Lucknow Declared UNESCO Creative City of Gastronomy: Reviving Awadhi Cuisine and Heritage on the Global Stage
लखनऊ: यूनेस्को द्वारा ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी’ की मान्यता
प्रस्तावना
अवध की रसोई, उसकी तहज़ीब और स्वाद की नफ़ासत अब विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुकी है। लखनऊ, जिसे नवाबी शान, शेरो-शायरी और सांस्कृतिक परिष्कार के लिए जाना जाता है, अब यूनेस्को की “क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” के रूप में विश्व मानचित्र पर दर्ज हो गया है। 31 अक्टूबर 2025 को विश्व नगरीय दिवस के अवसर पर उज़्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित यूनेस्को महासभा के 43वें सत्र में यह घोषणा की गई। यह उपलब्धि न केवल लखनऊ की पाक परंपरा की समृद्धि को रेखांकित करती है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को भी वैश्विक स्तर पर नई पहचान देती है।
अवधी पाककला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लखनऊ की पाक विरासत अवध के नवाबी युग से आरंभ होती है, जब स्वाद, सौंदर्य और सलीके को एक कला का रूप दे दिया गया था। अवधी व्यंजन मुग़ल, फ़ारसी, तुर्की और स्थानीय उत्तर भारतीय परंपराओं का अद्भुत संगम हैं। दमपोख्त, क़ोरमा, कबाब, बिरयानी, शीरमाल और निहारी जैसे व्यंजन केवल भोजन नहीं, बल्कि संस्कृति के जीवंत प्रतीक हैं।
अवधी रसोई की आत्मा उसकी ‘दम’ तकनीक में बसती है — जहाँ धीमी आँच पर सील बंद बर्तनों में स्वाद को पकाया जाता है। यह वही कला है जिसने दुनिया को टुंडे कबाब, इदरीस की बिरयानी और प्रकाश की कुल्चा-निहारी जैसे स्वादों से परिचित कराया।
यूनेस्को की मान्यता का आधार बनीं लखनऊ की कुछ विशिष्ट विशेषताएँ:
- विविधता और समावेशिता — शाकाहारी व मांसाहारी व्यंजनों का संतुलित सह-अस्तित्व।
- पारंपरिक शिल्प और तकनीक — मिट्टी, ताँबा और पीतल के बर्तनों में खाना पकाने की पुरानी रीत।
- सामुदायिकता की भावना — रमज़ान के इफ्तार, मोहर्रम की नज़्र, और तीज जैसे त्योहारों पर साझा भोजन की संस्कृति।
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क: वैश्विक परिप्रेक्ष्य
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UCCN) की स्थापना 2004 में की गई थी, जिसका उद्देश्य रचनात्मकता को सतत शहरी विकास का प्रमुख स्तंभ बनाना है। इस नेटवर्क में वर्तमान में सात श्रेणियाँ हैं — संगीत, साहित्य, डिज़ाइन, मीडिया आर्ट्स, फिल्म, शिल्प एवं गैस्ट्रोनॉमी।
लखनऊ इस नेटवर्क में सम्मिलित होकर भारत का दूसरा शहर बन गया है जिसे गैस्ट्रोनॉमी श्रेणी में स्थान मिला है। इससे पूर्व हैदराबाद को यह सम्मान 2023 में प्राप्त हुआ था।
इस अंतरराष्ट्रीय मान्यता के दूरगामी प्रभाव निम्नलिखित हैं:
| क्षेत्र | संभावित प्रभाव |
|---|---|
| पर्यटन | गैस्ट्रोनॉमिक टूरिज़्म में वृद्धि; “लखनवी दावत” ब्रांड का अंतरराष्ट्रीय प्रसार। |
| आर्थिक | स्थानीय रसोइयों, बर्तनों के कारीगरों और कृषि उत्पादकों को नया बाज़ार। |
| शैक्षिक | पाककला संस्थानों और शोध केंद्रों की स्थापना। |
| संरक्षण | पारंपरिक व्यंजनों का दस्तावेजीकरण और संरक्षण। |
चुनौतियाँ और आगे की राह
यूनेस्को की यह मान्यता सम्मान के साथ-साथ ज़िम्मेदारी भी लेकर आई है। अब चुनौती है कि आधुनिकता और प्रामाणिकता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
- स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का पालन,
- स्थानीय सामग्री की सतत उपलब्धता,
- युवाओं को पारंपरिक पाककला से जोड़ना,
- और डिजिटल माध्यमों से वैश्विक प्रचार — ये सभी कदम आवश्यक हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘अवधी हेरिटेज किचन सेंटर’ और ‘लखनऊ गैस्ट्रोनॉमी फेस्टिवल’ जैसी पहलें इस दिशा में प्रेरक साबित हो सकती हैं।
निष्कर्ष
लखनऊ की यह उपलब्धि केवल एक शहर की जीत नहीं, बल्कि भारत की बहुरंगी पाक-संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। इस मान्यता से न केवल लखनऊ की नवाबी विरासत पुनर्जीवित होगी, बल्कि यह सतत विकास लक्ष्यों (SDG 11: सतत नगर एवं समुदाय) की दिशा में भी योगदान देगी।
आवश्यक है कि राज्य सरकार, यूनेस्को और स्थानीय समुदाय मिलकर एक ‘लखनऊ गैस्ट्रोनॉमी रोडमैप 2030’ तैयार करें, जो स्वाद, संस्कृति और स्थायित्व — तीनों को समान महत्व दे।
संदर्भ:
- Hindustan Metropolis, 2 नवंबर 2025 — “Lucknow is Creative City of Gastronomy, courtesy UNESCO’s recognition.”
- UNESCO Creative Cities Network Portal — uccn.unesco.org
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