U.S.–South Korea Trade Deal 2025: Reviving Strategic Alliances through $350 Billion Investment and Tariff Rebalancing
अमेरिका–दक्षिण कोरिया व्यापार समझौता 2025: निवेश, टैरिफ और रणनीतिक गठबंधनों का पुनरुद्धार
सारांश
वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय संरक्षणवाद, टैरिफ युद्धों और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के नए दौर से गुजर रही है। ऐसे परिदृश्य में 29 अक्टूबर 2025 को सियोल में संपन्न हुआ अमेरिका–दक्षिण कोरिया व्यापार समझौता केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी एक निर्णायक क्षण सिद्ध हुआ। 350 अरब डॉलर के विशाल निवेश पैकेज के साथ यह समझौता न केवल कोरियाई निर्यातों को दंडात्मक टैरिफ से बचाता है, बल्कि अमेरिकी औद्योगिक पुनरुत्थान की दिशा में भी ठोस कदम रखता है।
यह समझौता तथाकथित “प्रबंधित परस्पर निर्भरता” (Managed Interdependence) की अवधारणा को मूर्त रूप देता है — जिसमें प्रतिस्पर्धा और सहयोग दोनों का संतुलन साधने की कोशिश की गई है।
परिचय
2025 का वैश्विक व्यापार परिदृश्य 2018–2020 के दौर के व्यापार युद्धों की गूंज से अब भी प्रभावित है। ट्रम्प प्रशासन की वापसी के साथ “अमेरिका फर्स्ट 2.0” नीति ने फिर से टैरिफ हथियार को कूटनीतिक दबाव के उपकरण के रूप में पुनर्जीवित किया।
दक्षिण कोरिया — जो अमेरिका का एक महत्वपूर्ण एशियाई सहयोगी और विश्व का सातवां सबसे बड़ा निर्यातक है — इस नीति से सर्वाधिक प्रभावित देशों में था। अमेरिकी प्रशासन द्वारा ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने कोरियाई अर्थव्यवस्था के लिए अस्तित्वगत खतरा पैदा कर दिया, क्योंकि ये क्षेत्र उसके जीडीपी का लगभग 40% हिस्सा हैं।
इन परिस्थितियों में जुलाई 2025 में प्रारंभिक स्तर पर एक हैंडशेक डील हुई, जिसके तहत दक्षिण कोरिया ने 350 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया, जिसके बदले अमेरिका ने टैरिफ में रियायतें देने पर सहमति जताई। यह प्रतिबद्धता जापान द्वारा कुछ महीने पहले घोषित 550 अरब डॉलर के निवेश के बाद आई थी, लेकिन कोरिया के लिए इसका महत्व कहीं अधिक था — क्योंकि इसका दांव सीधे उसके निर्यात–आधारित औद्योगिक ढांचे पर था।
अंततः यह समझौता अक्टूबर 2025 में ग्योंगजू में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन के दौरान ट्रम्प और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे-म्युंग की मुलाकात के बाद अंतिम रूप ले सका।
टैरिफ संकट से निवेश प्रतिज्ञा तक
2012 का KORUS FTA (अमेरिका–कोरिया मुक्त व्यापार समझौता) दोनों देशों के बीच 95% टैरिफ को समाप्त कर चुका था। किंतु 2025 में ट्रम्प प्रशासन ने इसे “असंतुलित” बताते हुए पुनः समीक्षा का संकेत दिया। अमेरिका का दक्षिण कोरिया के साथ लगभग 28 अरब डॉलर का व्यापार घाटा राजनीतिक रूप से अस्वीकार्य बताया गया।
25% टैरिफ की धमकी से सबसे पहले ऑटो उद्योग प्रभावित हुआ — हुंडई और किया जैसी कंपनियों की अमेरिकी बाजार हिस्सेदारी 8% तक गिरने लगी। इससे सियोल में राजनीतिक दबाव बढ़ा और बातचीत ने नया मोड़ लिया।
