🟢 Project Cheetah Update 2025: India Imports 8 Cheetahs from Botswana, Total 20 in Kuno National Park
प्रोजेक्ट चीता का नवीन अध्याय (दिसंबर 2025): बोत्सवाना से 8 नए चीते, कूनो में कुल संख्या 20
परिचय
भारत का ‘प्रोजेक्ट चीता’ विश्व के सबसे अनोखे वन्यजीव पुनर्वास अभियानों में से एक है, जिसका उद्देश्य विलुप्त हो चुके एशियाई चीते की वापसी सुनिश्चित करना है। दिसंबर 2025 में इस परियोजना ने एक नया पड़ाव पार करेगा जब बोत्सवाना से 8 और चीते भारत लाए जायेंगे, जिससे मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में चीतों की कुल संख्या 28 हो जाएगी। यह कदम भारत के जैव-विविधता पुनर्स्थापन और पारिस्थितिक संतुलन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: विलुप्ति से पुनर्वास तक का सफर
भारत में चीता (Acinonyx jubatus) 1952 में आधिकारिक रूप से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। आख़िरी एशियाई चीते मध्य प्रदेश के कोरिया जिले (अब छत्तीसगढ़) में देखे गए थे।
पिछले कुछ दशकों में भारत सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञों ने लंबे अध्ययन और अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं के बाद अफ्रीकी चीतों को भारत में बसाने की योजना को रूप दिया।
प्रोजेक्ट चीता की औपचारिक शुरुआत 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नामीबिया से आए 8 चीतों के आगमन के साथ हुई थी।
दिसंबर 2025 का अपडेट: बोत्सवाना से 8 नए चीते
दिसंबर 2025 में, भारत ने बोत्सवाना से 8 और चीते आयात किए जा रहे हैं — जिनमें 4 नर और 4 मादा हैं। इन चीतों को पहले क्वारंटाइन और स्वास्थ्य परीक्षणों के बाद कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जायेगा।
उद्देश्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- जैविक विविधता में वृद्धि: कूनो में मौजूद चीतों की जनसंख्या में जेनेटिक विविधता (genetic diversity) बढ़ाना।
- दीर्घकालिक प्रजनन: नियंत्रित निगरानी में चीतों की स्थायी और प्राकृतिक प्रजनन क्षमता का मूल्यांकन।
- पर्यावरणीय पुनर्संतुलन: घास के मैदानों और शिकार श्रृंखला में पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करना।
कूनो नेशनल पार्क की भूमिका और चुनौतियाँ
कूनो नेशनल पार्क (मध्य प्रदेश) को इसलिए चुना गया क्योंकि यहाँ
- पर्याप्त घास के मैदान हैं,
- मानव बस्तियों का दबाव अपेक्षाकृत कम है, और
- यह ऐतिहासिक रूप से बड़े बिल्लियों के लिए उपयुक्त आवास रहा है।
मुख्य चुनौतियाँ:
- चीता–मानव संघर्ष – आसपास के गाँवों में चीतों के घुसने की घटनाएँ चिंता का विषय रही हैं।
- शिकार उपलब्धता – पर्याप्त हिरण व अन्य शिकार प्रजातियों की संख्या बनाए रखना आवश्यक है।
- स्वास्थ्य निगरानी – अफ्रीकी जलवायु से आए चीतों के लिए भारतीय मौसम में अनुकूलन एक बड़ी चुनौती है।
- प्रबंधन विस्तार – वन्यजीव प्रबंधन और रेंजर प्रशिक्षण की निरंतर आवश्यकता बनी हुई है।
वैज्ञानिक एवं पारिस्थितिक दृष्टि से महत्त्व
- ट्रॉफिक रिस्टोरेशन (Trophic Restoration): शीर्ष शिकारी की उपस्थिति पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करती है।
- पर्यावरण शिक्षा: यह परियोजना संरक्षण चेतना को बढ़ावा देती है और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
- जीनोमिक अध्ययन: यह विश्व स्तर पर प्रजातियों के आनुवंशिक अध्ययन में नया मॉडल प्रस्तुत करती है।
वैश्विक दृष्टिकोण: अंतरराष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण
भारत, नामीबिया और बोत्सवाना के बीच हुआ यह सहयोग वैश्विक संरक्षण साझेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- नामीबिया ने 2022 में पहले 8 चीते भेजे।
- 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते आए।
