संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...
साक्षरता की नई मिसाल: मिज़ोरम से सीखने का समय जब देश के कई हिस्से अब भी शिक्षा की बुनियादी चुनौतियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में मिज़ोरम का भारत का पहला पूर्ण साक्षरता प्राप्त राज्य बनना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। मुख्यमंत्री लालदूहोमा द्वारा की गई यह घोषणा न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्पद है। एक शांत क्रांति मिज़ोरम की यह उपलब्धि अचानक नहीं आई। यह वर्षों की निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, जन-सहभागिता और समावेशी शिक्षा प्रणाली का परिणाम है। राज्य पहले से ही भारत के सर्वाधिक साक्षर राज्यों में शामिल रहा है, लेकिन “पूर्ण साक्षरता” की घोषणा यह संकेत देती है कि अब हर वयस्क व्यक्ति को पढ़ने और लिखने की बुनियादी समझ प्राप्त हो चुकी है। यह बदलाव सरकार द्वारा चलाए गए रात्रि पाठशालाओं, दूरस्थ क्षेत्रों तक शिक्षा पहुंचाने की योजनाओं, डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों और महिलाओं व वंचित वर्गों पर केंद्रित अभियानों से संभव हो सका। आंकड़ों से आगे की बात जहाँ अधिकांश राज्य शैक्षिक आधारभूत ढांचे और नामांकन दरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वहीं मिज़ोरम ने कार्यक्षमता पर आधारित साक्षरता को...