जुलाई 2025 में तैयार प्रारूप में यह तय हुआ कि कोरिया रणनीतिक क्षेत्रों — जैसे सेमीकंडक्टर, जहाज निर्माण और बैटरी उत्पादन — में प्रत्यक्ष निवेश करेगा, जिसके बदले अमेरिका क्रमिक रूप से टैरिफ में कमी लाएगा। यह मॉडल शुद्ध व्यापार उदारीकरण नहीं था, बल्कि लेनदेन आधारित समझौता था — जिसमें बाजार पहुंच को पूंजी प्रवाह से जोड़ा गया।
समझौते का ढांचा और प्रमुख घटक
अंतिम समझौता दो मुख्य घटकों में विभाजित है:
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नकद निवेश (200 अरब डॉलर):
- यह राशि अगले दस वर्षों में 20-20 अरब डॉलर की वार्षिक किश्तों में दी जाएगी।
- इसका उद्देश्य अमेरिकी औद्योगिक बुनियादी ढांचे और रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है।
- इस निवेश से उत्पन्न लाभ को 50-50 अनुपात में साझा किया जाएगा।
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जहाज निर्माण निवेश (150 अरब डॉलर):
- यह हिस्सा अमेरिका के लंबे समय से निष्क्रिय समुद्री उद्योग को पुनर्जीवित करने हेतु समर्पित है।
- कोरियाई कंपनियां जैसे Hanwha Ocean और Hyundai Heavy Industries अमेरिकी यार्ड्स में साझेदारी करेंगी।
- इससे अमेरिकी नौसैनिक जहाज निर्माण की क्षमता में नाटकीय वृद्धि की संभावना है।
इसके अतिरिक्त, ऊर्जा और विमानन क्षेत्र में लगभग 136 अरब डॉलर के सौदे भी शामिल किए गए हैं, जिनमें अमेरिकी LNG और तेल की दीर्घकालिक खरीद तथा बोइंग के विमान ऑर्डर सम्मिलित हैं।
तालिका 1: समझौते के प्रमुख घटक
| घटक | राशि (अरब डॉलर) | स्वरूप | प्रमुख परिणाम |
|---|---|---|---|
| नकद निवेश | 200 | वार्षिक किश्तें (20 अरब डॉलर प्रति वर्ष) | अमेरिकी औद्योगिक निवेश प्रवाह |
| जहाज निर्माण | 150 | इक्विटी + तकनीक हस्तांतरण | अमेरिकी यार्ड पुनर्जीवन |
| ऊर्जा और विमानन | 136.2+ | दीर्घकालिक खरीद | रोजगार सृजन, ऊर्जा सुरक्षा |
आर्थिक विश्लेषण: सहयोग या नियंत्रित प्रतिस्पर्धा?
यह समझौता रिकार्डियन और हेक्सचर–ओहलिन दोनों व्यापार सिद्धांतों की व्यावहारिक पुनर्व्याख्या जैसा प्रतीत होता है।
- तुलनात्मक लाभ के दृष्टिकोण से, कोरिया अपनी पूंजी अधिशेष का उपयोग अमेरिकी श्रम-गहन क्षेत्रों में करता है — जिससे दोनों देशों के लिए उत्पादन दक्षता में सुधार होता है।
- गेम थ्योरी के अनुसार, यह एक नैश संतुलन उत्पन्न करता है — जिसमें यदि कोई पक्ष टैरिफ बढ़ाकर समझौता तोड़ता है, तो दोनों को हानि होती है।
पीटरसन इंस्टीट्यूट (2025) के अनुसार, टैरिफ लागू होने की स्थिति में कोरियाई निर्यात में 15 अरब डॉलर की गिरावट होती, जबकि इस समझौते से अमेरिकी GDP में लगभग 0.4% की वृद्धि संभावित है।
जहाज निर्माण निवेश को कांग्रेसनल बजट ऑफिस ने संरचनात्मक रोजगार पुनर्संतुलन के रूप में देखा है, जो अगले पांच वर्षों में 50,000 से अधिक नौकरियां पैदा कर सकता है।
हालाँकि आलोचक इसे “भुगतान कर बाज़ार में प्रवेश” (Pay-for-Access) मॉडल बताते हैं — जो मुक्त व्यापार के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। इसके बावजूद, व्यवहारिक दृष्टि से यह दोनों देशों के बीच संविधानिक परस्पर निर्भरता को मजबूत करता है।
रणनीतिक और भू-राजनीतिक निहितार्थ
