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Adi Shankaracharya: The Eternal Light of Indian Intellectual Tradition

 आदि शंकराचार्य: भारतीय चेतना के चिरस्थायी प्रकाश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरती पर कुछ ही ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने समय की धारा को मोड़ा और युगों तक प्रेरणा दी। आदि शंकराचार्य उनमें से एक हैं – एक ऐसी ज्योति, जिसने 8वीं शताब्दी में भारतीय बौद्धिक और आध्यात्मिक जगत को नया जीवन दिया। केरल के छोटे से कालड़ी गाँव में जन्मे इस युवा सन्यासी ने न केवल वेदों के गूढ़ ज्ञान को सरल बनाया, बल्कि उसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। एक युग का संकट और शंकर का उदय उस समय भारत एक बौद्धिक और धार्मिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। अंधविश्वास, पंथों की भीड़ और बौद्ध धर्म के प्रभुत्व ने वैदिक परंपराओं को धूमिल कर दिया था। लोग सत्य की खोज में भटक रहे थे। ऐसे में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का झंडा उठाया और कहा – "सत्य एक है, बाकी सब माया है।" उनका यह संदेश सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका था। "अहं ब्रह्मास्मि" – मैं ही ब्रह्म हूँ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सरल लेकिन गहरा है। वे कहते थे कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं। हमारी आँखों के सामने ...

Repo Rate Cut: RBI's Strategic Step Amid Global Headwinds

रेपो दर में कटौती : आर्थिक सुस्ती से निपटने की एक नीतिगत चाल।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2025 की मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर में 0.25% की कटौती करते हुए इसे 6% पर ला दिया है। यह निर्णय उस समय आया है जब वैश्विक व्यापार तनाव, अमेरिकी टैरिफ नीतियों और घरेलू मांग में सुस्ती के संकेत भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रहे हैं। यह न केवल एक मौद्रिक कदम है, बल्कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास भी है।

आर्थिक संदर्भ और वैश्विक प्रभाव

हाल ही में अमेरिका द्वारा चीन पर 104% टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गंभीर तनाव उत्पन्न हुआ है। इसका प्रभाव भारत पर भी परोक्ष रूप से पड़ सकता है, विशेषकर निर्यात और पूंजी प्रवाह के क्षेत्रों में। RBI की यह दर कटौती ऐसे समय की गई है जब वैश्विक मंदी की आहट से भारतीय शेयर बाज़ार अस्थिर हो रहे हैं और निवेशकों का विश्वास डगमगाने लगा है।

रेपो दर कटौती: सकारात्मक पहलू

1. ऋण सस्ता होगा – रेपो दर में कटौती से होम लोन, ऑटो लोन और एमएसएमई ऋण की ब्याज दरों में गिरावट आएगी, जिससे उपभोग बढ़ेगा और मांग को बल मिलेगा।

2. निवेश को बढ़ावा – सस्ते क्रेडिट के कारण उद्योगों को पुनर्निवेश करने में सुविधा होगी, विशेषकर निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्रों में।

3. मंदी से बचाव – यह कदम एक संभावित आर्थिक मंदी से पहले की ‘पूर्व-चेतावनी प्रतिक्रिया’ के रूप में देखा जा सकता है।

चुनौतियाँ और सीमाएँ

1. मुद्रास्फीति का प्रबंधन – दरों में कटौती से अगर मांग बहुत तेज़ी से बढ़ती है, तो मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि, वर्तमान में CPI 4% के आसपास है जो RBI की सहनीय सीमा में है।

2. ब्याज दरों का सीमित ट्रांसमिशन – पूर्व के अनुभव दर्शाते हैं कि वाणिज्यिक बैंक अक्सर RBI की कटौती को उपभोक्ताओं तक पूरी तरह नहीं पहुंचाते।

3. राजकोषीय नीति का अभाव – मौद्रिक नीति अकेले आर्थिक पुनरुत्थान नहीं ला सकती, इसके लिए सरकार को पूंजीगत व्यय, रोजगार और ग्रामीण मांग पर ध्यान देना होगा।

आगे की राह

इस कटौती के बाद RBI ने मौद्रिक नीति का रुख ‘तटस्थ’ से ‘अनुकूलनशील’ कर दिया है, जो संकेत देता है कि आवश्यकतानुसार आगे और कटौतियाँ की जा सकती हैं। परंतु इस नीति को प्रभावी बनाने के लिए यह आवश्यक होगा कि बैंकिंग व्यवस्था में सुधार, ऋण प्रवाह में वृद्धि और नीति क्रियान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

निष्कर्ष

रेपो दर में कटौती एक आवश्यक लेकिन आंशिक समाधान है। यह नीतिगत दिशा संकेत करती है कि RBI आर्थिक सुधार के लिए सक्रिय है, परंतु यह तभी सफल होगी जब वित्तीय प्रणाली, उपभोक्ता विश्वास और निवेश वातावरण में समानांतर सुधार हो। यह समय है जब मौद्रिक और राजकोषीय नीति के बीच समन्वय को और अधिक मजबूत किया जाए ताकि भारत आर्थिक अस्थिरता से सुरक्षित रह सके।

 इससे जुड़े कुछ संभावित GS Mains और Prelims प्रश्न इस प्रकार हो सकते हैं:


GS Paper 3 (Economy) – संभावित Mains प्रश्न:

1. "मौद्रिक नीति में परिवर्तन भारतीय अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करता है?"
रेपो दर में हाल की कटौती के आलोक में उत्तर दीजिए।

2. "रेपो दर में कटौती से आर्थिक वृद्धि और महंगाई के बीच संतुलन साधने में RBI की भूमिका पर चर्चा कीजिए।"

3. "वैश्विक व्यापार तनावों के संदर्भ में, RBI की मौद्रिक नीति में बदलाव को किस प्रकार 'पूर्व-चेतावनी प्रणाली' माना जा सकता है?"
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

GS Paper 2/3 – अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से विश्लेषणात्मक प्रश्न:


4. "अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और वैश्विक मंदी की आशंका भारत की मौद्रिक नीति को कैसे प्रभावित करती है?"

Prelims संभावित प्रश्न:


 निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

1. रेपो दर वह दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक RBI से अल्पकालिक ऋण लेते हैं।

2. रेपो दर में वृद्धि से बाजार में धन की उपलब्धता बढ़ती है।

3. हाल ही में (अप्रैल 2025) RBI ने रेपो दर में 0.25% की बढ़ोतरी की है।

सही विकल्प चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

(सही उत्तर: a)

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