो फ्रेमवर्क पर चर्चा की।
  • IMF और FSB की सिफारिशों को अपनाने का संकेत
  • CBDC के ज़रिए वैकल्पिक डिजिटल समाधान पर कार्य।

UPSC के दृष्टिकोण से संभावित प्रश्न:

GS Paper 3:

  • भारत में क्रिप्टोकरेंसी के नियमन से जुड़ी प्रमुख समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  • "क्रिप्टोकरेंसी तकनीकी नवाचार का माध्यम है, लेकिन आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा भी।" टिप्पणी कीजिए।
  • भारत में डिजिटल मुद्राओं और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए, नियामक विकल्पों की चर्चा कीजिए।

निष्कर्ष:

क्रिप्टोकरेंसी आधुनिक डिजिटल युग की अनिवार्य वास्तविकता बन चुकी है। भारत जैसे देश को चाहिए कि वह न तो अंध विरोध करे, न ही अनियंत्रित अपनाए। एक संतुलित, पारदर्शी और नवाचार को बढ़ावा देने वाला नियामक ढांचा ही देश के आर्थिक और तकनीकी भविष्य को सुरक्षित दिशा प्रदान कर सकता है।



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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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