अर्थव्यवस्था के परे, यह समझौता अमेरिका–दक्षिण कोरिया रक्षा गठबंधन की स्थिरता को नया आधार देता है।
- जहाज निर्माण निवेश में परमाणु पनडुब्बी उत्पादन की संभावनाएं शामिल हैं, जो उत्तर कोरिया की बढ़ती उकसावनाओं के बीच सैन्य प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं।
- ऊर्जा खरीद के समझौते से कोरिया की मध्यपूर्व पर निर्भरता घटेगी और वह अमेरिकी ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनेगा।
चीन के संदर्भ में, यह सौदा अप्रत्यक्ष दबाव का उपकरण भी है। बीजिंग अब अपने निर्यातों पर बढ़ते अमेरिकी टैरिफ खतरों का सामना कर रहा है, और यह समझौता संकेत देता है कि एशियाई सहयोगी देश धीरे-धीरे अमेरिका के “नियंत्रित गठबंधन नेटवर्क” में पुनः एकीकृत हो रहे हैं।
यूरोप के लिए भी यह एक संकेत है कि आने वाले वर्षों में “टैरिफ कूटनीति” वैश्विक व्यापार का नया मानक बन सकती है।
घरेलू राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
सियोल में इस समझौते पर मिश्रित प्रतिक्रिया देखी गई। विपक्ष ने इसे “राजकोषीय आत्मसमर्पण” कहा, जबकि राष्ट्रपति ली जे-म्युंग ने इसे “कोरियाई उद्योगों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए सुरक्षा कवच” बताया।
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने इसे मध्यावधि चुनावों के लिए एक राजनीतिक “विजय कथा” के रूप में प्रस्तुत किया — यह कहते हुए कि “कोरिया अब अमेरिका के पुनरुद्धार में साझेदार है, प्रतिद्वंद्वी नहीं।”
निष्कर्ष
2025 का अमेरिका–दक्षिण कोरिया व्यापार समझौता केवल टैरिफ राहत या निवेश अनुबंध नहीं, बल्कि एक नई आर्थिक कूटनीति का उदाहरण है — जिसमें प्रतिस्पर्धा, निर्भरता और सहयोग का मिश्रण दिखाई देता है।
यह समझौता यह दर्शाता है कि आज की बहुध्रुवीय विश्व अर्थव्यवस्था में “मुक्त व्यापार” की जगह “प्रबंधित साझेदारी” की अवधारणा तेजी से विकसित हो रही है।
जहाज निर्माण, ऊर्जा, और उच्च तकनीक के क्षेत्रों में होने वाले वास्तविक परिणाम आने वाले वर्षों में तय करेंगे कि क्या यह मॉडल अन्य देशों — विशेष रूप से जापान और यूरोपीय संघ — के लिए भी एक आदर्श बन सकता है।
फिलहाल इतना निश्चित है कि इस समझौते ने न केवल अमेरिका–कोरिया आर्थिक संबंधों को पुनर्परिभाषित किया है, बल्कि 21वीं सदी की व्यापार कूटनीति की दिशा भी तय कर दी है।
संदर्भ
- World Bank (2024). world development indicators
- US Census Bureau (2025). trade balance data
- Peterson Institute for International Economics (2025). Tariff effects on US-Asia trade
- OECD (2025). FDI Statistics
- Congressional Budget Office (2025). Report on American shipbuilding
- CSIS (2025). Asian Semiconductor Supply Chain Report
- Reuters, Politico, ABC News, Fox Business, The Hill (reports as of October 29, 2025)
- Rickard, David (1817). On the Principles of Political Economy and Taxation
- Otter, David, Dorn, David and Hanson, Gordon (2025). The China Shock: Persistence and Protectionism
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