करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
“वंदे मातरम्” और संवैधानिक स्वतंत्रता: असदुद्दीन ओवैसी के वक्तव्य के संदर्भ में एक अकादमिक विश्लेषण भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रवाद, धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों के बीच संतुलन का प्रश्न समय-समय पर बहस का केंद्र रहा है। लोकसभा में वंदे मातरम् पर हुई विशेष चर्चा इसी विमर्श को पुनः प्रासंगिक बनाती है, जहां AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने यह कहते हुए अपना दृष्टिकोण रखा कि “वतन से मोहब्बत का मतलब है देश के लोगों के लिए काम करना, न कि किसी गाने को वफादारी की कसौटी बनाना।” यह बहस आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद के तीन प्रमुख स्तंभों— संवैधानिक राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, और नागरिक स्वतंत्रता —के अंतर्संबंध को उजागर करती है। 1. राष्ट्रवाद की अवधारणा: संवैधानिक बनाम सांस्कृतिक भारत जैसे बहुलतावादी समाज में राष्ट्रवाद की परिभाषा एकरूप नहीं हो सकती। संवैधानिक राष्ट्रवाद , जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने K.S. Puttaswamy (2017) और Bijoe Emmanuel (1986) जैसे मामलों में स्पष्ट किया, नागरिकों की निष्ठा को संविधान के मूल्यों—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—से जोड़ता है। दूसरी ओर सांस्क...