भाग-2: लद्दाख में विश्वास का संकट और सरकार की जिम्मेदारी
भाग-1: लद्दाख संकट 2025: एक गहरी परीक्षा भारतीय संघवाद और लोकतंत्र की
प्रस्तावना
लद्दाख आज सिर्फ़ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के धैर्य और परिपक्वता की कसौटी बन चुका है। 2025 में जो उथल-पुथल दिखाई दे रही है, वह मात्र प्रशासनिक असंतोष नहीं है; यह भारत के संघीय ढांचे, संसाधनों की न्यायपूर्ण साझेदारी और सांस्कृतिक स्वायत्तता के बारे में हमारी समझ की परीक्षा है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से मूल्यगत बोध
भारत ने जब लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया, तब यह माना गया कि विकास और सुरक्षा दोनों को नई गति मिलेगी। लेकिन लोकतंत्र केवल सुरक्षा और विकास से नहीं चलता; वह “सहमति” और “प्रतिनिधित्व” की ज़मीन पर टिकता है। जब स्थानीय लोग अपने भविष्य के निर्णय-निर्माण में शामिल नहीं होते, तो विकास एकतरफ़ा प्रतीत होता है और सुरक्षा भी कठोर लगती है। यही असंतुलन इस समय लद्दाख के विरोध और बेचैनी में झलक रहा है।
स्वायत्तता बनाम केंद्रीकरण का द्वंद्व
भारत का संघीय ढांचा “एकता में विविधता” की मूल भावना पर आधारित है। लेकिन लद्दाख का संकट यह संकेत देता है कि केवल प्रशासनिक पुनर्गठन या संवैधानिक प्रावधान पर्याप्त नहीं हैं। स्वायत्तता का असली अर्थ है – स्थानीय समाज की आवाज़ को मान्यता देना, उनकी भूमि, संस्कृति और पहचान को संवैधानिक सुरक्षा देना। जब यह संतुलन बिगड़ता है तो संघर्ष की ज़मीन तैयार होती है।
युवाओं की बेचैनी: अवसर और पहचान की तलाश
लद्दाख के युवा सिर्फ़ नौकरियों की मांग नहीं कर रहे; वे यह चाहते हैं कि उनकी ऊर्जा, उनकी संस्कृति और उनकी आकांक्षाओं को नीति-निर्माण में जगह मिले। बेरोज़गारी और अवसर की कमी उनके भीतर यह एहसास पैदा करती है कि “हम सिर्फ़ सीमांत पर खड़े प्रहरी नहीं हैं, हम नागरिक भी हैं।” यह भावना लोकतंत्र के सबसे बुनियादी मूल्य – “सम्मान” – से जुड़ी है।
पर्यावरण, संसाधन और सांस्कृतिक विरासत का प्रश्न
लद्दाख की धरती सिर्फ़ खनिजों का भंडार नहीं; यह हिमालय की नाज़ुक पारिस्थितिकी, बौद्ध-मुस्लिम सहअस्तित्व और आदिवासी परंपराओं का घर है। जब किसी क्षेत्र को केवल ‘रणनीतिक’ या ‘खनिज-समृद्ध’ दृष्टि से देखा जाता है, तो वहां के समाज की जीवनशैली और प्रकृति-संतुलन छिप जाता है। यह संकट हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि “विकास” का सही अर्थ क्या है – क्या वह सिर्फ़ संसाधन निकालने का नाम है या स्थानीय समाज और पर्यावरण को साथ लेकर चलने की प्रक्रिया है?
राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम नागरिक सहभागिता
भारत के लिए लद्दाख की सामरिक महत्ता निर्विवाद है। लेकिन सुरक्षा की तर्कशक्ति हमेशा लोकतांत्रिक तर्कशक्ति से ऊपर नहीं हो सकती। वास्तव में, मज़बूत सुरक्षा वहीं संभव है जहाँ स्थानीय लोग राज्य के भागीदार हों, सिर्फ़ दर्शक या विरोधी नहीं। यही कारण है कि हिंसा या कर्फ़्यू से ज्यादा टिकाऊ समाधान संवाद, भरोसा और भागीदारी में है।
समाधान के वैचारिक आयाम
- संवाद और साझेदारी – सरकार को चाहिए कि वह लद्दाख के हर तबके को, खासकर युवाओं और नागरिक संगठनों को, औपचारिक वार्ता में शामिल करे। यह दिखाना ज़रूरी है कि दिल्ली केवल आदेश नहीं देती, सुनती भी है।
- पर्यावरण और संस्कृति-सम्मत विकास – परियोजनाओं को ‘स्थानीय सहमति’ और ‘सतत विकास’ के सिद्धांत पर आधारित किया जाए। यह लोगों को भरोसा देगा कि विकास उनके खिलाफ़ नहीं, उनके साथ है।
- संघीय ढांचे की पुनर्कल्पना – लद्दाख जैसा संवेदनशील क्षेत्र बताता है कि भारतीय संघवाद को स्थिर नहीं, लचीला और संवादशील होना चाहिए। छठी अनुसूची हो या कोई नया मॉडल, मूल प्रश्न है – स्थानीय स्वायत्तता और राष्ट्रीय हित का संतुलन।
एकता का नया सूत्र
लेह और कारगिल, बौद्ध और मुस्लिम, युवा और बुज़ुर्ग – ये विभाजन तभी स्थायी होते हैं जब राजनीतिक संवाद रुक जाता है। लद्दाख का भविष्य तभी सुरक्षित होगा जब इन समुदायों के बीच साझी ज़मीन तैयार होगी। यह साझी ज़मीन सिर्फ़ “सामुदायिक सौहार्द” नहीं, बल्कि साझा भविष्य की कल्पना है।
निष्कर्ष: संकट नहीं, अवसर
लद्दाख संकट 2025 भारत को यह अवसर देता है कि वह अपने लोकतंत्र को गहराई दे, संघीय ढांचे को संवेदनशील बनाए और विकास की परिभाषा को मानवीय करे। अगर इसे केवल क़ानून-व्यवस्था की समस्या मानकर निपटाया गया, तो यह चिंगारी बड़ी आग बन सकती है। लेकिन अगर इसे लोकतांत्रिक और संवैधानिक कल्पना के प्रयोगशाला के रूप में देखा जाए, तो यह भारतीय संघवाद के लिए नई दिशा तय कर सकता है।
लद्दाख हमें याद दिलाता है कि सीमा केवल भूगोल नहीं होती; यह पहचान, संस्कृति और आकांक्षाओं की रेखा भी होती है। और एक मज़बूत राष्ट्र वह है, जो अपनी सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने लोगों की आवाज़ को भी सबसे ऊँची प्राथमिकता देता है।
UPSC संभावित प्रश्न
1. Prelims-Style (Objective / MCQ)
(क) संवैधानिक प्रावधान
-
निम्नलिखित में से कौन-सा अनुच्छेद भारत के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को विशेष प्रावधान देता है?
- (a) अनुच्छेद 239A
- (b) अनुच्छेद 244
- (c) अनुच्छेद 263
- (d) अनुच्छेद 312
(सही उत्तर: b)
-
छठी अनुसूची के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
- (a) यह स्वायत्त जिला परिषदों की स्थापना का प्रावधान करती है।
- (b) यह केवल उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों पर लागू होती है।
- (c) इसे संसद की अनुमति के बिना किसी अन्य क्षेत्र पर लागू नहीं किया जा सकता।
- (d) यह जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों पर स्वतः लागू है।
(सही उत्तर: d)
-
लद्दाख के संदर्भ में हाल ही में कौन-सा प्रमुख मुद्दा सुर्ख़ियों में रहा?
- (a) विशेष राज्य का दर्जा
- (b) छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग
- (c) अंतर्राष्ट्रीय सीमा विवाद
- (d) राष्ट्रपति शासन
(सही उत्तर: b)
2. Mains-Style (Descriptive Questions)
GS Paper 2 – Polity & Governance:
- 2019 के बाद लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से स्थानीय प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक ढाँचे पर क्या प्रभाव पड़ा? विश्लेषण कीजिए।
- छठी अनुसूची के प्रावधानों को लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में लागू करने के लाभ और चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
- “लद्दाख में हाल की हिंसा स्थानीय स्वायत्तता, पारिस्थितिकीय संरक्षण और सांस्कृतिक पहचान की माँगों का परिणाम है।” टिप्पणी कीजिए।
- लद्दाख जैसे सामरिक क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं और पर्यावरणीय संवेदनशीलता के बीच संतुलन के लिए नीतिगत सुझाव दीजिए।
GS Paper 3 – Internal Security & Border Management:
5. लद्दाख की भौगोलिक और सामरिक स्थिति भारत की आंतरिक सुरक्षा और सीमा प्रबंधन को किस प्रकार प्रभावित करती है? विश्लेषण कीजिए।
6. सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में स्थानीय जनता के असंतोष का राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्या असर हो सकता है? उदाहरण सहित समझाइए।
Essay / Ethics Paper:
7. “हिंसा के बजाय संवाद ही लोकतांत्रिक समाज में स्थायी समाधान का मार्ग है।” – लद्दाख आंदोलन के संदर्भ में चर्चा कीजिए।
8. सामरिक संवेदनशीलता और स्थानीय लोकतंत्र – एक संतुलन की आवश्यकता (निबंध विषय)।
3. Answering Approach Tips (UPSC)
- डेटा + संविधान के अनुच्छेद जोड़ें।
- कारण–प्रभाव–समाधान फ्रेमवर्क अपनाएँ।
- सीमावर्ती/जनजातीय क्षेत्रों के केस स्टडी (जैसे पूर्वोत्तर, नगालैंड, मिज़ोरम) का तुलनात्मक उल्लेख करें।
- हिंसा बनाम संवाद पर नैतिक आयाम भी जोड़ें।
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