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The “Bedbug Mentality” in Society: A Challenge of Exploitation and Mental Harassment

“समाज में पनपती खटमल प्रवृत्ति: शोषण और मानसिक उत्पीड़न का जाल” परिचय भारतीय समाज में समय-समय पर विभिन्न सामाजिक समस्याएँ उभरती रही हैं। हाल के वर्षों में एक नई प्रवृत्ति सामने आई है, जिसे हम रूपक में “खटमल प्रवृत्ति” कह सकते हैं। जैसे खटमल बिना श्रम किए दूसरों का रक्त चूसकर जीवित रहता है, वैसे ही कुछ लोग दूसरों की मेहनत, संसाधनों और मानसिक शांति का शोषण करके अपने स्वार्थ पूरे करते हैं। यह केवल आर्थिक परजीविता तक सीमित नहीं है, बल्कि अब इसका नया रूप मानसिक उत्पीड़न (psychological exploitation) के रूप में दिखाई देने लगा है। यह प्रवृत्ति न केवल व्यक्तिगत जीवन, बल्कि संस्थागत और सामाजिक ढाँचे पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। आर्थिक परजीविता से मानसिक शोषण तक परंपरागत रूप से यह प्रवृत्ति भ्रष्टाचार, मुफ्तखोरी और कार्यस्थल पर दूसरों का श्रेय चुराने जैसे उदाहरणों में दिखाई देती रही है। परंतु अब इसका सूक्ष्म रूप मानसिक उत्पीड़न है — निरंतर आलोचना, अपमानजनक व्यवहार, सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, और असहज तुलना। यह प्रवृत्ति व्यक्ति की mental well-being , समाज की trust capital और संस्थाओं ...

Ayushi Verma: A Story of Perseverance and Patriotism

 सपनों को पंख: रीवा की आयुषी वर्मा से सीखें जज़्बे की कहानी


रीवा (मध्य प्रदेश) की आयुषी वर्मा की सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उस सामाजिक परिवर्तन और प्रेरणा का प्रतीक है जो भारत के युवा वर्ग में नई ऊर्जा का संचार करती है। UPSC CDS परीक्षा में ऑल इंडिया 24वीं रैंक और टेक्निकल एंट्री में प्रथम स्थान प्राप्त कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में चयनित होना, यह दर्शाता है कि कठिन परिश्रम और स्पष्ट दृष्टि से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।


सपनों की नींव और प्रेरणा

रीवा की गलियों में पली-बढ़ी आयुषी ने बचपन में ही वायुसेना की पायलट अवनी चतुर्वेदी का पोस्टर देखा था। उस क्षण उनके मन में यह संकल्प जन्मा कि “मैं भी राष्ट्र की सेवा वर्दी पहनकर करूंगी।” यही संकल्प समय के साथ उनके जीवन का लक्ष्य बन गया।


संघर्ष और अनुशासन का मार्ग

आयुषी की यात्रा हमें यह सिखाती है कि सफलता संयोग नहीं, बल्कि सतत प्रयासों का परिणाम है।

  • इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्होंने सामान्य ज्ञान, समसामयिकी और शारीरिक फिटनेस को बराबर प्राथमिकता दी।
  • असफलताओं से विचलित न होकर उन्होंने उन्हें आत्ममंथन और सुधार का अवसर माना।
  • पारिवारिक प्रोत्साहन ने उनके आत्मविश्वास को और मजबूत किया।

सामाजिक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

UPSC जैसे कठिनतम परीक्षा तंत्र में उनकी सफलता यह संदेश देती है कि भारत के छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों से भी प्रतिभा राष्ट्रीय सेवा में अग्रसर हो सकती है।

  • यह उपलब्धि महिलाओं की भागीदारी को सशक्त करती है और लैंगिक समानता की दिशा में ठोस उदाहरण प्रस्तुत करती है।
  • यह कहानी युवाओं के बीच राष्ट्रवाद और सार्वजनिक सेवा की भावना को प्रोत्साहित करती है।

UPSC अभ्यर्थियों के लिए सबक

  1. सपनों को स्पष्ट लक्ष्य में बदलें – आयुषी ने अपने बचपन के सपने को ठोस तैयारी में ढाला।
  2. अनुशासन और निरंतरता – सफलता की कुंजी केवल प्रतिभा नहीं, बल्कि लगातार परिश्रम है।
  3. असफलता से सीखना – हर असफल प्रयास ने उन्हें और मजबूत बनाया।
  4. राष्ट्रीय दृष्टिकोण – उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि UPSC तैयारी केवल करियर नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का साधन है।

निष्कर्ष

आयुषी वर्मा की यात्रा एक साधारण लड़की से भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट बनने तक की है—जो हर उस विद्यार्थी के लिए प्रेरणा है, जो UPSC अथवा अन्य कठिन परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। यह केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।

👉 युवाओं के लिए संदेश: सपने देखने का साहस कीजिए, उन्हें साधने के लिए अनुशासन अपनाइए, और राष्ट्रसेवा को अपने जीवन का ध्येय बनाइए।



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