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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Golden Jubilee: Now More Valuable Than Platinum Jubilee – Time for a Change?

 प्लेटिनम जुबली: वर्तमान में सोने से भी कम मूल्यवान धातु, फिर भी गोल्डन जुबली के बाद क्यों?

✍️ भूमिका:

समय के साथ समाज में कई परंपराएँ बनती हैं, जिनका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। लेकिन जब वास्तविक परिस्थितियाँ बदल जाती हैं, तो पुरानी परंपराएँ कई बार अप्रासंगिक हो जाती हैं। ऐसा ही मामला है जुबली सालगिरहों के क्रम का, जिसमें प्लेटिनम जुबली को गोल्डन जुबली के बाद मनाया जाता है। ऐतिहासिक रूप से प्लेटिनम को अधिक दुर्लभ और मूल्यवान मानकर इसे 70 साल की जुबली का प्रतीक बनाया गया।

लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है—प्लेटिनम की कीमत सोने से भी कम हो गई है, इसलिए गोल्डन जुबली को प्लेटिनम से ऊपर स्थान मिलना चाहिए। यह समय के अनुसार परंपरा को नए सिरे से परिभाषित करने का उपयुक्त अवसर है।

Golden Jubilee: Now More Valuable Than Platinum Jubilee – Time for a Change?

💡 जुबली का ऐतिहासिक क्रम:

जुबली सालगिरह का परंपरागत क्रम कुछ इस प्रकार है:

25 साल: सिल्वर जुबली – चाँदी, जो शुद्धता का प्रतीक है।

50 साल: गोल्डन जुबली – सोना, जो समृद्धि और मूल्य का प्रतीक है।

60 साल: डायमंड जुबली – हीरा, जो कठोरता और अमरता का प्रतीक है।

70 साल: प्लेटिनम जुबली – प्लेटिनम, जो दुर्लभता और स्थायित्व का प्रतीक है।

यह क्रम धातु की बाज़ार कीमत पर आधारित नहीं था, बल्कि उसकी प्रतीकात्मक दुर्लभता और महत्व पर आधारित था। प्लेटिनम, जो पहले अत्यंत दुर्लभ और मूल्यवान था, उसे अंतिम स्थान दिया गया।

💰 बदलता आर्थिक यथार्थ:

हालांकि, अब स्थिति बदल चुकी है।

2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान प्लेटिनम की कीमत सोने से 65% अधिक थी।

लेकिन वर्तमान में प्लेटिनम की कीमत सोने से 40-50% कम हो चुकी है।

2025 तक भी यह रुझान जारी रहने की संभावना है।

इसका अर्थ यह है कि जुबली में प्लेटिनम का स्थान अब तर्कसंगत नहीं है। आर्थिक यथार्थ के अनुसार गोल्डन जुबली को प्लेटिनम से अधिक प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए, क्योंकि सोना अब प्लेटिनम से अधिक मूल्यवान है।

🤔 परंपरा बनाम वास्तविकता:

परंपराएँ अक्सर ऐतिहासिक और भावनात्मक रूप से जुड़ी होती हैं, लेकिन उन्हें समय के साथ बदलना आवश्यक है।

गोल्डन जुबली को प्लेटिनम जुबली के बाद रखना अब आर्थिक और तार्किक रूप से सही नहीं है।

✅ नया और तर्कसंगत क्रम:

अब समय आ गया है कि जुबली का क्रम धातुओं के वास्तविक मूल्य के आधार पर पुनः निर्धारित किया जाए:

25 साल: सिल्वर जुबली (चाँदी)

50 साल: प्लेटिनम जुबली (क्योंकि यह अब सोने से सस्ता है)

70 साल: गोल्डन जुबली (क्योंकि सोना अब अधिक मूल्यवान है)

80 साल: डायमंड जुबली (क्योंकि हीरा अब भी दुर्लभ और मूल्यवान है)

या 25, 50, 75 व 100 वर्ष भी रखा जा सकता है।

इस बदलाव में गोल्डन जुबली को प्लेटिनम जुबली के ऊपर स्थान दिया गया है, जो आधुनिक बाजार मूल्य के अनुसार उचित है।

🔥 परंपरा में बदलाव के लाभ:

1. आर्थिक यथार्थ के अनुसार न्यायसंगत क्रम:

गोल्डन जुबली का स्थान प्लेटिनम से ऊपर होना अब आर्थिक दृष्टि से सही है।

2. समकालीनता:

जुबली व्यवस्था को बदलकर इसे समय के अनुसार प्रासंगिक बनाया जा सकता है।

3. प्रतीकात्मकता और बाज़ार मूल्य में तालमेल:

जुबली का क्रम धातुओं के वास्तविक मूल्य को दर्शाएगा, जिससे यह अधिक तर्कसंगत लगेगा।

 निष्कर्ष:

प्लेटिनम जुबली का गोल्डन जुबली के बाद होना ऐतिहासिक रूप से सही हो सकता है, लेकिन आर्थिक दृष्टि से यह अब अप्रासंगिक हो गया है।

प्लेटिनम की कीमत अब सोने से कम हो चुकी है, इसलिए गोल्डन जुबली को प्लेटिनम जुबली से ऊपर स्थान मिलना चाहिए।

समय के अनुसार परंपराओं का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है। जुबली क्रम में बदलाव न केवल तार्किक होगा, बल्कि यह आर्थिक वास्तविकता को भी प्रतिबिंबित करेगा।

✅ यह लेख नए प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है और परंपरा को आधुनिक यथार्थ के अनुसार परिभाषित करने की बात करता है।


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