एक नाजुक संतुलन: तनाव को भड़काने से बचना होगा
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री द्वारा दिया गया यह बयान कि भारत की सैन्य घुसपैठ "आसन्न" है और परमाणु हथियारों का प्रयोग "केवल अंतिम उपाय" के रूप में किया जाएगा, दक्षिण एशिया में एक बार फिर संवेदनशीलता की लकीर को तेज कर गया है। इस प्रकार की सार्वजनिक बयानबाजी न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक है, बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों के लिए भी एक चुनौती उत्पन्न करती है।
भारत और पाकिस्तान के बीच का संबंध एक लंबे समय से अविश्वास और संघर्ष की विरासत से बोझिल है। इसके बावजूद, दोनों देशों ने कई बार कठिन परिस्थितियों में संयम का परिचय दिया है। ऐसे में पाकिस्तान द्वारा सैन्य टकराव की आशंका व्यक्त करना और परमाणु विकल्प का संकेत देना, एक अनावश्यक भय का वातावरण तैयार करने का प्रयास प्रतीत होता है, जो कूटनीतिक संतुलन के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
पाकिस्तान की आंतरिक परिस्थितियाँ — गहराता आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ती आतंकी घटनाएँ — इस बयान की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करती हैं। सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा बाहरी खतरे के विमर्श का निर्माण करना अक्सर आंतरिक विफलताओं से ध्यान हटाने की एक प्रचलित रणनीति रही है। किंतु इस रणनीति की सीमा तब स्पष्ट हो जाती है जब वह पूरे क्षेत्र को एक अनावश्यक संकट के मुहाने पर ला खड़ा करती है।
भारत ने अब तक इस उकसावेपूर्ण बयान पर प्रतिक्रिया देने से बचते हुए परिपक्वता का परिचय दिया है। शांति और स्थिरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता के साथ भारत को अपनी कूटनीतिक सक्रियता बढ़ानी चाहिए, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया जा सके। साथ ही, घरेलू स्तर पर सैन्य सतर्कता और सीमा प्रबंधन को भी मजबूत बनाना समय की माँग है।
परमाणु हथियारों का उल्लेख, चाहे सावधानीपूर्वक किया गया हो या रणनीतिक दबाव बनाने के लिए, बेहद गंभीर परिणामों की चेतावनी है। इतिहास साक्षी है कि परमाणु छाया में कोई भी संघर्ष व्यापक मानव त्रासदी में परिवर्तित हो सकता है। अतः सभी पक्षों को चाहिए कि वे सार्वजनिक विमर्श में संयम बरतें और वार्ता तथा संवाद के माध्यम से मतभेदों का समाधान खोजने का प्रयास करें।
दक्षिण एशिया की शांति किसी एक देश के हित से कहीं अधिक, एक अरब से अधिक लोगों के भविष्य से जुड़ी हुई है। भारत और पाकिस्तान दोनों को चाहिए कि वे तात्कालिक लाभ के बजाय दीर्घकालिक स्थिरता को प्राथमिकता दें। सैन्य ताकत की बातों से परे, यह समय शांति, समझदारी और विवेक से काम लेने का है।
संभावित UPSC प्रश्न:
GS Paper 2 – अंतरराष्ट्रीय संबंध / भारत-पड़ोसी संबंध
1-प्रश्न:"भारत-पाकिस्तान संबंधों में हालिया बयानबाजी ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कैसे प्रभावित किया है? चर्चा करें।"
(250 शब्दों में उत्तर लिखें)
मुख्य बिंदु:
- पारंपरिक संघर्षों का इतिहास
- परमाणु खतरे का बढ़ता संदर्भ
- कूटनीतिक चुनौतियाँ
- भारत का उत्तरदायी व्यवहार
- शांति और वार्ता के प्रयासों का महत्त्व
(150 शब्दों में उत्तर लिखें)
GS Paper 3 – आंतरिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा
3-प्रश्न:"भारत को पाकिस्तान से उत्पन्न पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों का किस प्रकार उत्तर देना चाहिए? रक्षा, कूटनीति और आंतरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से विश्लेषण करें।"
(250 शब्दों में उत्तर लिखें)
4-प्रश्न:"दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों का विमर्श: निरोध (Deterrence) और उकसावे (Provocation) के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती का विश्लेषण करें।"
(250 शब्दों में उत्तर लिखें)
अतिरिक्त संभावित प्रश्न (छोटे नोट्स के लिए)
- "परमाणु हथियारों के संदर्भ में 'No First Use Policy' का महत्त्व समझाइए।"
- "भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संतुलन और परमाणु रणनीति की जटिलता पर टिप्पणी करें।"
- "दक्षिण एशिया में शांति स्थापित करने हेतु भारत के समकालीन कूटनीतिक प्रयासों का आकलन करें।"
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