Skip to main content

MENU👈

Show more

Pahalgam Attack Fallout: How a Pakistani Mother Lost Her Child at the Wagah Border

सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...

India’s Economic Growth: Moody’s Projection

 भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावित वृद्धि: मूडीज़ का आकलन

भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण शक्ति बन रही है। अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने अपने हालिया विश्लेषण में कहा है कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2025-26 में 6.5% से अधिक रहने की संभावना है। इस वृद्धि का कारण उच्च सरकारी पूंजीगत व्यय, कर कटौती और ब्याज दरों में कमी को माना जा रहा है।

यह लेख भारतीय अर्थव्यवस्था की इस संभावित वृद्धि को विभिन्न पहलुओं से विश्लेषित करेगा और इसे समझने के लिए परीक्षा उपयोगी तथ्यों को प्रस्तुत करेगा।

भारत की आर्थिक वृद्धि: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से विकसित हुई है। 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद, भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया। हाल के वर्षों में, कोविड-19 महामारी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है।

पिछले वर्षों की जीडीपी वृद्धि दर (संकेतक रूप में)

2020-21: -7.3% (कोविड-19 के कारण संकुचन)

2021-22: 8.7% (तेज़ रिकवरी)

2022-23: 7.2%

2023-24: 6.7% (अनुमानित)

2024-25: 6.5% (अनुमानित)

मूडीज़ की रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

1. उच्च सरकारी पूंजीगत व्यय

बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने से निर्माण क्षेत्र में तेज़ी आएगी।

रेलवे, राजमार्गों और स्मार्ट शहरों पर खर्च वृद्धि को बढ़ावा देगा।

2. कर कटौती और नीतिगत समर्थन

कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से निवेश बढ़ेगा।

मेक इन इंडिया, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI), स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाएं निजी निवेश को प्रोत्साहित कर रही हैं।

3. ब्याज दरों में संभावित कमी

यदि आरबीआई ब्याज दरें कम करता है तो बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी।

इससे मध्यम और छोटे उद्योगों (MSMEs) को अधिक ऋण उपलब्ध होगा।

4. वैश्विक परिस्थितियों का प्रभाव

भारत वैश्विक मंदी से अपेक्षाकृत सुरक्षित है।

FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) और एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) में वृद्धि हो रही है।

अर्थव्यवस्था की वृद्धि को प्रभावित करने वाले अन्य कारक

India’s Economic Growth: Moody’s Projection

सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम

1. बजट 2024-25 में पूंजीगत व्यय में वृद्धि

2. रेलवे, रक्षा और अवसंरचना क्षेत्रों में निवेश

3. PM गति शक्ति योजना के तहत लॉजिस्टिक्स में सुधार

4. स्टार्टअप और MSMEs के लिए ऋण योजनाएं

5. डिजिटल इंडिया और AI आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

चुनौतियां और संभावित समाधान

हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर उत्साहजनक है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं:

1. वैश्विक अनिश्चितता और तेल की कीमतें

समाधान: भारत को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान देना होगा।

2. बेरोज़गारी और कौशल विकास

समाधान: PM कौशल विकास योजना और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना।

3. मुद्रास्फीति और महंगाई

समाधान: RBI की मौद्रिक नीति और सब्सिडी नियंत्रण पर ध्यान देना।

निष्कर्ष

मूडीज़ की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.5% से अधिक की दर से वृद्धि करेगी। हालांकि, इस विकास दर को बनाए रखने के लिए सरकार और उद्योगों को नीतिगत सुधारों, बुनियादी ढांचे में निवेश और वैश्विक परिस्थितियों के अनुकूल रणनीतियों को अपनाना होगा।

परीक्षा उपयोगी तथ्य

1. भारत की जीडीपी वृद्धि दर (2025-26) - 6.5% से अधिक (मूडीज़)

2. उच्च पूंजीगत व्यय और कर कटौती से वृद्धि को बढ़ावा

3. ब्याज दरों में संभावित कमी से लोन और निवेश बढ़ेगा

4. FDI और स्टार्टअप इकोसिस्टम का तेजी से विस्तार

5. बुनियादी ढांचे, MSMEs और डिजिटल सेक्टर को मुख्य फोकस

यदि भारत इन अवसरों का सही ढंग से उपयोग करता है, तो यह आने वाले वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर सकता है।


Previous & Next Post in Blogger
|

Comments

Advertisement