- 2025 में बोत्सवाना से 8 चीते आने के बाद, यह परियोजना “तीन-देशीय संरक्षण गठबंधन” का रूप ले लेगी।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
- इको-टूरिज्म में वृद्धि: कूनो को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- स्थानीय आजीविका: गाइड, वन रक्षक और आतिथ्य सेवाओं में ग्रामीण युवाओं के लिए नए अवसर।
- संवेदनशील सहअस्तित्व: समुदायों में वन्यजीवों के प्रति सहानुभूति और संरक्षण भावना का विकास।
भविष्य की दिशा
- सैटेलाइट ट्रैकिंग द्वारा हर चीते की स्थिति की निगरानी जारी है।
- सरकार ने 2026 तक चीतों की संख्या 30–35 तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।
- भविष्य में नया आवास क्षेत्र (जैसे गांधी सागर अभयारण्य, नौरादेही अभयारण्य) विकसित करने की योजना है।
निष्कर्ष
प्रोजेक्ट चीता केवल एक वन्यजीव पुनर्वास कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की पारिस्थितिक पुनर्जागरण यात्रा का प्रतीक है। बोत्सवाना से आए 8 नए चीतों के साथ, कूनो नेशनल पार्क अब इस अभियान का जीवंत केंद्र बन चुका है।
यदि दीर्घकालिक निगरानी, समुदाय की भागीदारी और पारिस्थितिक प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाए, तो आने वाले वर्षों में यह परियोजना न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर “Species Reintroduction Success Story” के रूप में स्थापित हो सकती है।
🔍 मुख्य तथ्य (Quick Facts):
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| परियोजना आरंभ | 17 सितंबर 2022 |
| पहला देश (आयात) | नामीबिया (8 चीते) |
| दूसरा देश | दक्षिण अफ्रीका (12 चीते) |
| तीसरा देश | बोत्सवाना (8 चीते, दिसंबर 2025) |
| वर्तमान कुल चीते | 20 (कूनो नेशनल पार्क) |
| प्रमुख उद्देश्य | पारिस्थितिक संतुलन और जैव विविधता पुनर्स्थापन |
| आगामी लक्ष्य | 2026 तक 30–35 चीते |
| प्रमुख चुनौतियाँ | जलवायु अनुकूलन, मानव-चीता संघर्ष, स्वास्थ्य निगरानी |
लेखक टिप्पणी (UPSC दृष्टिकोण से):
- यह विषय GS Paper-3 (Environment and Ecology) के अंतर्गत “Biodiversity Conservation” से जुड़ा है।
- इससे संबंधित संभावित प्रश्न:
- “Evaluate India’s Project Cheetah as a model for species reintroduction and ecosystem restoration.”
- “What are the ecological and socio-economic implications of reintroducing cheetahs in India?”
सन्दर्भ (References / Sources)
भारत में चीतों की पुनर्वापसी को लेकर दिसंबर 2025 तक हुई प्रगति से संबंधित जानकारी विभिन्न आधिकारिक एवं मीडिया स्रोतों से प्राप्त की गई है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधिकारियों द्वारा जारी बयानों के अनुसार, भारत ने बोत्सवाना से आठ नए चीतों के आयात की प्रक्रिया पूरी की है, जिन्हें मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पुनर्वासित किया गया। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव के वक्तव्यों पर आधारित है, जिन्हें राष्ट्रीय प्रसार माध्यम News On Air (3 नवंबर 2025) ने उद्धृत किया। इसके अतिरिक्त, The New Indian Express (3 नवंबर 2025) और The Brew News (4 नवंबर 2025) ने भी इस विकास की पुष्टि करते हुए बताया कि इन आठ चीतों में चार नर और चार मादा शामिल हैं। ये सभी स्रोत इस तथ्य को रेखांकित करते हैं कि अब कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की कुल संख्या बीस हो गई है — जो भारत के ‘प्रोजेक्ट चीता’ के अंतर्गत वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
(स्रोत: The New Indian Express, News On Air, The Brew News, एवं पर्यावरण मंत्रालय के आधिकारिक वक्तव्य, नवम्बर 2025)

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