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UPSC CSE 2024 Topper: शक्ति दुबे बनीं पहली रैंक होल्डर | जानिए उनकी सफलता की कहानी

संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...

26/11 हमले के दोषी तहव्वुर राणा को लाया जाएगा भारत: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने दी प्रत्यर्पण की मंजूरी

मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की अनुमति दे दी है। इस फैसले के साथ ही राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है।

तहव्वुर राणा, जो लश्कर-ए-तैयबा के साथ जुड़े एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा था, पर 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है। इस हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। राणा के प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका में लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी। उसने अपनी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को रोकने के लिए कई संघीय अदालतों का सहारा लिया, लेकिन हर बार उसकी दलीलें खारिज कर दी गईं। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उसकी आखिरी उम्मीद भी खत्म कर दी है।

राणा और मुंबई हमले का कनेक्शन

तहव्वुर राणा को डेविड हेडली का करीबी सहयोगी माना जाता है, जो इस हमले का मास्टरमाइंड था। हेडली ने राणा की इमीग्रेशन सर्विस का इस्तेमाल मुंबई हमले की साजिश रचने और हमलावरों को सहायता पहुंचाने के लिए किया था। भारतीय एजेंसियां राणा से पूछताछ कर हमले की साजिश और इसके पीछे के बड़े नेटवर्क का खुलासा करने की तैयारी कर रही हैं।

अमेरिका का फैसला क्यों अहम?

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते कानूनी और कूटनीतिक संबंधों का उदाहरण है। यह दिखाता है कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कितने प्रतिबद्ध हैं।

न्याय की दिशा में एक कदम

यह फैसला मुंबई हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राणा के प्रत्यर्पण के बाद उम्मीद है कि वह अपने अपराधों का सामना भारतीय अदालतों में करेगा और इस भयानक घटना के पीछे की सच्चाई पूरी दुनिया के सामने आएगी।

निष्कर्ष

तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूती देगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल कोई भी व्यक्ति कानून से बच नहीं सकता। अब पूरा ध्यान भारतीय एजेंसियों की ओर होगा, जो इस मामले में आगे की कार्रवाई करेंगी।


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