आदि शंकराचार्य: भारतीय चेतना के चिरस्थायी प्रकाश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरती पर कुछ ही ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने समय की धारा को मोड़ा और युगों तक प्रेरणा दी। आदि शंकराचार्य उनमें से एक हैं – एक ऐसी ज्योति, जिसने 8वीं शताब्दी में भारतीय बौद्धिक और आध्यात्मिक जगत को नया जीवन दिया। केरल के छोटे से कालड़ी गाँव में जन्मे इस युवा सन्यासी ने न केवल वेदों के गूढ़ ज्ञान को सरल बनाया, बल्कि उसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। एक युग का संकट और शंकर का उदय उस समय भारत एक बौद्धिक और धार्मिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। अंधविश्वास, पंथों की भीड़ और बौद्ध धर्म के प्रभुत्व ने वैदिक परंपराओं को धूमिल कर दिया था। लोग सत्य की खोज में भटक रहे थे। ऐसे में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का झंडा उठाया और कहा – "सत्य एक है, बाकी सब माया है।" उनका यह संदेश सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका था। "अहं ब्रह्मास्मि" – मैं ही ब्रह्म हूँ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सरल लेकिन गहरा है। वे कहते थे कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं। हमारी आँखों के सामने ...
कच्चाथीवू द्वीप विवाद – भारत-श्रीलंका संबंधों में बार-बार उठता सवाल
भूमिका:
हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया पत्र एक बार फिर से कच्चाथीवू द्वीप विवाद को राष्ट्रीय बहस के केंद्र में ले आया है। यह द्वीप, भारत और श्रीलंका के बीच स्थित एक छोटा सा भूभाग है, लेकिन इसके आसपास के समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने की गतिविधियों और मछुआरों की बार-बार गिरफ्तारी के कारण यह कूटनीतिक और मानवीय चिंता का विषय बना हुआ है।
इतिहास और पृष्ठभूमि:
कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका के जाफना तट के पास स्थित है। 1974 में भारत और श्रीलंका के बीच एक द्विपक्षीय समझौते के तहत इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया था। उस समय इस पर कोई जनसंख्या नहीं थी, लेकिन इसका धार्मिक और व्यावसायिक महत्व तमिल मछुआरों के लिए बना हुआ था। इसके बाद मछुआरों को इस द्वीप पर आने-जाने और धार्मिक अनुष्ठानों की अनुमति तो मिली, लेकिन मछली पकड़ने के अधिकार पर विवाद उत्पन्न हो गया।
मौजूदा चिंता:
तमिलनाडु के मछुआरों को श्रीलंकाई जलक्षेत्र में मछली पकड़ते हुए गिरफ्तार किया जाना अब आम हो गया है। यह मछुआरे पारंपरिक रूप से इस क्षेत्र में मछली पकड़ते आए हैं। तमिलनाडु सरकार का मानना है कि कच्चाथीवू द्वीप की वापसी या इस पर भारत के अधिकार की पुनर्स्थापना से मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है और क्षेत्र में तनाव कम हो सकता है।
राजनीतिक और कूटनीतिक आयाम:
इस विवाद का राजनीतिकरण भी देखने को मिल रहा है। विपक्षी दल और राज्य सरकारें केंद्र पर निष्क्रियता का आरोप लगाती हैं, जबकि केंद्र सरकार पूर्ववर्ती सरकारों के निर्णयों की ओर इशारा करती है। इस विषय पर अब तक कोई ठोस राष्ट्रीय नीति नहीं बन सकी है। वहीं, श्रीलंका के साथ भारत के संबंध केवल इस द्वीप तक सीमित नहीं हैं, बल्कि चीन की क्षेत्रीय उपस्थिति और तमिल मुद्दों को लेकर भी संवेदनशील बने हुए हैं।
समाधान की दिशा में:
- राजनयिक संवाद को मजबूत करना: भारत को श्रीलंका के साथ उच्चस्तरीय वार्ता के माध्यम से एक स्थायी मत्स्य नीति बनानी चाहिए जो दोनों देशों के हितों का संतुलन रखे।
