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Adi Shankaracharya: The Eternal Light of Indian Intellectual Tradition

 आदि शंकराचार्य: भारतीय चेतना के चिरस्थायी प्रकाश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरती पर कुछ ही ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने समय की धारा को मोड़ा और युगों तक प्रेरणा दी। आदि शंकराचार्य उनमें से एक हैं – एक ऐसी ज्योति, जिसने 8वीं शताब्दी में भारतीय बौद्धिक और आध्यात्मिक जगत को नया जीवन दिया। केरल के छोटे से कालड़ी गाँव में जन्मे इस युवा सन्यासी ने न केवल वेदों के गूढ़ ज्ञान को सरल बनाया, बल्कि उसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। एक युग का संकट और शंकर का उदय उस समय भारत एक बौद्धिक और धार्मिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। अंधविश्वास, पंथों की भीड़ और बौद्ध धर्म के प्रभुत्व ने वैदिक परंपराओं को धूमिल कर दिया था। लोग सत्य की खोज में भटक रहे थे। ऐसे में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का झंडा उठाया और कहा – "सत्य एक है, बाकी सब माया है।" उनका यह संदेश सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका था। "अहं ब्रह्मास्मि" – मैं ही ब्रह्म हूँ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सरल लेकिन गहरा है। वे कहते थे कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं। हमारी आँखों के सामने ...

Harvard University Vs Trump: जब छात्र आंदोलन पर सत्ता ने कसा शिकंजा

जब सत्ता अभिव्यक्ति से डरती है: हार्वर्ड विवाद और लोकतंत्र की असली परीक्षा

"एक सशक्त लोकतंत्र वह होता है जहाँ विश्वविद्यालय विचारों की प्रयोगशाला हों, सत्ता के प्रचार स्थल नहीं।"

अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था हार्वर्ड यूनिवर्सिटी आज उस स्थिति में है जहाँ उसे न केवल अपनी अकादमिक प्रतिष्ठा बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ रहा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा $2.2 अरब के संघीय अनुदान को फ्रीज़ करने का निर्णय न केवल एक राजनीतिक प्रतिशोध का प्रतीक है, बल्कि यह अमेरिका और विश्व भर में शिक्षा और लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है।

घटनाक्रम का सारांश

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने हाल ही में ट्रंप प्रशासन की उन नीतियों का मुखर विरोध किया, जिनका उद्देश्य विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र आंदोलनों और राजनीतिक विरोध को नियंत्रित करना था। इसका सीधा परिणाम यह हुआ कि संघीय सरकार ने विश्वविद्यालय को दिए जाने वाले अरबों डॉलर के अनुदान को रोक दिया।

सरकार का तर्क है कि ये अनुदान 'राष्ट्रीय हितों' के विरुद्ध हो रहे कैंपस एक्टिविज़्म में इस्तेमाल हो रहे हैं। परंतु क्या छात्र आवाज़ उठाएँ तो वह 'राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध' माना जाएगा?

ट्रंप की नीति: असहमति को कुचलने की रणनीति

डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौर में यह पहली बार नहीं है जब असहमति की आवाज़ों को दबाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया गया हो। परंतु शैक्षणिक संस्थानों को इस तरह आर्थिक रूप से दबाना एक खतरनाक मिसाल पेश करता है। विश्वविद्यालयों को इस प्रकार नियंत्रित करना दर्शाता है कि सत्ताधारी वर्ग विचारों और आलोचना से कितना असुरक्षित महसूस करता है।

यह नीति शिक्षा के केंद्रों को विचार विमर्श और असहमति के स्थान के बजाय सत्ता की कठपुतलियों में बदलने का प्रयास है।

छात्र आंदोलन और कैंपस एक्टिविज़्म: लोकतंत्र की आत्मा

विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने के स्थान नहीं होते, वे लोकतंत्र की प्रयोगशालाएं होते हैं। यही वो जगहें हैं जहाँ युवाओं में सामाजिक चेतना, नैतिक साहस और सत्ता से प्रश्न पूछने की ताकत विकसित होती है।

हार्वर्ड हो या कोई अन्य संस्था – जब छात्र अन्याय, युद्ध, नस्लवाद, या पर्यावरणीय विनाश जैसे मुद्दों पर आवाज़ उठाते हैं, तो वे लोकतंत्र को मजबूत करते हैं, उसे कमजोर नहीं करते। ट्रंप प्रशासन का यह कथन कि यह "गैर-जिम्मेदाराना एक्टिविज़्म" है, दरअसल सत्ता की उस घबराहट को उजागर करता है जो युवाओं की विवेकशीलता से डरती है।

