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Adi Shankaracharya: The Eternal Light of Indian Intellectual Tradition

 आदि शंकराचार्य: भारतीय चेतना के चिरस्थायी प्रकाश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरती पर कुछ ही ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने समय की धारा को मोड़ा और युगों तक प्रेरणा दी। आदि शंकराचार्य उनमें से एक हैं – एक ऐसी ज्योति, जिसने 8वीं शताब्दी में भारतीय बौद्धिक और आध्यात्मिक जगत को नया जीवन दिया। केरल के छोटे से कालड़ी गाँव में जन्मे इस युवा सन्यासी ने न केवल वेदों के गूढ़ ज्ञान को सरल बनाया, बल्कि उसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। एक युग का संकट और शंकर का उदय उस समय भारत एक बौद्धिक और धार्मिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। अंधविश्वास, पंथों की भीड़ और बौद्ध धर्म के प्रभुत्व ने वैदिक परंपराओं को धूमिल कर दिया था। लोग सत्य की खोज में भटक रहे थे। ऐसे में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का झंडा उठाया और कहा – "सत्य एक है, बाकी सब माया है।" उनका यह संदेश सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका था। "अहं ब्रह्मास्मि" – मैं ही ब्रह्म हूँ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सरल लेकिन गहरा है। वे कहते थे कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं। हमारी आँखों के सामने ...

New SEBI Chairman: Tuhin Kanta Pandey

 इस लेख में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे की नियुक्ति, उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें SEBI के कार्य, संरचना, उद्देश्यों और भारतीय शेयर बाजार में इसकी भूमिका को समझाया गया है। साथ ही, SEBI द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों, चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों पर भी चर्चा की गई है। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य ज्ञान के लिए उपयोगी है।

New SEBI Chairman: Tuhin Kanta Pandey


भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और नए अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे

परिचय

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत में पूंजी बाजार का प्रमुख नियामक निकाय है। इसकी स्थापना 1988 में हुई थी, और 1992 में इसे एक संवैधानिक दर्जा दिया गया। इसका मुख्य कार्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और भारतीय शेयर बाजार को सुचारू रूप से संचालित करना है। हाल ही में, तुहिन कांत पांडे को SEBI का 11वां चेयरमैन नियुक्त किया गया है।

SEBI का परिचय और महत्व

1. SEBI की स्थापना एवं उद्देश्य

SEBI (Securities and Exchange Board of India) की स्थापना 1988 में सरकार द्वारा की गई थी, लेकिन 1992 में इसे अधिनियम के तहत वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की गईं। इसका मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • निवेशकों के हितों की रक्षा करना।
  • शेयर बाजार में पारदर्शिता बनाए रखना।
  • अर्थव्यवस्था में पूंजी प्रवाह को सुगम बनाना।
  • धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकना।

2. SEBI की संरचना

SEBI की अध्यक्षता एक चेयरमैन करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा, इसमें कुल नौ सदस्य होते हैं:

1. केंद्र सरकार द्वारा नामित दो अधिकारी।

2. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का एक सदस्य।

3. चार अन्य सदस्य, जिनमें से कम से कम दो वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं।

3. SEBI के प्रमुख कार्य

SEBI तीन प्रमुख वर्गों के हितों की रक्षा करता है:

1. निवेशक (Investors) – उन्हें सुरक्षित और पारदर्शी व्यापार प्रणाली प्रदान करना

2. बाजार मध्यस्थ (Market Intermediaries) – जैसे कि ब्रोकर, अंडरराइटर आदि के लिए दिशानिर्देश तैयार करना

3. कंपनियां (Companies) – सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा नियमों का पालन सुनिश्चित करना

इसके अलावा, SEBI निम्नलिखित कार्य भी करता है:

म्यूचुअल फंड्स और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को नियंत्रित करना।

इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकना।

कंपनियों द्वारा IPO लाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना।

4. नए SEBI अध्यक्ष: तुहिन कांत पांडे

तुहिन कांत पांडे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्ठ अधिकारी हैं। उन्हें फरवरी 2025 में SEBI का 11वां चेयरमैन नियुक्त किया गया।

उनकी प्रमुख भूमिकाएं

बाजार की स्थिरता बनाए रखना – भारतीय शेयर बाजार को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना

निवेशक संरक्षण को बढ़ावा देना – निवेशकों की शिकायतों का त्वरित समाधान करना

डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना – AI और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों को SEBI के कार्य में शामिल करना

IPO और विदेशी निवेश को नियंत्रित करना

5. SEBI और भारतीय शेयर बाजार

SEBI भारतीय शेयर बाजार की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। यह प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों – NSE और BSE – की गतिविधियों की निगरानी करता है।

महत्वपूर्ण सुधार जो SEBI ने किए:

शेयर बाजार में टी+1 सेटलमेंट साइकिल लागू करना।

SME सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए विशेष नियम बनाना।

म्यूचुअल फंड्स में पारदर्शिता और निवेश सुरक्षा बढ़ाना।

6. SEBI की चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीति

मुख्य चुनौतियाँ

साइबर सिक्योरिटी जोखिम – डिजिटल युग में साइबर धोखाधड़ी को रोकना

विदेशी निवेशकों का आकर्षण – विदेशी निवेश को बनाए रखना

क्रिप्टोकरेंसी और नए वित्तीय उपकरण – SEBI के नियमन के दायरे में लाना

भविष्य की रणनीति

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग।

निवेशकों के लिए शिक्षा और जागरूकता अभियान।

सख्त निगरानी और त्वरित कार्रवाई।

निष्कर्ष

SEBI भारतीय पूंजी बाजार का महत्वपूर्ण अंग है, और तुहिन कांत पांडे के नेतृत्व में यह नए सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उनकी नियुक्ति से उम्मीद है कि भारतीय शेयर बाजार अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनेगा।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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