- राज्यों को नीति निर्धारण में भागीदारी: विदेश नीति केंद्र का विषय अवश्य है, लेकिन इससे प्रभावित राज्य जैसे तमिलनाडु की राय को महत्व देना आवश्यक है।
- वैकल्पिक रोजगार और मछली पकड़ने की तकनीकों को बढ़ावा: मछुआरों को नए क्षेत्रों की पहचान, गहराई में मछली पकड़ने की आधुनिक तकनीक और सहयोग से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- समुद्री सीमा सुरक्षा में सुधार: भारत को अपनी समुद्री सीमाओं की निगरानी और मछुआरों की सुरक्षा को और सुदृढ़ करना चाहिए।
निष्कर्ष:
कच्चाथीवू द्वीप एक छोटा सा भूभाग होकर भी भारत-श्रीलंका संबंधों में बड़ी भूमिका निभाता है। यह न केवल कूटनीतिक मसला है, बल्कि मानवीय, आर्थिक और राजनीतिक आयाम भी रखता है। अतः इसके समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर एक संतुलित, संवेदनशील और दूरदर्शी नीति अपनाने की आवश्यकता है।
यह समाचार UPSC GS (General Studies) पेपर से संबंधित है, खासकर निम्नलिखित भागों में:
GS Paper 2 – Governance, Constitution, Polity, Social Justice and International Relations
इस पेपर में यह टॉपिक इन सेक्शनों से जुड़ता है:
-
भारत की विदेश नीति (India’s Foreign Policy)
- श्रीलंका के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध
- कच्चाथीवू द्वीप से जुड़ा विवाद
- समुद्री सीमाओं से जुड़े मुद्दे
-
Federalism & Centre-State Relations
- एक राज्य (तमिलनाडु) के मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र सरकार से की गई मांग
- राज्यों की विदेश मामलों में भूमिका और अधिकार (हालाँकि विदेश नीति केंद्र का विषय है, लेकिन राज्य इससे प्रभावित होते हैं)
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Internal Security & Border Issues (संबद्ध विषय में)
- मछुआरों की सुरक्षा और गिरफ्तारी से जुड़ी समस्याएँ
- समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और विवाद
Prelims में कैसे आ सकता है?
- कच्चाथीवू द्वीप कहाँ स्थित है?
- भारत और श्रीलंका के बीच किन किन मुद्दों पर विवाद है?
- भारत की समुद्री सीमाएँ और उससे जुड़े कानून
यहाँ UPSC GS (मुख्यतः GS Paper 2) और Prelims के लिए कुछ संभावित प्रश्न दिए गए हैं:
1. GS Mains के लिए संभावित प्रश्न (Answer Writing Practice):
प्रश्न 1:
भारत और श्रीलंका के बीच कच्चाथीवू द्वीप को लेकर जारी विवाद मछुआरों की समस्याओं और भारत की समुद्री नीति को कैसे प्रभावित करता है? चर्चा कीजिए।
प्रश्न 2:
केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विदेश नीति के मुद्दों पर समन्वय की आवश्यकता क्यों है? हालिया कच्चाथीवू द्वीप विवाद के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 3:
भारत-श्रीलंका समुद्री सीमा विवाद में कच्चाथीवू द्वीप की भूमिका और समाधान के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों का विश्लेषण कीजिए।
2. Prelims के लिए संभावित MCQs:
प्रश्न 1:
कच्चाथीवू द्वीप किस दो देशों के बीच विवाद का कारण रहा है?
A. भारत और मालदीव
B. भारत और श्रीलंका
C. भारत और म्यांमार
D. भारत और बांग्लादेश
उत्तर: B
प्रश्न 2:
कच्चाथीवू द्वीप किस समुद्र में स्थित है?
A. अरब सागर
B. बंगाल की खाड़ी
C. लक्षद्वीप सागर
D. पाक जलडमरूमध्य
उत्तर: D
प्रश्न 3:
भारत ने किस वर्ष श्रीलंका को कच्चाथीवू द्वीप सौंपा था?
A. 1947
B. 1956
C. 1974
D. 1991
उत्तर: C
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