भारत में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत: विश्व स्वास्थ्य संगठन की चिंता और निर्यात की जांच
हाल ही में भारत में एक दुखद घटना ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारतीय अधिकारियों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या 17 बच्चों की मौत का कारण बने जहरीले कफ सिरप को अन्य देशों में निर्यात किया गया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन मौतों का संबंध डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) नामक एक विषाक्त पदार्थ से जुड़ा है, जो कफ सिरप में पाया गया। यह घटना न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है।
घटना का विवरण
भारत में 17 बच्चों की मौत के बाद, जांच में पाया गया कि कुछ कफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी थी, जो एक औद्योगिक रसायन है और मानव उपभोग के लिए अत्यंत हानिकारक है। इस रसायन का उपयोग दवाओं में नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह गुर्दे और यकृत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे मृत्यु हो सकती है। यह पहली बार नहीं है जब भारत में इस तरह की घटना सामने आई है। पहले भी, खासकर 2022 और 2023 में, भारतीय कफ सिरप से संबंधित मौतों की खबरें सामने आई थीं, विशेष रूप से अफ्रीकी देशों जैसे गांबिया और उज्बेकिस्तान में।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और भारतीय अधिकारियों से तत्काल जवाब मांगा है। डब्ल्यूएचओ का मुख्य सवाल यह है कि क्या इन जहरीले कफ सिरप को अन्य देशों में निर्यात किया गया है। यदि ऐसा हुआ है, तो यह वैश्विक स्तर पर बच्चों और अन्य उपभोक्ताओं के लिए खतरा पैदा कर सकता है। डब्ल्यूएचओ ने दवा निर्माताओं और नियामक प्राधिकरणों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इसके साथ ही, संगठन ने दवा उत्पादन में गुणवत्ता नियंत्रण और कड़े नियमों की आवश्यकता पर जोर दिया है।
भारत की स्थिति
भारत, जिसे "विश्व की फार्मेसी" के रूप में जाना जाता है, वैश्विक स्तर पर दवाओं का एक प्रमुख निर्यातक है। हालांकि, हाल के वर्षों में भारतीय दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे हैं, खासकर जब कुछ निर्यातित कफ सिरप में विषाक्त पदार्थ पाए गए। इस घटना ने भारत की दवा नियामक प्रणाली, विशेष रूप से केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO), पर सवाल उठाए हैं। भारतीय अधिकारियों ने दावा किया है कि वे इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं और दोषी निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वैश्विक प्रभाव
इस घटना ने एक बार फिर दवा आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यदि इन जहरीले सिरप को अन्य देशों में निर्यात किया गया है, तो यह उन देशों में स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है, जहां नियामक तंत्र कमजोर हैं। डब्ल्यूएचओ ने पहले ही कई देशों को भारतीय दवाओं की जांच करने की सलाह दी है। इसके अलावा, यह मामला भारत की दवा उद्योग की साख को भी प्रभावित कर सकता है, जो वैश्विक बाजार में अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।
आगे की राह
इस घटना से निपटने के लिए कुछ तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है:
- कठोर गुणवत्ता नियंत्रण: भारतीय दवा निर्माताओं को उत्पादन प्रक्रिया में कड़े गुणवत्ता नियंत्रण उपाय अपनाने होंगे।
- निर्यात की जांच: यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी संदिग्ध दवा विदेशों में न भेजी जाए।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों के नियामक प्राधिकरणों के साथ मिलकर भारत को इस मामले की पूरी जांच करनी चाहिए।
- जागरूकता और शिक्षा: उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य पेशेवरों को दवाओं की सुरक्षा के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
भारत में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत एक गंभीर चेतावनी है कि दवा उद्योग में गुणवत्ता और सुरक्षा को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की चिंता न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह समय है कि भारत अपनी नियामक प्रणाली को मजबूत करे और यह सुनिश्चित करे कि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी दवा आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए मिलकर काम करना होगा। यह न केवल बच्चों की जान बचाने के लिए जरूरी है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
With Reuters Inputs
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