हार्वर्ड का संघर्ष: केवल एक विश्वविद्यालय की लड़ाई नहीं

हार्वर्ड द्वारा अदालत का रुख करना सिर्फ अपने अधिकारों की रक्षा नहीं है, यह उन हज़ारों छात्रों, प्रोफेसरों और संस्थानों की ओर से एक प्रतिरोध है जो सत्ता की सनक के सामने झुकना नहीं चाहते। यह मुकदमा उस मौलिक प्रश्न को उठाता है कि क्या सरकारें विश्वविद्यालयों को अपनी नीतियों का अंध समर्थन करने के लिए मजबूर कर सकती हैं?

इस लड़ाई का परिणाम न केवल हार्वर्ड बल्कि उन तमाम संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण होगा जो शिक्षा को स्वतंत्रता, विविधता और संवाद का पर्याय मानते हैं।

निष्कर्ष: यह समय है आवाज़ उठाने का

जब भी सत्ता असहमति से डरती है, वह अपनी शक्ति का इस्तेमाल उसे कुचलने में करती है। लेकिन इतिहास गवाह है – विचारों को बंदूक और बजट से नहीं रोका जा सकता। ट्रंप प्रशासन की यह नीति न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि यह अमेरिका की उस पहचान के भी विरुद्ध है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बहुलता पर टिकी है।

आज, जब हार्वर्ड संघर्ष कर रहा है, तब यह हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम यह तय करें – क्या हम ऐसे समाज में जीना चाहते हैं जहाँ सोचने, बोलने और विरोध करने का अधिकार सत्ता की अनुमति से तय हो? या हम उन मूल्यों के साथ खड़े होंगे जो एक न्यायपूर्ण और स्वतंत्र समाज की नींव हैं?

आज सवाल सिर्फ हार्वर्ड का नहीं है, सवाल यह है कि क्या हम लोकतंत्र को विचारशील बनाए रखेंगे या उसे सत्ता की सुविधा पर चलने देंगे।


इस पूरे घटनाक्रम पर आधारित नीचे कुछ UPSC GS Mains और Prelims दोनों के लिए संभावित प्रश्न दिए गए हैं:


UPSC GS Mains (GS Paper 2 और 4) के लिए संभावित प्रश्न:

1. “शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता और लोकतंत्र एक-दूसरे के पूरक हैं।” हार्वर्ड बनाम ट्रंप प्रशासन विवाद के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
(250 शब्द, GS Paper 2 – Governance, Constitution, Polity)

2. विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर राज्य का नियंत्रण: क्या यह लोकतांत्रिक मूल्य का ह्रास है या राष्ट्रहित की अनिवार्यता? हालिया अमेरिकी घटनाक्रम की विवेचना कीजिए।
(250 शब्द, GS Paper 2 – Rights Issues)

3. सार्वजनिक संस्थानों को वित्तीय अनुशासन के नाम पर नियंत्रित करना नैतिक रूप से कितना उचित है? हार्वर्ड केस के सन्दर्भ में विश्लेषण करें।
(GS Paper 4 – Ethics, Integrity & Aptitude)

4. छात्रों के राजनीतिक अधिकार और विश्वविद्यालय परिसरों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रतिबंधों की प्रवृत्ति का मूल्यांकन कीजिए।
(250 शब्द, GS Paper 2 – International Perspective on Governance & Democracy)


UPSC Prelims के लिए संभावित वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

Q. हाल ही में किस अमेरिकी विश्वविद्यालय ने संघीय सरकार द्वारा अनुदान फ्रीज़ किए जाने के खिलाफ मुकदमा दायर किया?
A) स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी
B) येल यूनिवर्सिटी
C) हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
D) कोलंबिया यूनिवर्सिटी
उत्तर: C) हार्वर्ड यूनिवर्सिटी

Q. हार्वर्ड बनाम ट्रंप विवाद मुख्यतः किस संवैधानिक अधिकार से संबंधित है?
A) न्याय प्राप्त करने का अधिकार
B) समानता का अधिकार
C) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
D) निजी संपत्ति का अधिकार
उत्तर: C) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

Q. अमेरिकी संविधान में 'First Amendment' का संबंध किससे है?
A) हथियार रखने के अधिकार से
B) कर व्यवस्था से
C) अभिव्यक्ति, धर्म और प्रेस की स्वतंत्रता से
D) श्रम अधिकारों से
उत्तर: C) अभिव्यक्ति, धर्म और प्रेस की स्वतंत्रता से



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