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UPSC CSE 2024 Topper: शक्ति दुबे बनीं पहली रैंक होल्डर | जानिए उनकी सफलता की कहानी

संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...

India-Pakistan Tensions Escalate: Bangladesh Advisor's Controversial Claim on Northeast India

 भारत-पाक तनाव के बीच यूनुस सरकार के सहयोगी का विवादित बयान: उत्तर-पूर्व पर कब्जे की बात ने क्यों मचाया हड़कंप?

परिचय

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल कोई नई बात नहीं। लेकिन इस बार, इस तनाव में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ आया है—बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के एक करीबी सहयोगी का भड़काऊ बयान। इस सहयोगी ने कहा, "अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो बांग्लादेश को भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए।" यह बयान न सिर्फ भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है, बल्कि भारत-बांग्लादेश के ऐतिहासिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंधों पर भी सवाल उठाता है। आखिर इस बयान के पीछे की कहानी क्या है? और इसका दक्षिण एशिया की कूटनीति और सुरक्षा पर क्या असर पड़ सकता है? आइए, इसे सरल और रोचक तरीके से समझते हैं।  

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद तब शुरू हुआ, जब बांग्लादेश राइफल्स (अब बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के पूर्व प्रमुख और यूनुस के करीबी माने जाने वाले रिटायर्ड मेजर जनरल ALM फजलुर रहमान ने एक फेसबुक पोस्ट में यह बयान दिया। उन्होंने लिखा, "अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो बांग्लादेश को भारत के सात उत्तर-पूर्वी राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए। इसके लिए चीन के साथ सैन्य रणनीति पर बात शुरू करनी चाहिए।" यह पोस्ट यूनुस के कुछ अन्य सहयोगियों द्वारा लाइक की गई, जिसने मामले को और तूल दे दिया।  

यह बयान ऐसे समय में आया है, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। भारत ने इस हमले के लिए सीमा पार आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराया है, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में बांग्लादेश का यह बयान आग में घी डालने जैसा है।  

कूटनीति पर छाए बादल

भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हाल के दशकों में काफी मजबूत हुए हैं। चाहे वह लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट हो, गंगा जल संधि हो, या फिर बिम्सटेक जैसे क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग—दोनों देशों ने एक-दूसरे का साथ दिया है। लेकिन यूनुस की अंतरिम सरकार के आने के बाद से रिश्तों में कुछ खटास दिख रही है। खासकर, यूनुस का मार्च 2025 में चीन दौरे के दौरान दिया गया बयान, जिसमें उन्होंने उत्तर-पूर्व को "लैंडलॉक्ड" बताकर बांग्लादेश को इस क्षेत्र का "समुद्री संरक्षक" कहा, भारत को नागवार गुजरा था।  

रहमान का ताजा बयान इस तनाव को और गहरा सकता है। भारत ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन कूटनीतिक हलकों में इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। भारत संभवतः ट्रैक-II डिप्लोमेसी (गैर-सरकारी स्तर पर बातचीत) या औपचारिक विरोध के जरिए बांग्लादेश से स्पष्टीकरण मांगेगा। यह भी जरूरी है कि बांग्लादेश सरकार इस बयान को अपने आधिकारिक रुख से अलग करे, वरना दोनों देशों के बीच विश्वास की डोर कमजोर पड़ सकती है।  

राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल

उत्तर-पूर्व भारत—जिसे "सेवन सिस्टर्स" भी कहा जाता है—एक संवेदनशील क्षेत्र है। यह क्षेत्र चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान की सीमाओं से घिरा है। यहां की भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक रूप से चले आ रहे कुछ अलगाववादी आंदोलन इसे रणनीतिक रूप से नाजुक बनाते हैं। रहमान के बयान में चीन के साथ सैन्य सहयोग की बात करना और भी चिंताजनक है, क्योंकि चीन पहले से ही इस क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।  

ऐसे बयानों से आतंकवादी संगठन या उग्रवादी समूह प्रेरित हो सकते हैं। भारत की सुरक्षा एजेंसियों को अब न सिर्फ सीमा पर, बल्कि साइबर स्पेस में भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि सोशल मीडिया पर ऐसे बयान तेजी से फैलते हैं और गलत तत्वों को उकसा सकते हैं। साथ ही, भारत को अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी को और मजबूत करते हुए उत्तर-पूर्व में बुनियादी ढांचे और सुरक्षा तंत्र को और बेहतर करना होगा।  

भारत की उत्तर-पूर्व नीति पर सवाल

भारत सरकार उत्तर-पूर्व को न सिर्फ देश का अभिन्न हिस्सा मानती है, बल्कि इसे दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक कनेक्टिविटी हब के रूप में विकसित कर रही है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत सड़क, रेल, और जलमार्गों का जाल बिछाया जा रहा है। बांग्लादेश के किसी अधिकारी का इस क्षेत्र पर कब्जे की बात करना भारत की इस नीति को सीधी चुनौती है। यह बयान उस समय और गंभीर हो जाता है, जब बांग्लादेश ने हाल ही में भारतीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों के जरिए अपने निर्यात कार्गो के ट्रांस-शिपमेंट की व्यवस्था को खत्म किया, जिसे भारत ने क्षेत्रीय सहयोग के लिए शुरू किया था।  

नैतिकता और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

किसी भी देश के खिलाफ इस तरह का आक्रामक बयान संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, जो शांति और सहयोग को बढ़ावा देता है। यह बयान कूटनीतिक शिष्टाचार के भी खिलाफ है। बांग्लादेश को तुरंत यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह बयान उनकी सरकार की नीति नहीं है। साथ ही, ऐसे बयान देने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करके विश्व समुदाय में अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखना चाहिए।  

निष्कर्ष: संयम और रणनीति की जरूरत

रहमान का बयान भले ही व्यक्तिगत स्तर पर दिया गया हो, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। यह भारत-बांग्लादेश संबंधों में अविश्वास पैदा कर सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत को इस मामले में कूटनीतिक संयम और रणनीतिक सतर्कता दोनों का प्रदर्शन करना होगा। बांग्लादेश से स्पष्टीकरण मांगने के साथ-साथ भारत को अपनी उत्तर-पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा और विकास पर और ध्यान देना चाहिए।  

यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि दक्षिण एशिया जैसे संवेदनशील क्षेत्र में शब्दों का कितना गहरा असर हो सकता है। अगर भारत, बांग्लादेश, और अन्य पड़ोसी देश आपसी सहयोग और विश्वास के साथ आगे बढ़ें, तो यह क्षेत्र न सिर्फ शांतिपूर्ण, बल्कि समृद्ध भी बन सकता है।  

UPSC और समसामयिक अध्ययन के लिए महत्व

यह विषय UPSC के लिए बेहद प्रासंगिक है, क्योंकि इसमें कई आयाम शामिल हैं:  

  • GS Paper 2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध): भारत-बांग्लादेश संबंध, क्षेत्रीय कूटनीति, और दक्षिण एशिया में स्थिरता।  
  • GS Paper 3 (आंतरिक सुरक्षा): उत्तर-पूर्व भारत की सुरक्षा चुनौतियां और आतंकवाद का खतरा।  
  • निबंध लेखन: "कूटनीति में शब्दों की ताकत" या "क्षेत्रीय सहयोग बनाम भड़काऊ बयानबाजी" जैसे विषयों पर लेखन।  
  • साक्षात्कार: इस मुद्दे पर संतुलित और तार्किक दृष्टिकोण रखने की जरूरत।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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