Skip to main content

MENU👈

Show more

UPSC CSE 2024 Topper: शक्ति दुबे बनीं पहली रैंक होल्डर | जानिए उनकी सफलता की कहानी

संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...

Repo Rate Cut: RBI's Strategic Step Amid Global Headwinds

रेपो दर में कटौती : आर्थिक सुस्ती से निपटने की एक नीतिगत चाल।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2025 की मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर में 0.25% की कटौती करते हुए इसे 6% पर ला दिया है। यह निर्णय उस समय आया है जब वैश्विक व्यापार तनाव, अमेरिकी टैरिफ नीतियों और घरेलू मांग में सुस्ती के संकेत भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रहे हैं। यह न केवल एक मौद्रिक कदम है, बल्कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास भी है।

आर्थिक संदर्भ और वैश्विक प्रभाव

हाल ही में अमेरिका द्वारा चीन पर 104% टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गंभीर तनाव उत्पन्न हुआ है। इसका प्रभाव भारत पर भी परोक्ष रूप से पड़ सकता है, विशेषकर निर्यात और पूंजी प्रवाह के क्षेत्रों में। RBI की यह दर कटौती ऐसे समय की गई है जब वैश्विक मंदी की आहट से भारतीय शेयर बाज़ार अस्थिर हो रहे हैं और निवेशकों का विश्वास डगमगाने लगा है।

रेपो दर कटौती: सकारात्मक पहलू

1. ऋण सस्ता होगा – रेपो दर में कटौती से होम लोन, ऑटो लोन और एमएसएमई ऋण की ब्याज दरों में गिरावट आएगी, जिससे उपभोग बढ़ेगा और मांग को बल मिलेगा।

2. निवेश को बढ़ावा – सस्ते क्रेडिट के कारण उद्योगों को पुनर्निवेश करने में सुविधा होगी, विशेषकर निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्रों में।

3. मंदी से बचाव – यह कदम एक संभावित आर्थिक मंदी से पहले की ‘पूर्व-चेतावनी प्रतिक्रिया’ के रूप में देखा जा सकता है।

चुनौतियाँ और सीमाएँ

1. मुद्रास्फीति का प्रबंधन – दरों में कटौती से अगर मांग बहुत तेज़ी से बढ़ती है, तो मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि, वर्तमान में CPI 4% के आसपास है जो RBI की सहनीय सीमा में है।

2. ब्याज दरों का सीमित ट्रांसमिशन – पूर्व के अनुभव दर्शाते हैं कि वाणिज्यिक बैंक अक्सर RBI की कटौती को उपभोक्ताओं तक पूरी तरह नहीं पहुंचाते।

3. राजकोषीय नीति का अभाव – मौद्रिक नीति अकेले आर्थिक पुनरुत्थान नहीं ला सकती, इसके लिए सरकार को पूंजीगत व्यय, रोजगार और ग्रामीण मांग पर ध्यान देना होगा।

आगे की राह

इस कटौती के बाद RBI ने मौद्रिक नीति का रुख ‘तटस्थ’ से ‘अनुकूलनशील’ कर दिया है, जो संकेत देता है कि आवश्यकतानुसार आगे और कटौतियाँ की जा सकती हैं। परंतु इस नीति को प्रभावी बनाने के लिए यह आवश्यक होगा कि बैंकिंग व्यवस्था में सुधार, ऋण प्रवाह में वृद्धि और नीति क्रियान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

निष्कर्ष

रेपो दर में कटौती एक आवश्यक लेकिन आंशिक समाधान है। यह नीतिगत दिशा संकेत करती है कि RBI आर्थिक सुधार के लिए सक्रिय है, परंतु यह तभी सफल होगी जब वित्तीय प्रणाली, उपभोक्ता विश्वास और निवेश वातावरण में समानांतर सुधार हो। यह समय है जब मौद्रिक और राजकोषीय नीति के बीच समन्वय को और अधिक मजबूत किया जाए ताकि भारत आर्थिक अस्थिरता से सुरक्षित रह सके।

 इससे जुड़े कुछ संभावित GS Mains और Prelims प्रश्न इस प्रकार हो सकते हैं:


GS Paper 3 (Economy) – संभावित Mains प्रश्न:

1. "मौद्रिक नीति में परिवर्तन भारतीय अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करता है?"
रेपो दर में हाल की कटौती के आलोक में उत्तर दीजिए।

2. "रेपो दर में कटौती से आर्थिक वृद्धि और महंगाई के बीच संतुलन साधने में RBI की भूमिका पर चर्चा कीजिए।"

3. "वैश्विक व्यापार तनावों के संदर्भ में, RBI की मौद्रिक नीति में बदलाव को किस प्रकार 'पूर्व-चेतावनी प्रणाली' माना जा सकता है?"
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

GS Paper 2/3 – अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से विश्लेषणात्मक प्रश्न:


4. "अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और वैश्विक मंदी की आशंका भारत की मौद्रिक नीति को कैसे प्रभावित करती है?"

Prelims संभावित प्रश्न:


 निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

1. रेपो दर वह दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक RBI से अल्पकालिक ऋण लेते हैं।

2. रेपो दर में वृद्धि से बाजार में धन की उपलब्धता बढ़ती है।

3. हाल ही में (अप्रैल 2025) RBI ने रेपो दर में 0.25% की बढ़ोतरी की है।

सही विकल्प चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

(सही उत्तर: a)

Previous & Next Post in Blogger
|

Comments

Advertisement