ट्रम्प प्रशासन द्वारा अफगान विशेष आप्रवासन कार्यक्रम की अस्थायी रोकः
सुरक्षा-आप्रवासन के द्वंद्व और अमेरिकी नीतिगत विश्वसनीयता का संकट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही विदेश विभाग ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने न केवल अमेरिका की आप्रवासन नीति, बल्कि उसके 20-वर्षीय अफगान मिशन से जुड़े नैतिक वादों पर भी गहरी बहस छेड़ दी है। एक गोपनीय केबल, जिसकी जानकारी मीडिया में लीक हुई, बताती है कि विश्वभर के अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को अफगान नागरिकों—विशेष रूप से पूर्व अमेरिकी सहयोगियों—के वीज़ा आवेदन तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है। इस रोक का सीधा असर उस Special Immigrant Visa (SIV) कार्यक्रम पर पड़ता है, जिसे 2009 में उन अफगान दुभाषियों, चालकों, सुरक्षा कर्मियों और अन्य सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था, जिन्होंने अमेरिकी बलों के साथ काम कर अपनी जान जोखिम में डाली थी।
इस अचानक लागू किए गए आदेश की पृष्ठभूमि वाशिंगटन डी.सी. में नवंबर 2025 में हुई एक गोलीबारी की घटना बताई जा रही है। रिपोर्टों के अनुसार, हमले में शामिल संदिग्ध एक पूर्व अफगान कमांडो था, जो कभी CIA-समर्थित गुप्त यूनिटों का सदस्य रह चुका था। इस घटना ने दक्षिणपंथी मीडिया और रिपब्लिकन सियासत को यह दावा दोहराने का मौका दिया कि अफगान शरणार्थियों की स्क्रीनिंग “ढीली” रही है और इससे अमेरिका की घरेलू सुरक्षा को गंभीर खतरा है।
नीतिगत पृष्ठभूमि और उभरती विरोधाभास
1. अफगान निकासी और बाइडन काल
2021 में काबुल के पतन के बाद बाइडन प्रशासन ने Operation Allies Welcome के तहत लगभग 76,000 अफगानों को अमेरिका पहुँचाया था। हज़ारों को SIV या मानवीय पैरोल प्राप्त हुआ, जबकि कई अभी भी वर्षों पुरानी प्रतीक्षा सूची में फंसे हुए हैं।
2. ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” नीति
ट्रम्प ने अपने चुनाव अभियान में ही अफगान शरणार्थियों की व्यापक “समीक्षा” और सुरक्षा-जोखिम वाले कार्यक्रमों को सीमित करने का वादा किया था। नई रोक को प्रशासन “अस्थायी” कह रहा है, परंतु ट्रम्प के पहले कार्यकाल का अनुभव—विशेषकर “ट्रैवल बैन”—यह दिखाता है कि अस्थायी रोकें अक्सर स्थायी ढांचों में बदल जाती हैं।
3. प्रशासनिक विसंगति
कांग्रेस द्वारा विधिक रूप से संरक्षित SIV कार्यक्रम पर कार्यपालिका द्वारा रोकी जाने वाली कार्रवाई कानूनी और नीतिगत टकराव पैदा कर सकती है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह रोक सुरक्षा समीक्षा तक सीमित है या व्यापक नीतिगत पुनर्गठन का हिस्सा है।
सुरक्षा बनाम नैतिक दायित्व: अमेरिका का आंतरिक संघर्ष
अमेरिका ने दो दशकों तक अफगान नागरिकों से यह वादा किया था कि यदि वे अमेरिकी मिशन का साथ देंगे, तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका उठाएगा। हजारों दुभाषियों ने युद्ध क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की जान बचाई; खुफिया सहयोगियों ने तालिबान की योजनाओं को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज उसी वर्ग को अचानक वीज़ा प्रक्रिया से बाहर कर देना एक गंभीर नैतिक विरोधाभास उत्पन्न करता है।
निस्संदेह, सुरक्षा चिंताएँ वास्तविक हैं। यदि CIA-प्रशिक्षित कोई व्यक्ति अमेरिका में हिंसक घटना को अंजाम देता है, तो यह स्क्रीनिंग प्रक्रिया में संभावित खामियों को उजागर करता है। परंतु एक व्यक्ति के अपराध को पूरे समुदाय के खिलाफ हथियार बनाना सामूहिक दंड के समान है—जो न केवल मानवीय सिद्धांतों के विपरीत है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून की आत्मा के भी।
संभावित नीतिगत और भू-राजनीतिक परिणाम
1. हजारों अफगान आवेदकों की अनिश्चितता
SIV प्रक्रिया वर्षों से धीमी है, और नई रोक से पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई देशों में शरण लिए हुए हजारों अफगान और अधिक असुरक्षित हो जाएंगे। तालिबान की पहुँच से कोई भी सुरक्षित नहीं है।
2. अमेरिकी विश्वसनीयता को आघात
स्थानीय सहयोगियों के भरोसे पर टिके हर सैन्य अभियान के लिए यह कदम एक चेतावनी बन जाएगा। भविष्य में कोई भी स्थानीय समुदाय यह सोचने से पहले जोखिम नहीं लेगा कि दो दशक बाद उनका क्या हश्र होगा।
3. अंतरराष्ट्रीय आलोचना
ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा सहित कई सहयोगी देशों ने अफगान सहयोगियों को बसाने के लिए स्वयं कदम उठाए थे। अब अमेरिकी रोक इन साझेदारियों में विश्वास का संकट पैदा कर रही है और अमेरिका के “नैतिक नेतृत्व” के दावे को कमज़ोर कर रही है।
निष्कर्ष
ट्रम्प प्रशासन का यह निर्णय “अमेरिका फर्स्ट” की कठोर व्याख्या का नवीनतम उदाहरण है, जिसमें आंतरिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है, चाहे इसकी कीमत उन लोगों को ही क्यों न चुकानी पड़े जिन्होंने अमेरिकी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तालिबान का सामना किया था।
अफगान सहयोगियों का ऋण केवल नीति-घोषणाओं में नहीं लिखा था—वह युद्धक्षेत्र की धूल, खून और भरोसे में लिखा गया था।
आज अमेरिका उस भरोसे को वापस चुकाने के निर्णायक मोड़ पर है।
दुर्भाग्य से, यह ऋण अब अधूरा ही छोड़ा जा रहा है।
With Reuters Inputs
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